बोधगया. मगध विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग तथा वैदिक विज्ञान केंद्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में बिहार में भारतीय ज्ञान परंपरा, नयी दिल्ली द्वारा प्रायोजित आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के अंतर्गत सामुदायिक संपर्क कार्यक्रम का आयोजन किया गया. आयोजन सचिव डॉ एकता वर्मा ने आगत अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम का विषय भारतीय ज्ञान परंपरा एवं वैदिक विज्ञान का अवबोध था. मुख्य वक्ता के रूप में बीएचयू के आचार्य प्रो उपेंद्र कुमार त्रिपाठी ने बड़ी सरलता एवं सहजता के साथ भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व, उसकी ऐतिहासिकता व उसके गौरव पर प्रकाश डालते हुए वैदिक विज्ञान को बताने के क्रम में वेद के मंत्रों के संबंध में भारत के मनीषियों ऋषियों, ऋषिकाओं के अद्वितीय और विलक्षण वैदुष्य पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा अत्यंत प्राचीन एवं समृद्ध रही है, जिसमें वैदिक विज्ञान का विशेष स्थान है और पुराणों में निहित ज्ञान न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि विज्ञान, गणित, खगोल शास्त्र, आयुर्वेद तथा योग जैसे विषयों में भी अद्वितीय योगदान देता है. आज के आधुनिक युग में भारतीय ज्ञान परंपरा एवं वैदिक विज्ञान का पुनरावलोकन आवश्यक है, जिससे हम अपनी प्राचीन विरासत को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ कर नवाचार और अनुसंधान को नयी दिशा दे सकें. यह हमारी सांस्कृतिक पहचान को सशक्त बनाने का भी एक प्रभावी माध्यम है. इस मौके पर प्रो मुकेश कुमार, प्रो मुनेश्वर प्रसाद, प्रो जावेद अंजुम, डॉ उमेश राय, डॉ ममता मेहरा, प्रो कृष्णदेव प्रसाद वर्मा, प्रो सरिता वीरांगना, प्रो संजय कुमार, डॉ वागीश कुमार, डॉ प्रियंका सिंह, डॉ तरन्नुम जहां सहित अन्य विभागों के शिक्षक एवं शोधार्थी मौजूद थे.
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