बोधगया. मगध विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर भूगोल विभाग के सहायक आचार्य सह परियोजना निदेशक डॉ पिंटू कुमार के मार्गदर्शन में बिहार के बुद्धिस्ट साइट पर विगत तीन महीने से यहां आने वाले देशी–विदेशी पर्यटकों एवं आसपास की स्थानीय लोगों के आजीविका पर इन विरासत स्थलों पर प्रभाव का सर्वेक्षण एवं मानचित्रण किया जा रहा है. यह सर्वेक्षण आइसीएसएसआर द्वारा आवंटित शोध परियोजना बिहार में बुद्धिस्ट सर्किट के विकास एवं चुनौतियां तथा इसका स्थानीय लोगों के आजीविका पर प्रभाव पर अध्ययन किया जा रहा है. दो महीने से शोध सर्वेक्षण दल का नेतृत्व परियोजना निदेशक डॉ पिंटू कुमार कर रहे हैं. इस सर्वेक्षण में 50 से ज्यादा बुद्धिस्ट साइट्स पर अध्ययन किया गया है, जिसमें मुख्य रूप से बोधगया एवं राजगीर के महत्वपूर्ण विरासत स्थलों के साथ-साथ वैशाली के विश्व शांति स्तूप, कोल्हूआ का अशोक स्तंभ, केसरिया स्तूप, लौरिया नंदन, अरेराज, राजा विशाल का गढ़, पुष्कर्णी तलाब, बुद्धिस्ट म्यूजियम तथा आसपास के दुकानदारों का सर्वेक्षण किया जा रहा है. इस सर्वेक्षण द्वारा श्रीलंका, म्यांमार, भूटान, जापान, मलेशिया, वियतनाम, कनाडा, इंग्लैंड, अमेरिका नेपाल इत्यादि देशों से 400 विदेशी एवं घरेलू पर्यटकों के साथ-साथ 400 दुकानदारों के ऊपर सर्वेक्षण कर महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्रित की गयी हैं. इस सर्वेक्षण में विभिन्न विश्वविद्यालय व कॉलेज के प्रोफेसर्स के साथ-साथ, रिसर्च अस्सिटेंट कृतिका मुखर्जी, शोधार्थी आकाश रंजन, अर्चना कुमारी, मुस्कान खातून, पंचम कुमार, राकेश पासवान शामिल हुए.
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