दरभंगा. कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि शुक्रवार को डॉ नागेंद्र झा स्टेडियम में आयोजित लनामिवि के 11वें दीक्षांत समारोह में बतौर अध्यक्ष बोल रहे थे. कहा कि समारोह में डिग्री प्राप्त करने के बाद से आप अपने परों की ताकत से खुद उड़ने वाले हो गये. वैसे यह ताकत कभी- कभी समस्या भी पैदा करती है. इसके लिए अपने- आपको एक सीमा तक संयमित रखना भी जरूरी होता है. भारतीय परंपरा में शिक्षा सभी बंधनों से मुक्त करती है. कहा कि शिक्षा वह है, जो ज्ञान प्राप्त करने के बाद किसी को मोह का शिकार नहीं बनने दे. वैसे ज्ञान शक्ति का भी उपासक है. इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए.
विनम्रता की भावना नहीं तो विद्या बेकार
कुलाधिपति ने कहा कि विद्या प्राप्ति के बाद अगर विनम्रता की भावना नहीं जगती है, तो वह विद्या बेकार है. विनम्रता की भाव में आप जितना झुकते जाएंगे प्रकृति आपको उतना ऊंचा उठाती चली जाएगी. कहा कि धर्म व्यक्ति को सही और गलत, नैतिक और अनैतिक के बीच अंतर करने की समझ देता है, जो मानव के अलावा अन्य किसी में नहीं होता. कहा कि सफल जीवन कैसे जिया जाय, इसको समझने के लिए बार- बार भगवद्गीता का अध्ययन जरूर करें. आप अपना दुश्मन तथा दोस्त खुद होते हैं. जब तक आप अपनी आत्मा को नियंत्रण में रखते हैं, तब तक दोस्त तथा जब अनियंत्रित हो तो दुश्मन बन जाते हैं.केवल पुस्तकीय ज्ञान से चरित्र निर्माण नहीं
कुलाधिपति ने कहा कि केवल पुस्तकीय ज्ञान से चरित्र निर्माण नहीं होता है. इसके लिए नियमित अभ्यास जरूरी है. अपनी इच्छाओं को मर्यादाओं की सीमा में बांधे रखने से उपलब्धि मिलती है. कहा कि दुनिया को जितनी हानि पढ़े-लिखे लोगों ने पहुंचाई है, उतना कोई नहीं.लनामिवि में पढ़ने का मौका मिला, यह गौरव की बात
कुलाधिपति ने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं को बधाई दी. कहा कि आप लोगों को लनामिवि जैसे विवि में पढ़ने का मौका मिला, यह गौरव की बात है. इस जगह तक पहुंचने में आपकी और आपके माता- पिता की भूमिका भी सराहनीय है. इससे पूर्व दीक्षांत समारोह में अतिथियों का स्वागत कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने किया. दीक्षांत वक्ता शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ अतुल कोठारी तथा मुख्य अतिथि आइआइटी पटना के निदेशक प्रो. टीएन सिंह थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

