गया. अखिल भारतीय मगही प्रचारनी सभा का 14 वां अधिवेशन चांदचौरा स्थित सिजुआर भवन में सम्पन्न हुआ. सबसे पहले स्वामी वेंकटेश प्रपन्नाचार्य ने प्रातः काल में सभा का ध्वजारोहण किया. दो दिनों के इस समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने किया. उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के अतिरिक्त मुंगेर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ रणजीत कुमार वर्मा, दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष डॉ सुरेश चंद्र, बिहार महाविद्यालय सेवा आयोग के सदस्य डॉ उपेंद्र नाथ वर्मा, प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ विजय कुमार करण ने संबोधित किया. डॉ उमाशंकर सिंह द्वारा संपादित, सभा की पत्रिका अखरा व नरेंद्र कुमार सिंह द्वारा लिखित पुस्तक मगही के गूंज का लोकार्पण हुआ. सभा के अध्यक्ष डॉ सचिदानंद प्रेमी ने अतिथियों का अभिनंदन व मंत्री नरेंद्र प्रसाद सिंह ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. समारोह के अंतर्गत पहले दिन दो वैचारिक सत्र सम्पन्न हुए. मगही साहित्य के संचयन और शोध विषयक सत्र में मगही पत्रिका के संपादक धनंजय श्रोत्रिय और मगही व्याकरण लेखक डॉ लालमणि विक्रांत आदि ने अपने विचार रखे. दूसरे सत्र में लोक संस्कृति के संरक्षण और उन्नयन की चुनौतियों पर विमर्श हुआ, जिसमें नवादा के अशोक समदर्शी ने एक महत्वपूर्ण आलेख का पाठ किया. औरंगाबाद के डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र व मगध विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ दीपशिखा पांडेय ने भी इस विषय पर विचार व्यक्त किया. दूसरे दिन तीसरे वैचारिक सत्र में मगही पाठ्यक्रम के निमित लेखन व प्रकाशन पर संवाद हुआ, जिसमें दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष डॉ ब्रजेश कुमार, अछुआ कॉलेज के मगही विभाग के अध्यक्ष डॉ दिलीप कुमार व आचार्य कुल से जुड़े कमला प्रसाद सिंह ने अपने विचार रखे. अधिवेशन के अवसर पर सभा की ओर से मिथिलेश (वारिसलीगंज) को मगही शिखर सम्मान भेंट किया गया. इसके अतिरिक्त महेंद्र प्रसाद देहाती (अरवल) को काव्य, डॉ दिलीप कुमार(अछुआ) को गद्य, हरिनंदन मिश्र किसलय को लोककला व धनंजय श्रोत्रिय को पत्रकारिता के क्षेत्र में सम्मानित किया गया. इस बार का मगही वाचस्पति सम्मान डॉ शिव शंकर शर्मा (जहानाबाद) को व मगही साहित्य सेवा सम्मान लेखक-संपादक सुमंत को प्रदान किया गया. मथुरा प्रसाद नवीन, सतीश कुमार मिश्र तथा रामपुकर सिंह राठौर को (मरणोपरांत) आजीवन मगही साहित्य सेवा सम्मान अर्पित किया गया. समारोह के अंतर्गत सम्पन्न हुए कवि सम्मेलन में श्रोताओं को वरिष्ठ कवि डॉ रामकृष्ण, दिनेश पांडेय दीनबंधु, ओंकार कश्यप, ममता कुमारी, ओमप्रकाश कश्यप, गौतम कुमार सरगम की विविधवर्णी कविताएं सुनने का अवसर मिला. सभा की नवगठित केन्द्रीय समिति में डॉ सच्चिदानन्द प्रेमी फिर से अध्यक्ष हुए, जबकि सुमंत को मंत्री व डॉ उमाशंकर सिंह को संयुक्त मंत्री बनाया गया. डॉ दिलीप कुमार व डॉ किरण कुमारी शर्मा को उप सभापति, डॉ पूनम कुमारी और मणिकांत मणि को सहायक मंत्री व डॉ सुदर्शन शर्मा को कोषाध्यक्ष बने. समारोह में डॉ शशि भूषण मिश्र, शक्ति कुमार, देवेंद्र नाथ मिश्र, शिवेंद्र नारायण सिंह, डॉ राम परीखा सिंह, पंकज कुमार मिश्र, नंदन कुमार सिन्हा, विकास कुमार सिन्हा, ज्योति मिश्र, अरविंद अजांस, आचार्य गोपाल, उदय कुमार सिंह, डॉ राकेश कुमार सिन्हा रवि, अंजु कुमारी सहित कई अन्य साहित्यकार व साहित्य विद शामिल थे. अखिल भारतीय मगही प्रचारनी सभा का 14 वां अधिवेशन चांदचौरा स्थित सिजुआर भवन में सम्पन्न हुआ. सबसे पहले स्वामी वेंकटेश प्रपन्नाचार्य ने प्रातः काल में सभा का ध्वजारोहण किया. दो दिनों के इस समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने किया. उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के अतिरिक्त मुंगेर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ रणजीत कुमार वर्मा, दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष डॉ सुरेश चंद्र, बिहार महाविद्यालय सेवा आयोग के सदस्य डॉ उपेंद्र नाथ वर्मा, प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ विजय कुमार करण ने संबोधित किया. डॉ उमाशंकर सिंह द्वारा संपादित, सभा की पत्रिका अखरा व नरेंद्र कुमार सिंह द्वारा लिखित पुस्तक मगही के गूंज का लोकार्पण हुआ. सभा के अध्यक्ष डॉ सचिदानंद प्रेमी ने अतिथियों का अभिनंदन व मंत्री नरेंद्र प्रसाद सिंह ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. समारोह के अंतर्गत पहले दिन दो वैचारिक सत्र सम्पन्न हुए. मगही साहित्य के संचयन और शोध विषयक सत्र में मगही पत्रिका के संपादक धनंजय श्रोत्रिय और मगही व्याकरण लेखक डॉ लालमणि विक्रांत आदि ने अपने विचार रखे. दूसरे सत्र में लोक संस्कृति के संरक्षण और उन्नयन की चुनौतियों पर विमर्श हुआ, जिसमें नवादा के अशोक समदर्शी ने एक महत्वपूर्ण आलेख का पाठ किया. औरंगाबाद के डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र व मगध विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ दीपशिखा पांडेय ने भी इस विषय पर विचार व्यक्त किया. दूसरे दिन तीसरे वैचारिक सत्र में मगही पाठ्यक्रम के निमित लेखन व प्रकाशन पर संवाद हुआ, जिसमें दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष डॉ ब्रजेश कुमार, अछुआ कॉलेज के मगही विभाग के अध्यक्ष डॉ दिलीप कुमार व आचार्य कुल से जुड़े कमला प्रसाद सिंह ने अपने विचार रखे. अधिवेशन के अवसर पर सभा की ओर से मिथिलेश (वारिसलीगंज) को मगही शिखर सम्मान भेंट किया गया. इसके अतिरिक्त महेंद्र प्रसाद देहाती (अरवल) को काव्य, डॉ दिलीप कुमार(अछुआ) को गद्य, हरिनंदन मिश्र किसलय को लोककला व धनंजय श्रोत्रिय को पत्रकारिता के क्षेत्र में सम्मानित किया गया. इस बार का मगही वाचस्पति सम्मान डॉ शिव शंकर शर्मा (जहानाबाद) को व मगही साहित्य सेवा सम्मान लेखक-संपादक सुमंत को प्रदान किया गया. मथुरा प्रसाद नवीन, सतीश कुमार मिश्र तथा रामपुकर सिंह राठौर को (मरणोपरांत) आजीवन मगही साहित्य सेवा सम्मान अर्पित किया गया. समारोह के अंतर्गत सम्पन्न हुए कवि सम्मेलन में श्रोताओं को वरिष्ठ कवि डॉ रामकृष्ण, दिनेश पांडेय दीनबंधु, ओंकार कश्यप, ममता कुमारी, ओमप्रकाश कश्यप, गौतम कुमार सरगम की विविधवर्णी कविताएं सुनने का अवसर मिला. सभा की नवगठित केन्द्रीय समिति में डॉ सच्चिदानन्द प्रेमी फिर से अध्यक्ष हुए, जबकि सुमंत को मंत्री व डॉ उमाशंकर सिंह को संयुक्त मंत्री बनाया गया. डॉ दिलीप कुमार व डॉ किरण कुमारी शर्मा को उप सभापति, डॉ पूनम कुमारी और मणिकांत मणि को सहायक मंत्री व डॉ सुदर्शन शर्मा को कोषाध्यक्ष बने. समारोह में डॉ शशि भूषण मिश्र, शक्ति कुमार, देवेंद्र नाथ मिश्र, शिवेंद्र नारायण सिंह, डॉ राम परीखा सिंह, पंकज कुमार मिश्र, नंदन कुमार सिन्हा, विकास कुमार सिन्हा, ज्योति मिश्र, अरविंद अजांस, आचार्य गोपाल, उदय कुमार सिंह, डॉ राकेश कुमार सिन्हा रवि, अंजु कुमारी सहित कई अन्य साहित्यकार व साहित्य विद शामिल थे.
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