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बंद रहीं दुकानें, घरों में रहे कैद

समस्या. बॉटम नाला जाम होने के कारण दुर्गाबाड़ी व बारी रोड जलमग्न बॉटम नाला जाम रहने के कारण दुर्गाबाड़ी व बारी रोड से पानी नहीं निकल सका. इस रोड की अधिकतर दुकानें बंद रहीं और लोग-बाग घरों में ही बंद रहे. गया : बॉटम नाला जाम रहने के कारण नगर निगम के कई प्रयास के […]

समस्या. बॉटम नाला जाम होने के कारण दुर्गाबाड़ी व बारी रोड जलमग्न

बॉटम नाला जाम रहने के कारण दुर्गाबाड़ी व बारी रोड से पानी नहीं निकल सका. इस रोड की अधिकतर दुकानें बंद रहीं और लोग-बाग घरों में ही बंद रहे.
गया : बॉटम नाला जाम रहने के कारण नगर निगम के कई प्रयास के बाद भी दुर्गाबाड़ी व बारी रोड को जलजमाव से मुक्त नहीं कराया जा सका. शुक्रवार को भी सड़कें व गलियां जलमग्न रहीं और वहां की दुकानें बंद रहीं. लोग-बाग घरों में कैद रहे.
उल्लेखनीय है कि बॉटम नाले की समस्या पर आम दिनों में नगर निगम नहीं सोचता-समझता है, जबकि समस्या सालोंसाल से है. बरसात में जब दिक्कत बढ़ती है, तो निगम के पदाधिकारी तात्कालिक उपाय ढूंढ़ने लगते हैं. ऐसे में मोटर चला कर पानी निकालने लगते हैं. इतना ही नहीं, पानी भी खुले में सड़क पर बहा देते हैं,
जो दूसरे मुहल्लों की समस्या बढ़ा देता है. हालांकि, यह भी पर्याप्त नहीं है. क्योंकि, इतने दिन से मोटर चलने के बाद भी इन इलाकों को जलजमाव से मुक्ति नहीं मिल पायी है. इस इलाके के लोग कैसे रह रहे हैं, इसकी सुध लेने कोई नहीं आया. न पदाधिकारी, न ही अफसर.
लोगों का कहना है कि नगर निगम के अधिकारी व नेता इस समस्या का स्थायी निदान निकालना ही नहीं चाहते. बरसात आते ही काम शुरू हो जाता है, जो चलता ही रहता है. कभी मोटर चला कर, तो कभी गड्ढा खोद कर. पानी निकालने से दूसरे मुहल्ले के लोगों को परेशानी होती है, तो गड्ढा खोदने से वहीं के लोगों की मुसीबत बढ़ जाती है.
लोगों का सीधा आरोप है कि इन सबके बीच पैसों का भी खूब खेल होता है. अगर, ऐसा नहीं होता, तो कब का स्थायी काम हो गया होता. पानी निकालने के लिए इतने दिन से मोटर चलाया जा रहा है. उसके लिए डीजल फूंका जा रहा है, आखिर इसके लिए पैसे आ कहां से रहे हैं? इसका हिसाब-किताब किसके पास है? मामला तो यह है कि काम को लटकाये रखा जाये और पैसों का खेल होता रहे.
पंप चला कर लगातार निकाला जा रहा पानी, फिर भी कोई राहत नहीं
अब तो स्थायी समाधान निकाले नगर निगम
नगर निगम के पदाधिकारी अब तक बॉटम नाले का कोई स्थायी निदान नहीं निकाल पाये हैं. बरसात के मौसम में जलजमाव दूर करने के लिए सभी सक्रिय हो जाते हैं, बाद में सभी ठंडे पड़ जाते हैं. नाला सफाई के नाम पर शहर में सिर्फ लूट मचा है. जनता के पैसे का नगर निगम ईमानदारीपूर्वक इस्तेमाल करे, तो लोगों को ऐसी समस्याओं से जूझना ही नहीं पड़ेगा.
संजय कुमार वर्णवाल, सचिव, बुलियन एसोसिएशन
1970 में बॉटम नाले की सफाई सेना की सहायता से करायी गयी थी. उसके बाद इस नाले को लोगों ने अतिक्रमण कर संकीर्ण बना दिया. शुरू में इस दिशा में प्रशासन अगर ध्यान देता, तो यह समस्या सामने नहीं आती. आज यह समस्या इतनी गंभीर हो गयी है कि प्रशासन भी हाथ लगाने से पहले 100 बार सोच रहा है. कुछ लोगों के कारण आधा शहर इससे तबाह है. अब नगर निगम को स्थायी निदान का जल्द फैसला लेना होगा.
उमाशंकर प्रसाद, व्यवसायी, रमना रोड
दुर्गाबाड़ी व बारी रोड में व्यवसायियों के कई प्रतिष्ठान हैं. जलजमाव के कारण उनका व्यवसाय प्रभावित हो रहा है. इस समस्या को लेकर कई बार रोड जाम व आंदोलन किया गया है. अधिकारी इस समस्या के स्थायी समाधान ढूंढ़ने के प्रति गंभीर नहीं दिख रहे हैं. पिछले नगर आयुक्त नीलेश देवरे ने इस दिशा में पहल शुरू की थी, उनके जाते ही सब ठहर गया.
विजय कुमार, व्यवसायी, रमना रोड
बरसात के दिनों में नगर निगम पानी निकालने के लिए पंप चलाता है. नाले का पानी खुले में निकालने के कारण दुकानदारी प्रभावित होती है. जब समस्या लोगों के सामने आती है, तो नगर निगम के अधिकारी इसका स्थायी हल जल्द निकालने की घोषणा करते हैं. बरसात की बात आयी गयी हो जाती है. दो माह से नगर निगम द्वारा पानी निकालने के लिए पंप चलाया जा रहा है. कब तक ऐसा होगा, स्थायी निदान निकालना चाहिए.
धीरज कुमार वर्मा, व्यवसायी, रमना रोड

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