गया़ सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने और नवाचार को आगे बढ़ाने में अनुसंधान की भूमिका अहम होती है. उक्त बातें सीयूएसबी के कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह ने स्कूल ऑफ मैनेजमेंट द्वारा आयोजित 10 दिवसीय शोध पद्धति कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में कही. अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति ने समस्या-समाधान अनुसंधान की ओर बदलाव पर जोर दिया व गुणवत्ता और सामग्री-संचालित अध्ययनों पर बल दिया. उन्होंने आशा जतायी कि कार्यशाला प्रतिभागियों के शोध कौशल को निखारने के लिए सैद्धांतिक अंतर्दृष्टि व व्यावहारिक प्रदर्शन का संतुलित मिश्रण प्रदान करेगी. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि सीयूएसबी के कॉमर्स एंड बिजनेस स्टडीज द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह के साथ मुख्य अतिथि के रूप में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) वाराणसी के डीन एवं विभागाध्यक्ष, कॉमर्स प्रो हरेंद्र कुमार सिंह के साथ-साथ प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रख्यात शिक्षाविदों और विशेषज्ञों की उपस्थिति रही. समकालीन शोध में शोध पद्धति का महत्व विषय पर अपने उद्घाटन भाषण में प्रो हरेंद्र कुमार सिंह ने अकादमिक, व्यावसायिक व समकालीन क्षेत्रों में शोध के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने शोध के संबंध में भारतीय शिक्षा प्रणाली में प्रतिमान बदलाव पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों से अपनी शोध क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सत्रों में सक्रिय रूप से शामिल होने का सुझाव दिया. इससे पहले कार्यशाला के औपचारिक उद्घाटन के बाद वाणिज्य एवं व्यवसाय अध्ययन विभाग के प्रमुख प्रो ब्रजेश कुमार ने स्वागत भाषण दिया. डॉ राजनारायणन एस ने प्राप्त विविध आवेदनों और प्रतिभागियों के चयन मानदंडों का अवलोकन प्रस्तुत किया. स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के डीन प्रो सुब्रमण्यम एस ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर विस्तार से चर्चा की और शोध लेखन कौशल को बढ़ाने और भविष्य के शिक्षाविदों को आवश्यक दक्षताओं से लैस करने के महत्व पर जोर दिया. उद्घाटन सत्र का समापन डॉ प्रदीप राम के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ. उद्घाटन समारोह के बाद कार्यशाला के पहले सत्र शुरू हुए, जिसमें शोध अवधारणाओं और रूपरेखा का परिचय और शोध शीर्षक, प्रश्न और उद्देश्य शामिल थे. प्रो वी सुनमुगासुंदरम ने चर्चाओं का नेतृत्व किया, जिसमें शोध के मूल सिद्धांतों, शोध के प्रकारों, शोध डिजाइन और अन्य प्रमुख अवधारणाओं का व्यापक परिचय दिया गया.
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