गोपालगंज : आइएसओ प्रमाणित मॉडल सदर अस्पताल कुव्यवस्था का शिकार है. यहां मरीजों को शायद ही कोई सुविधा ढंग से मिलती है. पीने के पानी के लिए मरीज और उनके परिजन तरह जाते हैं. अस्पताल के कई वार्डों में नल है ही नहीं. भर्ती मरीजों और उनके परिजनों को अस्पताल के बाहर से पानी लाना पड़ता है. वार्ड ही नहीं, अस्पताल में बाथरूम में लगे नल से भी पानी नहीं आता.
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आइएसओ प्रमाणित मॉडल सदर अस्पताल में पानी के लिए मरीज परेशान, पानी बाहर से ढोकर लाते हैं परिजन
गोपालगंज : आइएसओ प्रमाणित मॉडल सदर अस्पताल कुव्यवस्था का शिकार है. यहां मरीजों को शायद ही कोई सुविधा ढंग से मिलती है. पीने के पानी के लिए मरीज और उनके परिजन तरह जाते हैं. अस्पताल के कई वार्डों में नल है ही नहीं. भर्ती मरीजों और उनके परिजनों को अस्पताल के बाहर से पानी लाना […]
बेसिन में लगे नल टूटे पड़े हैं. पानी की सप्लाइ बाधित होने पर तो, दो-चार दिन तक पूरा अस्पताल आसपास के चापाकलों पर आश्रित हो जाता है. सदर अस्पताल के ओपीडी व लेबर वार्ड के पहले तल पर मौजूद गायनी वार्ड के पास 20 से अधिक बेड है.
अक्सर ये सभी बेड भरे होते हैं. प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को इसी वार्ड में रखा जाता है. यहां भर्ती ममता देवी कहती हैं कि वार्ड में कहीं पानी नहीं है. बाथरूम भी वार्ड से हटकर है. वहां बेसिन और नल तो है, लेकिन पानी नहीं है. दूर तक दुर्गंध जाती है.
सदर अस्पताल में पानी की किल्लत को देखते हुए पिछले साल विभिन्न एनजीओ और बैंकों के द्वारा आरओ कूलिंग मशीन लगायी गयी. यह मशीन कुछ ही माह बाद देखरेख के अभाव में बंद हो गयी. अब मरीज और उनके परिजनों को पानी पीने के लिए बाहर की दुकानों पर निर्भर रहना पड़ता है.
मांगने पर भी नहीं मिलती है चादर
अस्पताल के विभिन्न वार्डों में भर्ती मरीजों को चादर भी घर से ही लानी पड़ती है. अस्पताल से मांगने पर भी उन्हें चादर नहीं दी जाती है. अगर बहुत मिन्नतें करने पर मिल भी जाये, तो गंदी ही मिलेगी, अस्पताल के कर्मी मरीजों से कह देते हैं कि चादर घर से लेकर आएं. ज्यादातर बेड की हालत भी बहुत बढ़िया नहीं है. कई के कवर फट गये हैं तो कई से नारियल का छिलका बाहर झांकता रहता है.
क्या कहते हैं उपाधीक्षक
पीएचइडी को पत्र लिखा गया है. खराब चापाकलों की मरम्मती नहीं होने से पानी की किल्लत हुई है, जल्द ही समस्याओं को दूर करा दिया जायेगा.
डॉ पीसी प्रभात, उपाधीक्षक
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