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गया में बनेगा अत्याधुनिक अॉडिटोरियम

गया में बनेगा अत्याधुनिक अॉडिटाेरियम फाेटाे-रेनेसांस में कला, संस्कृति व युवा विभाग व जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में सांस्कृतिक संध्या का आयाेजनआैरंगाबाद की गायिका आस्था व गया के मनीष कुमार पाठक ने अपने गीज व गजल से बांधा समां मुख्य संवाददाता, गयाकला, संस्कृति व युवा विभाग व जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार […]

गया में बनेगा अत्याधुनिक अॉडिटाेरियम फाेटाे-रेनेसांस में कला, संस्कृति व युवा विभाग व जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में सांस्कृतिक संध्या का आयाेजनआैरंगाबाद की गायिका आस्था व गया के मनीष कुमार पाठक ने अपने गीज व गजल से बांधा समां मुख्य संवाददाता, गयाकला, संस्कृति व युवा विभाग व जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को नये साल के उपलक्ष्य में रेनेसांस में आयोजित प्रमंडलस्तरीय शनिबहार सांस्कृतिक संध्या का उद्घाटन मगध प्रमंडल आयुक्त वंदना किनी ने किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता कला, संस्कृति व युवा विभाग के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ने की. इस माैके पर प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा कि शनिबहार नवाेदित कलाकाराें काे मंच देता है. पटना में हर सप्ताह शुक्रगुलजार व शनिबहार कार्यक्रम हाेता है. इस बार भागलपुर में हुए युवा महाेत्सव में मगध के कई कलाकाराें ने अलग-अलग विधाओं में स्थान पाया है, जिन्हें राज्य की आेर से राष्ट्रीय युवा महाेत्सव में भाग लेने के लिए भेजा जायेगा. इन्हीं कलाकाराें में आैरंगाबाद की आस्था सिन्हा व गया के मनीष कुमार पाठक भी शामिल हैं, जाे आज इस मंच पर अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि विश्व में गया की पहचान सिर्फ पर्यटन व धर्म के क्षेत्र में न हाे, बल्कि कला-संस्कृति के क्षेत्र में भी हाे, ऐसी कोशिश करने की जरूरत है. पूरे विश्व से लाेग गया आयें, ताे यहां की कला-संस्कृति व स्थानीय कलाकाराें काे भी जानें. श्री सिंह ने कहा कि गया में रेनेसांस जैसा ही 300 गुणा 200 वर्गफुट का एक अत्याधुनिक अॉडिटाेरियम का निर्माण कराया जायेगा. इसके लिए कला-संस्कृति विभाग की आेर से जिला प्रशासन से स्थल चयन कर मांगा गया है. कला-संस्कृति विभाग कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर (सांस्कृतिक संसाधन) से सूबे को संपन्न करना चाहता है. उन्हाेंने कहा कि पटना के बाहर भी कलाकाराें काे माैका मिले, इसके लिए महीने के किसी भी सप्ताह में प्रमंडल स्तर पर शुक्रगुलजार व शनिबहार कार्यक्रम हाे, ऐसा प्रयास है. प्रमंडलीय आयुक्त वंदना किनी ने कहा कि सभ्यता के साथ कला-संस्कृति का विकसित हाेना भी अनिवार्य है, तभी सही विकास हाे पायेगा. मगध समेत पूरे बिहार के लोगों में क्षमता काफी है, जिसे विकसित करने की जरूरत है. समाज का मानक कला-संस्कृति की संपन्नता से ही पता चलता है. सरकार यहां के कलाकाराें को एक प्लेटफॉर्म देकर इस प्रयास में है कि ये अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर भी अपने फन का जादू बिखेर सकें. मुख्य अतिथि डीआइजी रत्न संजय ने कहा कि कल्चरल एक्टिविटी से समाज हाे रहे वायलेंस (हिंसा) काे दूर किया जा सकता है. यह स्वस्थ समाज का परिचायक है. इस कड़ी काे जारी रखने की जरूरत है. डीएम कुमार रवि ने कहा कि भागदाैड़ की इस जिंदगी में कला-संस्कृति की काफी महत्व है. इससे नयी ऊर्जा मिलती है. संगीत वह माध्यम है, जिससे विशाद व वैमनस्य दूर हाे जाता है. संगीत से शांति व एक दिशा भी मिलती है. यह हर किसी के जीवन के लिए अनिवार्य है. गया के लिए गाैरव की बात है कि साल का पहला कार्यक्रम करने का माैका मिला. इस माैके पर जिला वन पदाधिकारी डॉ के नेशमणि, विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह, लखनऊ की निमिषा, राजेंद्र सिजुआर, इंडिया पावर के एजीएम राकेश रंजन व अधिवक्ता शिववचन सिंह आदि माैजूद थे. अतिथियाें काे डीएम ने प्रतीक चिह्न भी भेंट किये. धन्यवाद ज्ञापन कला-संस्कृति विभाग के निदेशक सत्यप्रकाश मिश्रा ने किया. मंच का संचालन सुरेंद्र वर्मा ने किया. कलाकाराें ने बिखेरा अपनी आवाज का जादूशनिबहार कार्यक्रम में सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत इलाहाबाद से संगीत में प्रभाकर की उपाधि प्राप्त आैरंगाबाद की गायिका आस्था सिन्हा के देवी गीत ‘निमिया के डांढ़ मइया…’, से हुआ. इसके बाद झूमर ‘निमिया पतइया झड़ जाला, अंगनवां कइसे बहारू…’ ने ताे खूब तालियां बटाेरीं. फिर ‘हमरा आम-अमरइया बड़ा नीक लागेला..’ आैर कजरी ‘पिया सावन के कजरी सुनावे चल, झुलुवा झुलावे चल न..’ ने ताे दर्शकाें काे झूमने पर मजबूर कर दिया. इसके बाद कामेश्वर पाठक व राजन सिजुआर के शिष्य गया के मनीष कुमार पाठक ने जब चंदन दास की गजल ‘खुदा का जिक्र करें या तुम्हारी बात करें…’ की प्रस्तुति दी, तो दर्शक दीर्घा वाह-वाह कह उठा. फिर गजल सम्राट गुलाम अली की ‘ आ गयी याद, शाम ढलते ही, बुझ गया दिल चिराग जलते ही..’, ‘तेरी बात ही सुनाने आये हैं, दाेस्त ही दिल भी दुखाने आये हैं…’ व ‘ वाे कभी मिल जाये ताे क्या कीजिए, रात-दिन सूरत काे देखा कीजिए…’ ने खूब वाहवाही लूटी. अंत में उन्होंने मेहंदी हसन की गजल भी गायी.

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