बोधगया. मगध विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन विभाग के शोधार्थी शैलेंद्र कुमार ने डेवलपमेंट एडमिनिस्ट्रेशन इन अरबन गोवर्नेंस : अन एनालिटिकल स्टडी ऑफ बोधगया नगर पंचायत 2002-2020 विषय पर शोध किया है. इस कार्य के लिए उन्हें पीएचडी की उपाधि प्रदान की जायेगी. शनिवार को इसे लेकर मौखिकी संपन्न हुआ. शैलेंद्र कुमार के इस शोध में बोधगया जैसे वैश्विक धार्मिक व सांस्कृतिक नगरी के प्रशासनिक ढांचे, नीतियों और शहरी विकास के पहलुओं का विश्लेषण किया गया है, जो शहरी शासन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में देखा जा रहा है. एक्सटर्नल के रूप में एसएम कॉलेज, टीएमबीयू, भागलपुर की एसोसिएट प्रो डॉ अनुराधा प्रसाद ने बधाई देते हुए कहा कि शैलेंद्र कुमार ने अपने शोध में जिस स्पष्ट दृष्टि और तार्किकता का परिचय दिया है, वह सराहनीय है. ऐसे शोध समाज और प्रशासन के बीच सेतु का कार्य करते हैं. इस शोध के शोध निर्देशक रहे राजनीति विज्ञान विभाग के वरिष्ठ प्रो मो एहतेशाम खान ने कहा कि यह शोध केवल शैक्षणिक ही नहीं, व्यावहारिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. शहरी प्रशासन की जटिलताओं को समझने के लिए उन्होंने गहरी समझ और प्रतिबद्धता का परिचय दिया है. यह कार्य आने वाले शोधार्थियों के लिए प्रेरणादायक साबित होगा. लोक प्रशासन विभागाध्यक्ष डॉ अंजनी घोष ने कहा कि यह शोध प्रशासनिक अनुशासन के क्षेत्र में एक ठोस हस्तक्षेप है. शैलेंद्र ने न केवल तथ्यों को प्रस्तुत किया, बल्कि उनका विश्लेषण भी बौद्धिक परिपक्वता के साथ किया है. विभाग को उन पर गर्व है. अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो आरएस जमुआर ने कहा कि यह शोध शहरी विकास के आर्थिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण को जोड़ने का सफल प्रयास है. राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ निर्मला कुमारी ने कहा कि यह शोध विषय समाज और प्रशासन के जटिल रिश्तों को सरलता से समझाने वाला है. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षकों ने भी शैलेंद्र कुमार को बधाई दी. इनमें प्रमुख रूप से प्रो अश्विनी, प्रो डॉ शमशाद अंसारी, डॉ दिव्या मिश्रा, डॉ प्रियंका सिंह, डॉ श्रद्धा ऋषि, प्रो डॉ त्रिपुरारी, डॉ अमित पाण्डेय, डॉ मुंद्रिका यादव, डॉ ममता व डॉ एकता वर्मा शामिल हैं. इस अवसर पर लोक प्रशासन के शोधार्थियों की भी सक्रिय उपस्थिति रही, जिनमें अंशुमान अंकित, पंकज मिश्रा, अंकित, दीपक, कुंदन, अविनाश सोनू, अविनाश प्रताप, अशोक कुमार, कुमारी सखी, ब्यूटी कुमारी, राजननंदनी, किरण आदि शामिल थे. अपने वक्तव्य में शोधार्थी शैलेंद्र कुमार ने कहा कि यह उपलब्धि मेरे अकेले की नहीं.
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