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Darbhanga News: साहित्य अकादेमी के कार्यक्रम से युवा पीढ़ी को कराया गया मिथिला की संस्कृति से परिचय

Darbhanga News:प्रधानाचार्य ने कहा कि यह गौरव की बात है कि पहली बार इस कॉलेज में मैथिली के संवर्धन व संरक्षण के लिए कार्यक्रम का आयोजन हुआ है.

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Darbhanga News: बिरौल. जनता कोशी कॉलेज, बिरौल परिसर में साहित्य अकादेमी नई दिल्ली के सौजन्य से आयोजित मैथिली कवि सम्मेलन का उद्घाटन कॉलेज के प्रधानाचार्य सूर्यनारायण पांडेय, मैथिली साहित्यकार नीता झा व ज्योति भास्कर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. साहित्य अकादेमी व जेके कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में कॉलेज सभागार भवन में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान कॉलेज के प्रधानाचार्य ने कहा कि यह गौरव की बात है कि पहली बार इस कॉलेज में मैथिली के संवर्धन व संरक्षण के लिए कार्यक्रम का आयोजन हुआ है. उन्होंने दूर-दूर से आये कवियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि इससे मिटती जा रही मिथिला की पहचान को मजबूती मिलेगी. साथ ही मैथिलों के बीच जागरूकता के लिए यह ठोस पहल साबित होगा.

इस अवसर पर मैथिली कवि ज्योति भास्कर ने मिट्टी, पानी और प्रकृति पर बोलते हुए कहा कि बिना मिट्टी-पानी व प्रकृति से पूरे सृष्टि का मानव जीवन चल रहा है. प्रकृति के साथ छेड़छाड़ होने पर पृथ्वी कभी भी विलुप्त हो सकती है. मैथिली कवि अब्दुल कादिर साकी ने मिथिला धाम पर चर्चा करते हुए कहा कि माथा के चंदन, कुर्ता-पगड़ी, खेत-खरिहान, गेहूं-धान और आम के चटनी से ही मिथिला धाम की पहचान है. उन्होंने कहा कि यहां की मछली, पान, मखान और मधुर बोल की हर जगह चर्चा होती है. संचालन करते हुए किसलय कृष्ण ने कहा कि यह मैथिली का कार्यक्रम हमारी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने व अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास है. मौके पर नंदिनी, कामिनी, ज्योति मिश्र, सुशांत सिंह, मेनका मल्लिक, दिलीप कुमार झा, दीपक मंडल, नटवर चौधरी आदि ने भी अपनी रचनाएं पढ़ी.

मैथिली भाषा आ संस्कृति केर विकास आ सम्मान हमर सबहक दायित्व

हमर मातृभाषा मैथिली हमर परिचय अछि. एही भाषा सं हम अपन भावना प्रकट करैत छी. मैथिली संस्कृति आ सभ्यता केर मूल आधार अछि. स्थानीय भाषा के संरक्षण हमर कर्तव्य अछि.

-रेखा कुमारीमैथिली हमर जीवन केर अभिन्न हिस्सा अछि. ई भाषा में अपनत्व आ आत्मीयता भेटैत अछि. स्थानीय भाषा सं लोकक जुड़ाव बनल रहैत छै. एही कारणें मैथिली के बचेनाइ अति आवश्यक अछि.

-कंचन कुमारीहमर भाषा हमर आत्मा अछि, मैथिली ओकर स्वर छै. स्थानीय बोली सं गाम-समाज में अपन मेलजोल बनल रहैत छै. मैथिली भाषाक माध्यम सं हम अपन इतिहासकें जानैत छी. ई भाषाक विकास आ सम्मान हमर सबहक दायित्व अछि.

-गायत्री कुमारी

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