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\\\\टं३३ी१त्र/ू/रकैंपस- संस्कृत विवि में सजेगी ग्रह, नक्षत्र व राशि की बगिया \\\\टं३३ी१त्र/रॅॅस्वामी पौधों के बावत आम जन को मिल सकेगी जानकारीशोधार्थियों को मिलेगी नई राहसूबे में अनोखी होगी संस्कृ त विवि की यह वाटिकाफोटो- 17 व 18 परिचय- नवग्रह वाटिका एवं राशि व नक्षत्र वाटिका के लिए तैयार स्थल दरभंगा : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय मुख्यालय परिसर में कुलपति डा. देवनारायण झा के निर्देश पर तीन वाटिकाओं का निर्माण करवाया जा रहा है. इन तीनों वाटिकाओं का नामकरण भी सुनिश्चित कर लिया गया है. यह वाटिकाएं सामान्य नहीं होगी. इसके निर्माण कार्य पूर्ण होकर अस्तित्व में आने के बाद यह वाटिका सूबे ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर गिने चुने वाटिकाओं मे से अलग पहचान विखेड़ती नजर आयेगी. ये वाटिकाएं आमजनों के साथ साथ ग्रह, राशि एवं नक्षत्रों आदि की शिक्षा प्राप्त करनेवाले छात्रों, शोधार्थियों एवं विशेषज्ञों के लिए एकत्रित जानकारी के साथ काफी लाभकार सिद्ध होगा. हालांकि इन वाटिकाओं की चर्चा अभी तक लोग सिर्फ गं्रथों में ही पढ़ते रहे हैं, लेकिन इन वाटिकाओं को अस्तित्व मंंे आने के बाद साक्षात होने का भी अवसर प्राप्त होगा जो वर्त्तमान पीढ़ी को इसके बारे में जानने, शोध करने की रुचि को संवर्धित करने में सहायक सिद्ध होगा. इससे साक्षात्कार होने के लिए लोगों को लंबे समय का इंतजार करने की जरुरत नहीं है. बल्कि महत दस दिनों का देर है. इस वाटिका को अस्तित्व में लाने में एक से दो माह लगने की संभावना है. नामकरण के मुताबिक पहली वाटिका पीजी भवन के सामने होगी जिसमें जो नवग्रह वाटिका के नाम से जानी जायेगी. इसका निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. इसमें नौ ग्रहों से संबंधित पौधे लगाये जायेंगे. इसी तरह दूसरी वाटिका केंद्रीय पुस्तकालय के सामने स्थित गोलंबर में होगी. जिसका नाम राशि नक्षत्र वाटिका होगा. जिसमें 12 ग्रहों एवं 27 नक्षत्रों से संबंधित पौधे लगाये जायेंगे. इसका निर्माण कार्य भी अंतिम चरण में है. इसके अलावा तीसरी वाटिका विवि के मुख्यालय भवन के सामने होगा जिसका नाम राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) वाटिका होगी. इसमें उन सभी दुर्लभ पौधे को संजोये जाने की योजना है. जिसके बारे में औसतन लोग जानते भी नहीं हैं. लेकिन उसका महत्व मानव जीवन के लिए बहुत अधिक है. इसका निर्माण कार्य भी अंतिम चरण में है. इन तीनों वाटिकाओं का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए कुलपति के निर्देश पर ग्रह, राशि एवं नक्षत्र की जानकारी के साथ पौधा के संंबंध मे ं भी जानकारी रखने वाले शिक्षा कर्मियों क ी कमिटी बनायी जा चुकी है .जो कमिटी पूर्वकुलपति डा. रामचंद्र झा की अध्यक्षता में गठित की जा चुकी है. इसमें पीजी ज्योतिष विभाग के सेवानिवृत डा. उदिष्ट नारायण झा, डा. चित्रधर झा, साहित्य विभाग के डा. श्रवण कुमार चौधरी, आयुर्वेद कॉलेज के डा. डीपी शर्मा एवं मदन राय को रखा गया है. इसके निरीक्षण एवं पर्यवेक्षण की जिम्मेवारी कुलपति ने विवि के एनएसएस समन्वयक सह प्रभारी भू संपदा पदाधिकारी डा. सुधीर कुमार को सौंपी है. इनके देख रेख में इन सभी वाटिकाओं का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. इसके लिए ग्रह, राशि एवं नक्षत्रों से संबंधित पौधे मंगवा लिये गये हैं. इसे सुरक्षित रखा जा चुका है. डा. सुधीर कुमार झा ने कहा कि वाटिकाओं में लगाये जाने वाले पौधा के साथ उसका नाम ग्रह, राशि एवं नक्षत्र से संबंधित नाम लिखी पट्टी होगी. उसमें मानव के नाम का प्रथम अक्षर भी अंकित होगा. जिसे देख उस राशि के नाम वाले व्यक्ति अपने पौधा को पहचान कर उसके उपयोग के आधार पर उसका लाभ उठा सकेंगे. डा. श्रवण कुमार चौधरी : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्रृष्टि की उत्पत्ति के समय से ग्रह, राशि एवं नक्षत्र क ा प्रभाव मानवजीवन पर पड़ता आ रहा है. पृथ्वी पर जीवन संवर्द्धन के क्रम मंे इसका प्रभाव रहा है. जो एक दूसरे से अन्योन्याश्रय रुप से जुड़ा है. पृथ्वी के विकास एवं विनाश के साथ इनका अन्योन्याश्रय संबंध है. मानव के कल्याण के लिए वनस्पतियोंं का संरक्षण आवश्यक है. जिस तरह से वनस्पतियों में भिन्नता है उसी तरह मानव के जन्म के आधार पर नाम और नाम के आधार पर भिन्नता स्वभाविक है. पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी संतुलन के आधार के लिए इनका संरक्षण का विशेष महत्व है. प्रत्येक मानव ग्रह नक्षत्र शास्त्र के अनुसार अपने नाम अक्षर के समरुप यदि वनस्पतियों का संरक्षण करेंगे तो वनस्पति एवं मानव दोनांे का संवर्द्धन होगा. यदि भूल से भी उन वनस्पतियों को काटा जाता है तो उसका दुष्प्रभाव मानव पर भी पड़ेगा. डा. चित्रधर झा : ग्रह, राशि एवं नक्षत्रों का समन्वित स्वरुप होगा निर्माण किया जा रहा वाटिका. किन किन नक्षत्रों की क्या राशि होती है और वह राशि किन किन ग्रहों का सूचक होता है का सारा विवरण इस वाटिका में सुसज्जित होगा. कोई अनभिज्ञ व्यक्ति भी ग्रह, नक्षत्र एवं राशि का समन्वित संबंध स्वरुप का दिग्दर्शन कर समझ सकते हैं कि इन तीनों का किनके साथ क्या संबंध है. जैसे चूचेचोल यह अश्विन नक्षत्र का वर्णाक्षर है. यदि अश्विन नक्षत्र चारों चरणों में से किसी का जन्म होता है तो इन वर्णाक्षरों के क्रमश: वर्ण ही उनका उनकी राशि होगी. इन वर्णों का मालिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल है. इस प्रकार 12 राशि 27 नक्षत्र एवं 9 ग्रहों का परस्पर संंबंधित स्वरुप ग्रह वाटिका में दिग्दर्शित होगा. इन सबों का शास्त्र केअंतर्गत तात्विक विवेचना भी किया गया है. जैसे मेष, वृश्चिक राशि का मालिक मंगल अग्नि तत्व का सूचक है. इसकी कमी या अधिकता से पीलिया रोग की संक्रामक ता बढ़ जाती है. धनु और मीन राशि का स्वामी वृहस्पति है जो आक ाश तत्व का सूचक है. शंका, संदेह, विभ्रम आदि इनके गुण है. अत: वृहस्पति के कमी या अधिकता से आकाशीय तत्व संबंधी हृदय रोग की बीमारी होती है. मकर और कुंभ राशि का मालिक शनि है. यह वायु तत्व सूचक है. इसकी न्यून या अधिकता से पैरालाइसिस जैसी बीमारी होती है. कन्या और मिथुन राशि का मालिक बुद्ध होता है. यह पृथ्वी तत्व का सूचक है. इसकी कमी या अधिकता से लीवर संबंधी बीमारी होती है. सिंह राशि का मालिक सूर्य होता है. जो आत्म तत्व है. इसकी गड़बड़ी से हृदय कमजोर होता है एवं आत्मबल में कमी आती है तथा शरीर में कंपन हुआ करता है. हृदय रोग का कारक भी यही है. कर्क राशि का मालिक चंद्रमा है जो शीत प्रधान है. छोटे बच्चों के लिए बालारिष्ट में इसकी गणना की जाती है. वृष और तुला राशि का मालिक शुक्र है. यह शुक्र जल तत्व का सूचक है. इसकी कमी या अधिकता से फाइलेरिया बीमारी होता है. इन सबों का वर्णन ग्रह वाटिका में दिग्दर्शित होगा. आधुनिक विज्ञान के आधार पर यह वाटिका पूर्ण वैज्ञानिक है. अभी जो विश्व में ग्लोबल वार्मिंग चल रहा है इसके मूल में ग्रह राशि एवं नक्षत्र से संबंधित वृक्षों का रख रखाव शास्त्र विधि के अनुरुप नहीं हो रहा है. जिसके कारण पर्यावरण खतरे में है.

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