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पखावज के लय-ताल पर झूमे दर्शक-श्रोता

गया: रामसागर रोड स्थित सिजुआर इस्टेट में शुक्रवार की शाम पखावज वादन के कार्यक्रम में तब अद्भुत समां बंध गया, जब रविशंकर उपाध्याय ने सुर सलिला कला संस्थान के बैनर तले अपनी प्रस्तुति दी. रविशंकर ने गणेश स्तुति ‘श्रवण सुंदर नाम गणपति’ से पखावज वादन की शुरुआत की. उन्होंने अपने दादा पंडित वासुदेव उपाध्याय द्वारा […]

गया: रामसागर रोड स्थित सिजुआर इस्टेट में शुक्रवार की शाम पखावज वादन के कार्यक्रम में तब अद्भुत समां बंध गया, जब रविशंकर उपाध्याय ने सुर सलिला कला संस्थान के बैनर तले अपनी प्रस्तुति दी. रविशंकर ने गणेश स्तुति ‘श्रवण सुंदर नाम गणपति’ से पखावज वादन की शुरुआत की. उन्होंने अपने दादा पंडित वासुदेव उपाध्याय द्वारा ईजाद की गयी ताल की ध्वनि से लोगों को मुग्ध कर दिया.
उन्होंने चौताल, धमाल, ध्रुत में पखावज पर बिजली की गति से अंगुलियां चलाते हुए तीन ताल की प्रस्तुति दी, जिस पर लोग वाह-वाह कर उठे. श्री रविशंकर ने घेघावली, कतावली व दीनतावली का वर्णन करते हुए पखावज बजा कर प्रस्तुति दी. पखावज पर बायें हाथ की कलात्मक प्रस्तुति के साथ उन्होंने झाला पेश किया. श्री रविशंकर गीत-संगीत के लिए प्रसिद्ध गया के परैया प्रखंड के ईश्वरपुर के रहनेवाले हैं. उनके दादा पंडित वासुदेव उपाध्याय व पिता रामजी उपाध्याय भी प्रसिद्ध पखावज वादक रहे. उनके दादा गांव छोड़ दिल्ली में रहने लगे. तब से अब तक वह वहीं रह कर न केवल आकाशवाणी व दूरदर्शन पर, बल्कि देश-विदेश के मंचों पर भी प्रस्तुति देते हुए लोकप्रियता हासिल करते रहे हैं.

वह पखावज वादन की एकेडमी चला कर सैकड़ों युवक-युवतियों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं. उनके बेटे व बेटी भी उनकी गुरु-शिष्य परंपरा में हैं. वह सखी ग्रुप बना कर लड़कियों को भी पखावज की ट्रेनिंग दे रहे हैं. कार्यक्रम में हाॅरमोनियम पर उनकी संगत कौशिक चक्रवर्ती ने की. राजेंद्र सिजुआर ने उनका स्वागत किया.

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