बांकेबाजार. बांकेबाजार महिला विकास फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी व सर्व सेवा समिति संस्था के संयुक्त प्रयास से बांकेबाजार मशरूम हब के रूप में विकसित हो रहा है. प्रखंड की कंचन कुमारी द्वारा बाल्टी एवं ढोलची मशरूम एक उदाहरण है. यही कारण है कि बुधवार को जहानाबाद से उत्थान परियोजना की 40 महिलाओं की टीम बांकेबाजार के दीघासीन गांव पंहुची. इस दौरान कंचन कुमारी द्वारा की जा रही मशरूम की खेती को देखा व जानकारी प्राप्त की. जहानाबाद से आयीं महिलाओं को कंचन कुमारी ने अपने द्वारा मशरूम की सोच एवं मॉडल को दिखाते हुए बताया कि 2022 में सर्वसेवा समिति संस्था जुड़कर प्रशिक्षण में जाने का मौका मिला. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद 25 बैग मशरूम लगाकर इसकी खेती की शुरुआत की तथा अब 400 बैग तक मशरूम की खेती कर रही हूं. उसके बाद खुद से बैग बनाना शुरू किया और मटर वेस्ट और मिल्की मशरूम को खुद से सालों भर मशरूम उत्पादन कर रही हूं. आज मैं घर में रहकर प्रतिदिन 1000 से 1500 रुपये आय कर रही हूं. प्रशिक्षण में जानकारी मिली थी कि प्लास्टिक बैग से मशरूम उत्पादन किया जा सकता है पर हमें लगा के इससे गंदगी और पर्यावरण को भी कहीं ना कहीं नुकसान है. इसमें बदलाव की जरूरत है. इसी सोच के साथ मैं 10 बाल्टी व 10 ढोलची लेकर बेस्टर मशरूम की शुरुआत की. जिससे बहुत अच्छी उपज हुई व आमदनी भी अच्छी हुई. कंचन कुमारी ने अपने बताया कि अपने जीवन में शुरुआत से ही बहुत संघर्ष देखे हैं. सर्व सेवा समिति संस्था के जिला प्रबंधक रजनी भूषण ने बताया कि बाल्टी व ढोलची मशरूम एक बेहतर प्रयास है. इसमें पर्याप्त प्रकाश, हवा, ऑक्सीजन पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं है. इस कार्यक्रम में बांकेबाजार महिला विकास फॉर्म प्रोड्यूसर कंपनी की अध्यक्ष द्रौपद्री देवी ने महिलाओं द्वारा बांकेबाजार में महिलाओं द्वारा किये जा रहे कार्य एवं कंचन के मशरूम उत्पादन कार्य में एफपीओ के माध्यम से हो रहे सहयोग के बारे में बिस्तार से बताया. रीता कुमारी, इंदु देवी, चंचला कुमारी, निकी कुमारी, कलावती देवी, रवींद्र कुमार सहित दर्जनों महिलाएं उपस्थित थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है