Darbhanga News: सदर. राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र अब बिहार की सीमा से बाहर मखान की खेती को विस्तार देने के क्रम में केंद्र द्वारा मंगलवार को विशेष प्रशिक्षण आयोजित किया गया. इसमें मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के 30 कृषकों व उद्यमियों को मखान उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन से जुड़ी आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया. मध्यप्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रायोजित इस ट्रेनिंग में एमपी नर्मदापुरम और महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिलों के किसानों ने भाग लिया. कार्यक्रम की अगुआई केंद्र प्रभारी व कार्यक्रम आयोजक डॉ आइएस सिंह ने किया. उन्होंने प्रतिभागियों को मखान उत्पादन की समस्त शृंखला नर्सरी प्रबंधन, पौध तैयार करना, बीज निकासी और जल प्रबंधन की आधुनिक तकनीकी की जानकारी दी. डॉ सिंह ने प्रशिक्षुओं को अनुसंधान केंद्र स्थित खेतों में ले जाकर प्रत्यक्ष रूप से मखान उत्पादन की प्रक्रिया दिखायी. वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार ने दक्षिणी-पूर्वी मध्यप्रदेश के जलवायु और मृदा की उपयुक्तता का हवाला देते हुए मखान की खेती के विस्तार की संभावनाओं पर प्रकाश डाला. बताया कि बिहार के बाहर अब मखाना की खेती उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में भी तेजी से फैल रही है. वर्तमान में मखान की खेती भारत में लगभग 40 हजार हेक्टेयर में हो रही है. यह अगले दस वर्षों में बढ़कर चार लाख हेक्टेयर तक पहुंच सकती है. इससे भारत वैश्विक बाजार में मखान का प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन सकता है. उन्होंने सतही जल या प्राकृतिक जल स्रोतों वाले क्षेत्रों में ही मखान की खेती करने की सलाह दी. आरके राउत ने मखान के प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और विपणन की जानकारी दी. मखान प्रसंस्करण में उपयोग होने वाली आधुनिक मशीनों का लाइव प्रदर्शन किया. कार्यक्रम के सह-आयोजक डॉ वीके पडाला ने संचालन व डॉ एसबी तराते ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
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