गया़ पाक रमजान रविवार को शुरू हुआ. पहले दिन काफी लोगों ने रोजा रख कर अल्लाह की इबादत की और मस्जिदों में पहली नमाज अदा कर अपने व परिवार के लिए खुशहाली व तरक्की की अल्लाह से दुआ मांगी. सूर्यास्त के साथ रोजेदारों ने परिवारों व सगे संबंधियों के साथ सामूहिक रूप से मनपसंद व्यंजनों व फलों के साथ रोजा खोल इफ्तार किया. इधर, रमजान की पहली तारीख से ही बाजार में चहल-पहल बढ़ने लगी है. केपी रोड, बारी रोड, चौक, जामा मस्जिद रोड, पंचायती अखाड़ा, करीमगंज, नादरा गंज सहित प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्र के साथ-साथ मुस्लिम बाहुल क्षेत्र में स्थित दुकानों से रोजेदारों व उनके परिजनों ने रमजान से जुड़े फल, मिठाई, सूखा मेवा, खजूर व अन्य जरूरी सामान की खुले मन से खरीदारी की. बाजार में भीड़ बढ़ने से रविवार रहने के बावजूद केपी रोड, टिकारी रोड, चौक, रमना रोड व जीबी रोड में पूरे दिन रुक-रुक कर जाम लगता रहा. इन क्षेत्रों में भीड़ अधिक रहने से लोगों को पैदल चलने में भी मशक्कत करनी पड़ रही थी. वहीं यातायात व्यवस्था को सामान्य बनाये रखने के लिए ड्यूटी पर तैनात यातायात पुलिस हर संभव कोशिश कर रही थी.
रमजान महीने में पवित्र कुरआन नाजिल हुआ था
करबला के खादिम डॉ सय्यद शाह शब्बीर आलम क़ादरी ने बताया की रमजान का महीना इसलिए अफजल है कि इस महीने में पवित्र कुरआन नजिल हुआ था. माहे रमजान में नेकियों का अज्र बहुत ही ज्यादा बढ़ जाता है. लिहाजा कोशिश कर ज्यादा से ज्यादा नेकियां इस महीने में जमा कर लेनी चाहिए. बुज़ुर्गाने दीन फरमाते हैं कि रमजान के महीने में एक दिन का रोजा रखना एक हजार दिन के रोजों से अफजल माना जाता है और रमजान के महीने में एक मर्तबा तस्बीह करना (यानी कहना) इस माह के अलावा एक हजार मरतबा तस्बीह़ करने (यानी कहने ) से अफजल है. उन्होंने कहा कि रमजान के महीने में एक रक्त पढ़ना गैरै रमजान की एक हजार रक्अतों से अफजल होता है. डॉ कादरी ने बताया कि रमजानुल मुबारक की रात और दिन, हर लम्हा व पूरा महीना खुसूसियात का है. मगर इसमें खास यह भी है कि इसी पाक महीने में कुरआन शरीफ नाजिल हुआ.
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