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गया : बगैर इल्म के कुछ भी मुमकिन नहीं

गया : करबला में रविवार को नौ बजे दिन में ज़िक्र-ए-रसूल-ए पाक का आयोजन किया गया़ इस जलसे में सुन्नी उलिमा, शिया के उलिमा और हिंदू विद्वानों ने सिराते पाक के हवाले से अपने खयालात का इज़हार किया. यह प्रोग्राम आपसी खलीज को पाटने की बेहतर कोशिश है. मोहम्मद साहब ने इंसान को इंसान से […]

गया : करबला में रविवार को नौ बजे दिन में ज़िक्र-ए-रसूल-ए पाक का आयोजन किया गया़ इस जलसे में सुन्नी उलिमा, शिया के उलिमा और हिंदू विद्वानों ने सिराते पाक के हवाले से अपने खयालात का इज़हार किया. यह प्रोग्राम आपसी खलीज को पाटने की बेहतर कोशिश है.
मोहम्मद साहब ने इंसान को इंसान से मोहब्बत करने की हिदायत दी है. इस जलसे का आगाज़ हाफिज चांद मदनी ने तिलावत-ए-कलाम-ए पाक से किया. इसके बाद सुल्तान रज़ा बरेलवी ने अपनी सुरीली आवाज से नात शरीफ का नज़राना पेश किया, जिसे सामईन ने बहुत सराहा. पहले मुक़रीर मौलाना मुफ़्ती मोहम्मद फ़ुजैल अशरफ नईमी ने मोहम्मद साहेब की हयात व ख़िदमात और आवसाफ़ बयान किया और बताया कि मौजूदा हालात में मसलकी चपकलिश को छोड़ कर एक उम्मते मुसलमां को एक ही सफ़ में खड़े होने की ज़रूरत है.
ज़ोहर की जमात काफी तादाद में शिया और सुन्नी दोनों मसलक के लोगों ने एक साथ बजमात नमाज़ अदा की. बाद नामज़ ज़ोहर दूसरे मुक़रीर मौलाना सयैद तसलीम रज़ा नक़वी पेश इमाम शिया मस्जिद गया ने जलसेे से खिताब करते हुए कहा कि रसूल-ए-पाक मोहम्मद साहब के बताये हुए रास्ते पर चलते हुए अपनी ज़िंदगी को एयर कामियाब बनाया जा सकता है उन्होंने आगे कहा की हमारे नबी ने 1400 साल पहले ही इस्लाम में इल्म और तालिम हासिल करने पर ज़ोर दिया था.
आज सारी दुनिया महसूस कर रही है के बगैर इल्म के कुछ भी मुमकिन नहीं. आखिर में दिल्ली यूनिवर्सिटी से आये हुए प्रोफेसर राहुल कुमार ने बताया कि मोहम्मद साहब के सिद्धांत पर चलने और उनके इख़लाक़ और किरदार के हवाले से कई मिसाल पेश कीं और उनके बताये हुए रास्ते पर अमल करने पर बल दिया.
जलसे के आखिरी दौर में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि सदर एसडीओ सूरज कुमार सिन्हा, विशिष्ट अतिथि सिटी डीएसपी राजकुमार साह, गया नगर निगम के मेयर गणेश पासवान और डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव ने गया ज़िले के आपसी समरसता और भाईचारे की संस्कृति को ज़िंदादिली से जीने के लिए गया वासियों की तारीफ की और कार्यक्रम के आयोजक और डॉ सयैद शाह शब्बीर आलम क़ादरी
को इस तरह के सामाजिक समरसता और भाईचारे को बढ़ाने वाला कार्यक्रम आयोजित करने के लिए धन्यवाद दिया और तारीफ की.
जनसेवा ही प्रशासन का असली कर्म : एसडीओ
एसडीओ ने कहा कि प्रशासन का कोई धर्म नहीं होता और जनसेवा ही प्रशासन का असली कर्म है. अतिथियों और विद्वानों को पुलिस पदाधिकारियों और वाॅलंटियर्स ऑफ़ करबला एवं रोटरी क्लब के सदस्यों को मुहर्रम, पितृपक्ष, दशहरा और छठ पर्व पर बेहतरीन कार्यों के लिए प्रशस्ति पत्र वितरित किये गये.
इस जलसे में अमान अली ने नात पढ़ कर लोगों के दिलों को छू लिया. जलसे की नेज़मत डॉ सैयद शाह शब्बीर आलम क़ादरी ने की और जलसे में शरीक ओलिमा व सामाईन का शुक्रिया अदा किया. जलसे में इमामबाड़ा ट्रस्ट बोर्ड के मेंबर सैयद हैदर अली भी शरीक थे. इसके इलावा मानव एकता एवं कल्याण समिति के सदस्य व वाॅलंटियर ऑफ़ करबला के लोग मौजूद थे.

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