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आंधी-पानी के साथ ओलावृष्टि

दरभंगा : मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार बुधवार को मौसम का मिजाज बदल गया. झमाझम बारिश तो नहीं हुई, लेकिन तेज आंधी के साथ हुई बरसात ने ठंड को एक बार फिर बढ़ा दिया. इस दौरान जगह-जगह ओलावृष्टि भी हुई. हालांकि कम समय के लिए छोटे-छोटे ओला गिरे. इससे फसल को बहुत अधिक नुकसान […]

दरभंगा : मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार बुधवार को मौसम का मिजाज बदल गया. झमाझम बारिश तो नहीं हुई, लेकिन तेज आंधी के साथ हुई बरसात ने ठंड को एक बार फिर बढ़ा दिया. इस दौरान जगह-जगह ओलावृष्टि भी हुई. हालांकि कम समय के लिए छोटे-छोटे ओला गिरे. इससे फसल को बहुत अधिक नुकसान तो नहीं पहुंची, लेकिन दलहन व तेलहन को क्षति पहुंचने से किसानों में निराशा फैल गयी है. इधर बरसात की वजह से शहरी क्षेत्र में पूरे दिन जन-जीवन प्रभावित नजर आया. शहर की सड़कें कीचर से लथपथ हो गयी.

गेहूं, दलहन व तेलहन को नुकसान

सिंहवाड़ा. हल्की बारिश व छोटे-छोटे ओलावृष्टि होने से फसल को नुकसान नहीं हुआ है. बुधवार की सुबह करीब 10 बजे आई आंधी, पानी व ओलावृष्टि को देख किसान तो एकबारगी सहम गये, परंतु पत्थर का साइज इतना छोटा था कि फसल को नुकसान नहीं पहुंचा. सनहपुर, भरवाड़ा, भवानीपुर, हरपुर, सिंहवाड़ा, रामपुरा, सिमरी, माधोपुर, भराठी समेत सभी जगहों पर आंधी-पानी के साथ छोटे आकार के पत्थर गिरने की खबर है.

किसान विकास सिंह, मन्नू सिंह, गणेश चौबे, मुकेश तिवारी, विनय चौधरी, मिथिलेश यादव, रामचन्द्र भगत ने बताया कि ओलावृष्टि से मसुर, सरसों समेत दलहन व तेलहन की फूल लगे फसल को कुछ नुकसान पहुंचा है. किसानों का कहना था कि अगर और बारिश हुई तो गेहूं फसल को भी नुकसान पहुंचेगा.

आंधी व वर्षा से बढ़ी ठंड: तारडीह. आंधी-बारिश ने जहां ठंड बढ़ा दी है, वहीं कुछ फसल के लिए लाभदायक तो कुछ के लिए नुकसानदायक भी है. मूंग व गेहूं की खेती के लिए यह लाभदायक हुआ है. वहीं ओला गिरने से आम व लीची फसल के लिए नुकसानदेह साबित हुआ है. दलहन व तेलहन फसल को इस बारिश से नुकसान हुआ है.

खेत में लगे एवं खलिहान तक पहुंच चुके इन फसलों के झरने की संभावना है. किसान बिहारी राय, अमर देव, जाहिद हुसैन, अजित कुमार आदि ने बताया कि गेहूं, मूंग आदि फसल के लिए यह बारिश लाभदायक हुआ है. जहां ओला नहीं गिरा है, वहां आम के लिए भी लाभदायक है, परंतु ओला गिरने से आम के मज्जर झरने की आशंका है.

मौसम साफ होने पर सब्जी की फसल पर करें उर्वरक का छिड़काव

जाले : इलाके में हुई ओलावृष्टि पर कृषि विज्ञान केंद्र के समन्वयक सह मृदा वैज्ञानिक डॉ आनंद प्रसाद राकेश ने कहा कि ओला वृष्टि से कमोबेश सभी फसलों को नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि अगात राई-सरसों की फसल तो किसानों के खलिहान में पहुंच गया होगा, परंतु पछात खेती करने वाले को नुकसान होगा. उन्होंने पौधा संरक्षण उपाय करना आवश्यक बताया. इस स्थिति में अधिक प्रभावित तने एवं पत्तियों को पौधे से काट-छांट कर अलग कर देना आवश्यक बताया.

प्रभावित फलदार वृक्षों पर दो ग्राम मेन्कोजेब या ढ़ाई ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड अथवा एक ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पुष्पणपूर्व छिड़काव करना श्रेष्कर बताया. उन्होंने कहा कि सब्जी की फसल पर मौसम साफ होने पर घुलनशील उर्वरक पांच ग्राम एनपीके 19:19:19 को प्रति लीटर पानी घोलकर तथा एक ग्राम फफूंदनाशी कार्बेन्डाजिम को प्रति लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिडकाव करना चाहिए.

10 दिनों बाद पुनः इसका छिड़काव करने की सलाह दी. उन्होंने गेहूं की फसल में हरदा रोग के आक्रमण होने पर दो ग्राम मेन्कोजेब या एक ग्राम कार्बेन्डाजिम या एक ग्राम प्रोपीकोनाजोल को प्रति लीटर पानी में छिड़काव करने का सलाह दी. देर से बुआई की गई राई-सरसों की फसल में लाही कीट के आक्रमण होने पर एक मिली इमिडाक्लोरपीड प्रति तीन लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने को कहा. अरहर की फसल में फली छेदक कीट से बचाव के लिए डेढ़ मिली कारटाप हाइड्रोक्लोराइड दवा को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करने को कहा.

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