गया : लाेकसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग ने कई दिशा-निर्देश जारी कर दिये हैं. इनमें से अहम है प्रत्याशियों के चुनावी खर्च और उसका हिसाब. निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि नामांकन करने के साथ ही सभी अभ्यर्थियों को अपने चुनावी खर्च का हिसाब-किताब रखना होगा.
एक संसदीय क्षेत्र में निर्वाचन से संबंधित अधिकतम 70 लाख रुपये का खर्च निर्धारित किया गया है. लोकसभा चुनाव को लेकर समाहरणालय में बनाये गये मीडिया कोषांग से मिली जानकारी के मुताबिक प्रत्याशी को निर्वाचन से संबंधित सभी खर्च का हिसाब रखना ही होगा.
इसके लिए उन्हें जिला निर्वाची पदाधिकारी सह डीएम के पास से एक रजिस्टर दी जायेगी. इसी रजिस्टर का एक शैडो रजिस्टर एकाउंटिंग टीम के पास रखा जायेगा. नामांकन करने से लेकर वोट काउंटिंग तक के सभी खर्च प्रत्याशी को इस रजिस्टर में दर्ज करना है. आयोग का स्पष्ट निर्देश है कि वैसे कोई भी खर्च जो नामांकन से पहले किये गये हों,और उसका संबंध चुनाव से ही है, तो उसे भी चुनावी खर्च माना जायेगा और रजिस्टर में दर्ज करना होगा.
नौ अप्रैल से पहले तीन बार करानी होगी जांच जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीएम अभिषेक सिंह के मुताबिक हर प्रत्याशी को एक बैंक में खाता रखना होगा, जिसमें केवल चुनाव से ही संबंधित रुपयों के लेन देन होंगे. इसके अलावा उस खाते में और कोई भी लेन देन नहीं करना है. प्रत्याशियों द्वारा किये गये खर्च का हिसाब किस दिन होगा यह एक्सपेंडिचर आॅबजर्वर तय करेंगे. 29 मार्च से नौ अप्रैल के बीच प्रत्येक अभ्यर्थी को अपने खर्च की तीन बार जांच करा लेनी होगी.
चुनावी खर्च में प्रत्याशी किसी भी प्रकार की हेराफेरी नहीं कर सकें इसके लिए अकाउंट की टीम ने विभिन्न पदाधिकारियों के साथ मिल कर एक ग्रुप तैयार किया है. यह ग्रुप प्रत्याशियों द्वारा किये जा रहे हर खर्च पर नजर रखेगा और शैडो रजिस्टर में दर्ज करेगा. प्रत्याशी के रजिस्टर की जांच के वक्त अकाउंट की टीम के पास रहे शैडो रजिस्टर को भी रखा जायेगा और दोनों को मिलाना होगा.
गौरतलब है कि चुनाव से संबंधित खर्च की जांच के लिए मतदान तिथि के बाद एक बार फिर से दिन तय किया जाता है. एक्स्पेंडिचर आॅबजर्वर इसे मतगणना के 25 वें दिन तय करते हैं. चुनाव परिणाम की घोषणा के 90 दिनों के अंदर प्रत्याशी को अपने खर्च की जांच करा लेना आवश्यक है.