22.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सफरनामा ….एकेडमिक कैलेंडर को पूरा करने की कवायद में बीता साल

सफरनामा ….एकेडमिक कैलेंडर को पूरा करने की कवायद में बीता साल लेखा-जोखा : प्रारंभिक से उच्च माध्यमिक शिक्षा मेें गुणवत्ता लुंजपुंज स्थिति में आठ लाख बच्चों की शिक्षा पर कुठाराघात दरभंगा. प्रारंभिक से उच्च माध्यमिक तक की शिक्षा में गुणवत्ता लाने के प्रयास में इस वर्ष जिला को आंशिक सफलता मिली. प्रारंभिक शिक्षा में आरटीइ […]

सफरनामा ….एकेडमिक कैलेंडर को पूरा करने की कवायद में बीता साल लेखा-जोखा : प्रारंभिक से उच्च माध्यमिक शिक्षा मेें गुणवत्ता लुंजपुंज स्थिति में आठ लाख बच्चों की शिक्षा पर कुठाराघात दरभंगा. प्रारंभिक से उच्च माध्यमिक तक की शिक्षा में गुणवत्ता लाने के प्रयास में इस वर्ष जिला को आंशिक सफलता मिली. प्रारंभिक शिक्षा में आरटीइ के अधिकांश मानकों का पालन नहीं हो सका. माध्यमिक शिक्षा में कुछ हद तक शिक्षकों की कमी को पाटा गया तो उच्च माध्यमिक विद्यालयों के अधिकांश महत्वपूर्ण विषयों के 665 शिक्षक पद खाली रह गये. प्रौढ़ शिक्षा साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत लोक शिक्षण केंद्र के माध्यम से महापरीक्षा को लेकर साक्षर करने का दावा भी जारी रहा. निजी विद्यालयों की मनमानी व सरकार से जिच के कारण गरीब छात्रों के 25 प्रतिशत नामांकन की खानापूरी होती रही. सीबीएसइ के लाख प्रयास के बावजूद फीस में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी, पाठ्य-पुस्तक व ड्रेस बदलने का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा. अभिभावक खिन्न तो निजी संस्थान मालामाल होते रहे. कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण नहीं लग सका. निजी विद्यालयों के संबंधन का मामला लालफीताशाही में अटका रहा. भूकंप त्रासदी, चुनाव कार्य, शिक्षकों के आंदोलन व गैर शैक्षणिक कार्य के कारण विद्यालयों का एकेडमिक कैलेंडर चरमराता रहा. जिले के दस लाख छात्र-छात्राओं की पढ़ाई की निर्भरता प्राइवेट ट्यूशन अथवा कोचिंग पर बढ़ती गयी. इसके बावजूद जिले के मेधावी छात्रों ने कई क्षेत्रों में जिला का परचम लहराते रहे. कुल मिलाकर जिले में आठ लाख बच्चों की शिक्षा हाशिये पर रही.प्रारंभिक शिक्षा : आरटीइ के मानकों से कोसों दूर 6-14 आयु वर्ग के बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा बदहाल रही. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 6 लाख बच्चों का मिड लाइन टेस्ट अथवा अन्य सर्वेक्षणों में गुणवत्ता शिक्षा का अच्छा चेहरा सामने नहीं आया. पोषक क्षेत्र में प्राथमिक विद्यालयों की पहुंच, वर्ग कक्ष, उपस्कर के कमी को बहुत हद तक तो पाटा गया, किंतु अभी भी बच्चे स्कूल टाइम में गली-कुचिायों, टोलों-मुहल्लों मेंं खेलते अथवा मटरगश्ती करते खेतों-खलिहानों में दिखते हैं. शिक्षा के अधिकार के प्रति जागरूकता शिक्षकों में पढ़ाने की प्रवृत्ति, सरकार की नीति अथवा जनप्रतिनिधियों अथवा अभिभावकों की संवेदनहीनता विद्यालय की लचर शिक्षण व्यवस्था में बदलाव नहीं लाया जा सका. वही प्राइवेट स्कूलों में नामांकन के प्रति अभी भी क्रेज बरकरार है. इन विद्यालयों में पठन-पाठन के लिए मानक के अनुसार अधिकांश शिक्षक नहीं हैं, किंतु इन स्कूलों के ताम-झाम अभिभावकों को लुभा रहे हैं. प्रारंभिक शिक्षा व्यवस्था शिक्षा के अधिकार (आरटीइ) के कई मानकों पर खड़े नहीं उतर रहे हैं. उच्च प्राथमिक कक्षाओं में विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी, मध्य विद्यालयों में पूर्णकालिक प्रधानाध्यापक, बालिकाओं के अलग शौचालय, पठन-पाठन में बच्चों व शिक्षकों की अरूचि, एकेडमिक कैलेंडर का अनुपालन, शिक्षा अधिकारियों के मॉनिटरिंग आदि ऐसे तथ्य हैं जो इस स्तर की शिक्षा में गुणवत्ता लाने में बाधा बने हुए हैं. हालांकि इस वर्ष नियोजित शिक्षकों को वेतनमान देकर सरकार ने एक बड़ा मानसिक तनाव से शिक्षा की धुरी को मुक्त किया है. माध्यमिक शिक्षा : पटरी पर लाने की कवायद प्रत्येक पंचायत में माध्यमिक विद्यालयों को खोलने की कवायद चल रही है. इन विद्यालयों में अधिकांश शिक्षकों का पद इस वर्ष की नियोजन प्रक्रिया में भरे गये. माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत वर्ग कक्ष की कमी सहित अन्य संसाधन जुटाये जा रहे हैं. बालिकाओं को प्रोत्साहित करने की सरकारी योजनाओं यथा पोशाक, छात्रवृत्ति, साइकिल आदि का असर इनके नामांकन दर पर देखा जा रहा है. विद्यालयों में पूर्णकालीन प्रधानाध्यापक का पदस्थापन किया गया है, किंतु जिन मध्य विद्यालयों का उत्क्रमण कर उच्च विद्यालय का दर्जा दिया गया है, उसपर काम करने की अभी भी जरूरत है. इन विद्यालयों में प्रयोगशाला, लाइब्रेरी, वर्ग कक्ष आदि की कमी अभी भी बरकरार है. उच्च माध्यमिक शिक्षा : 665 शिक्षकों का पद खालीकॉलेजों में उच्च माध्यमिक कक्षाओं की पढ़ाई पूर्व की तरह चल रही है, किंतु जिले के प्राय: उच्च माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की घोर कमी है. भौतिकी, गणित, अंग्रेजी जैसे महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक नहीं है, जिस कारण इन कक्षाओं के छात्र-छात्राओं की निर्भरता प्राइवेट ट्यूशन एवं कोचिंग संस्थानों पर है. जिले के 79 माध्यमिक विद्यालयों को विगत के कुछ वर्षों में उच्च माध्यमिक कक्षा का दर्जा मिला, किंतु इन विद्यालयों में प्रायोगिक कक्षा चलाने के लिए प्रयोगशाला, लाइब्रेरी, कॉमन रूम, वर्ग कक्ष की भी कमी है. इस वर्ष भी इसपर ज्यादा काम नहीं हो सका. बॉक्स :::::::::::::::::शिक्षा पर एक नजर उपलब्धि 1. शिक्षा कार्यालयों के एक छत के नीचे होने का सपना साकार: जिला स्कूल में शिक्षा भवन बनकर तैयार 2. माध्यमिक विद्यालयों में अधिकांश शिक्षकों के पद भरे गये. 3. वार्षिक माध्यमिक व उच्च माध्यमिक परीक्षा का शांतिपूर्ण संचालन 4. माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों का वरीय व प्रवरण वेतनमान में एकमुश्त प्रोन्नति 5. माध्यमिक विद्यालयों केा मिले पूर्णकालीक प्रधानाध्यापक 6. एकमुश्त दस हजार नियोजित शिक्षकों का वेतन निर्धारण 7. प्रारंभिक विद्यालयों के भवन, उपस्कर आदि की कमी को काफी हद तक कमी दूर 8. कई शिक्षकाें को मिला राजकीय व राष्ट्रीय सम्मान निराशाजनक 1. 400 एचएम पद पर प्रोन्नत शिक्षकों का पदस्थापन नहीं 2. खाद्यान्न की कमी से मध्याह्न भोजन अनियमित 3. शिक्षकों को समय पर वेतन भुगतान नहीं हो सका4. विद्यालय से बाहर के सभी बच्चे मुख्य धारा से नहीं जुड़े सके5. वैकल्पिक शिक्षा की लुंजपुंज व्यवस्था 6. उच्च माध्यमिक व उच्च प्राथमिक के विषय विशेषज्ञ शिक्षक के अधिकांश पद खाली संभावनाएं 1. नियोजित शिक्षकों को बेहतर सेवा शर्त, स्थानांतरण, भविष्य निधि कटौती, प्रोन्नति आदि मिलने की उम्मीद 2. शिक्षक भवन, उपस्कर, प्रयोगशाला, लाइब्रेरी की कमी दूर होगी3. फर्जी शिक्षकों व इसमें संलिप्त रैकेटों का पर्दाफाश होगा4. सात लाख बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने की ओर कदम बढ़ेंगे 5. निजी व कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण हो सकेगा. 6. भवनहीन व भूमिहीन विद्यालयों को मिलेंगे छत 7. फर्श पर बैठकर पढ़ने की विवशता से मिलेगी मुक्ति 8. अभिभावकों व जनप्रतिनिधियों में बढ़ेगा विद्यालय के प्रति संवेदना कोट:::::::::::::स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा. यह अपनी जिम्मेवारी ईमानदारी से निभायेंगे तो यह लक्ष्य पाना मुश्किल नहीं होगा. शिक्षक कक्षा विनियमन से पूर्व पाठ की तैयारी करें. प्रमुख साधन सेवी व संकुल समन्वयक संकुल व प्रखंड स्तरीय कार्यशाला को विभागीय कार्य निपटाने में नहीं, बल्कि एकेडमिक चर्चाओं तक सीमित रखें. नियमित अनुश्रवण करें. शिक्षा महकमा का पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण का दायरा अकादमिक तथा विद्यालयीय समस्या के प्रति गंभीर हो. विद्यालय शिक्षा समिति व जनप्रतिनिधि स्कूल को घर समझेंगे तो यह एक आंदोलन को रूप लेगा. यही से हम लक्ष्य की ओर अग्रसर होंगे. शिक्षकों में निपुणता लाने के लिए प्रशिक्षण का सशक्त होना आवश्यक है. मूल्यांकन की प्रक्रिया व दक्षता सापेक्ष कक्षा में बच्चों का नामांकन आवश्यक है. डॉ सुभाष चंद्र झा, प्राचार्य, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान(डायट), दरभंगा शिक्षक विद्यालय को घर तथा बच्चों को पुत्र तुल्य समझेंगे. एचएम समन्वयक एवं प्रबंधन की जिम्मेवारी निभायेंगे. शिक्षा अधिकारी शिक्षकोें को प्रोत्साहित करेंगे. जनप्रतिनिधि विद्यालय के प्रति संवेदनशील होंगे तथा शिक्षा प्रशासन विद्यालय एवं शिक्षकाें की समस्याओं का त्वरित निष्पादन करेंगे तो विद्यालयीय शिक्षा में गुणवत्ता लाना आसान होगा. डॉ जगदीश प्रसाद गुप्ता, (राजकीय पुरस्कार से सम्मानित), प्रधानाध्यापक, प्लस टू सर्वोदय उच्च विद्यालय, दरभंगा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें