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जिले के सरकारी स्कूलों में 1.88 लाख से अधिक बच्चे बिना किताब के कर रहे पढ़ाई

नये शैक्षिक सत्र (2023- 24) की कक्षा 01 अप्रैल से शुरू है. नए सत्र को शुरू हुए करीब दो महीना होने जा रहा है.

राजकुमार रंजन, दरभंगा. जिले के सरकारी स्कूलों में नये शैक्षिक सत्र (2023- 24) की कक्षा 01 अप्रैल से शुरू है. नए सत्र को शुरू हुये करीब दो महीना होने जा रहा है. गर्मी छुट्टी के बाद स्कूल के खुले 11 दिन हो गये, लेकिन अब तक सभी छात्रों को पुस्तकें नहीं मिल सकी है. वर्ग प्रथम से आठवीं तक के नामांकित 06 लाख 27576 बच्चों को सरकार द्वारा निशुल्क पुस्तक उपलब्ध कराना है. विभाग 04 लाख 39 हजार 331 बच्चों को पुस्तक उपलब्ध कराने का दावा कर रहा है. इसके बाद भी जिले के प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों के करीब 01 लाख 88 हजार 245 सेट पुस्तकों की आवश्यकता है. विभाग का कहना है कि नामांकित बच्चों के आधार पर भेजे गये डिमांड सूची के मुताबिक आपूर्ति नहीं की जा रही है. दैनिक पंजी के आधार पर चार दिनों की उपस्थिति का औसत निकालकर पुस्तक उपलब्ध करा है. इस परिस्थिति में मुख्यालय से पुस्तक आपूर्ति की अब कम संभावना कम ही दिखायी दे रही है. विभागीय आंकड़ा बताता है कि अलीनगर एवं गौडा़बौराम प्रखंड के बीआरसी को अभीतक एक भी पुस्तक आपूर्ति नहीं की गयी है. इस तरह से इन दोनों प्रखंडों के स्कूलों में बच्चों को पुस्तकें नहीं मिली है. कई प्रखंड ऐसे हैं, जहां हिंदी भाषा की पुस्तक पहुंची है तो उर्दू की नहीं. कई जगह मिक्स पुस्तक सेट बीआरसी तक नहीं पहुंच पाई है. कई वर्ग के लिये सभी भाषाओं में अध्ययन करने वाले टोटल पुस्तक सेट उपलब्ध नहीं कराया गया है. कहीं वन टू फाइव का दिया, तो कहीं सिक्स टू एट की पुस्तक नहीं दी गयी. बहेड़ी, बेनीपुर, हनुमाननगर, घनश्यामपुर, जाले, कुशेश्वर पूर्वी, कुशेश्वरस्थान एवं तारडीह बीआरसी में उर्दू एवं मिक्स पुस्तक का एक भी सेट नहीं पहुंच पाया है. बिरौल, सदर, नगर, हायाघाट, केवटी, किरतपुर, मनीगाछी, सिंहवाड़ा प्रखंड के बीआरसी पर उर्दू भाषी बच्चों के लिए पुस्तक उपलब्ध नहीं कराई गई है. इस तरह देखें तो कई जगह बिना पुस्तक के तो कई जगह आधे -अधूरे पुस्तक के बल पर विद्यालयों में बच्चें पढ़ाई कर रहे हैं. बिना पुस्तक हजारों बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. जून महीना में बच्चों को पहला टेस्ट देना होगा. ऐसे में विद्यार्थी क्या पढ़ेंगे और क्या लिखेंगे, बच्चों सहित अभिभावकों व अध्यापकों को भी यह चिंता सता रही है. शिक्षकों को होमवर्क देने सहित अन्य परेशानियां आ रही है. डीपीओ एसएसए रवि कुमार ने बताया कि नामांकित बच्चों के आधार पर डिमांड सूची भेजी गई थी. मुख्यालय दैनिक उपस्थिति पंजी के औसत आधार पर पुस्तक सेट उपलब्ध करा रहा है. इस वजह से लगभग 21 प्रतिशत बच्चों को पुस्तक नहीं मिल सकी है. प्रकाशक द्वारा अबतक डिमांड के अनुसार वर्ग बार पुस्तक सेट उपलब्ध नहीं कराया गया है. मुख्यालय को इस बाबत लिखा गया है. पुस्तक सेट उपलब्ध होते ही संबंधित विद्यालयों को उपलब्ध करा दिया जाएगा.

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