21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

उत्तर बिहार में धान के खेतों में फटी दरार, सूख रहे धान के पौधों को देख किसान चिंतित, नलकूप वर्षों से बंद

कम वर्षा होने के कारण जाले प्रखंड क्षेत्र के धान के खेतों में दरारें फट गयी हैं. धान की फसल सूखने के कगार पर पहुंच गयी है. किसान परेशान हैं. बारिश नहीं होने से किसानों को चिंता सता रही है. कुछ लोगों ने धान की रोपनी तो कर दी, लेकिन अब फसल पर संकट खड़ा हो गया है.

कमतौल (दरभंगा). कम वर्षा होने के कारण जाले प्रखंड क्षेत्र के धान के खेतों में दरारें फट गयी हैं. धान की फसल सूखने के कगार पर पहुंच गयी है. किसान परेशान हैं. बारिश नहीं होने से किसानों को चिंता सता रही है. कुछ लोगों ने धान की रोपनी तो कर दी, लेकिन अब फसल पर संकट खड़ा हो गया है. आर्द्रा नक्षत्र होने के बावजूद धान के खेतों में पड़ी दरारें, मुरझाए पौधे व उड़ते धूल देख किसानों का कलेजा फट रहा है.

धान की फसल में पानी देना उनके वश में नहीं

महंगाई की दौर में पंपसेट के सहारे धान की रोपनी व खाद का इंतजाम करने में किसानों की जेब इस कदर ढीली हो गई है कि अब धान की फसल में पानी देना उनके वश में नहीं रह गया है. सूख रही धान की फसल को बचाये रखने के लिए कोई उपाय भी नजर नहीं आ रहा है. अहियारी के जानकी रमण ठाकुर, किशोरी मंडल, उमाशंकर ठाकुर, विजय ठाकुर आदि किसानों ने बताया कि अब तक धान की फसल पर प्रति बीघा आठ हजार रुपये खर्च हो चुके हैं. अब और खर्च करने की क्षमता नहीं रही. वर्षा नहीं हुई तो लाभ की बात तो दूर, पूंजी भी डूब जाएगी. किसान अन्न के लिए तरस जायेंगे.

सभी नलकूप वर्षों से खराब पड़े हैं

जाले प्रखंड में कहने को तो कई सरकारी नलकूप हैं. लेकिन अधिकांश शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है. एक-दो को छोड़ सभी नलकूप वर्षों से खराब पड़े हैं. जो चालू हालत में हैं. उससे सभी किसानों के खेतों की सिंचाई समय से संभव नहीं है. सरकारी नलकूप को चालू करने के लिए सरकारी स्तर पर किये गये प्रयास भी कारगर साबित नहीं हुआ. नतीजतन आज भी किसानों को निजी पंपसेट का सहारा लेना पड़ता है. आर्थिक रूप से संपन्न किसान तो अपने खेतों की सिंचाई पंपसेट से कर लेते हैं. लेकिन छोटे किसानों के लिए सिंचाई एक बड़ी समस्या बनी हुई है. उन्हें भगवान के भरोसे ही रहना पड़ता है. खेतों में पड़ी दरारें व सूख रही फसल से किसानों के चेहरे की रौनक गायब होने लगी है.

प्रखंड में मौसम की मार से किसान बेजार

कमतौल. मौसम की बेरुखी के चलते किसानों का संकट लगातार गहराता जा रहा है. गत वर्ष अतिवृष्टि के कारण धान की फसल मारी गयी. बाद में जैसे-तैसे किसानों ने रबी फसल की बोआई की. असमय बारिश व पछुआ हवा का असर गेहूं की फसल पर भी पड़ा. उत्पादन कम होने से खेती घाटे का सौदा साबित हुआ. इसके बाद अप्रैल-मई महीने में होने वाली बारिश से मूंग की फसल चौपट हो गयी.

धान की फसल पर भी संकट के बादल

अब बारिश की कमी से धान की फसल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. यदा-कदा हुई हल्की बारिश सूखे पड़े खेतों में नमी नहीं ला पायी. एक ओर पानी के अभाव में खेतों में लगे बिचड़े सूखने लगे हैं. काफी अंतराल के बाद दो दिन बारिश हुई. इससे आम लोगों सहित खेतों को भी थोड़ी राहत मिली, लेकिन वह बारिश धान की खेती के लिए पर्याप्त नहीं थी. ऐसे में एक ओर प्रकृति की मार व दूसरी और विभागीय उदासीनता से त्रस्त किसान अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें