शशिभूषण कुंअर,पटना
लोकसभा चुनाव 2024 (lok sabha election 2024) की तैयारियों को लेकर राजनीतिक दलों में सीटों को लेकर चहलकदमी बढ़ गयी है. वर्तमान का इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस इस बार फिर 2019 की तरह कम से कम नौ सीटों पर चुनाव लड़ने को बेताब है. पिछले 34 सालों के चुनाव परिणाम को देखें तो कांग्रेस के पास आठ लोकसभा चुनाव में महज पंद्रह सीटें ही मिल पायी. 1991 में हुए 10 वीं लोकसभा के चुनाव से 2019 में हुए 17 वीं लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस को प्रति लोकसभा चुनाव औसतन दो से भी कम सांसद लोकसभा में चुनकर जाते रहे हैं.
2019 में कांग्रेस को कुल नौ सीटें मिली थी जिसमें सिर्फ एक सीट किशनगंज मिली जहां से डॉ मो जावेद संसद तक पहुंचे. जानकार बताते हैं, बिहार में जब से क्षेत्रीय दलों का दबदबा बढ़ा है तब से राष्ट्रीय पार्टी के रूप में कांग्रेस की सीटों में गिरावट होती चली गयी. दीगर बात है कि इन आठ लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को कभी निराशा हाथ नहीं लगी. हर लोकसभा चुनाव में उसका एक ही सदस्य बिहार से संसद तक पहुंचता रहा.
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वर्ष 2000 तक झारखंड के साथ रहने पर बिहार में कुल 54 लोकसभा की सीटें होती थी. झारखंड बंटवारे के बाद बिहार के हिस्से में लोकसभा की कुल 40 सीटें रह गयी. अविभाजित बिहार में लोकसभा चुनावों का विश्लेषण किया जाये तो कांग्रेस के हिस्से में कोई उत्साहजनक परिणाम नहीं रहा. बिहार की सत्ता में 1990 में लालू प्रसाद आये,उसके बाद से 1991 में 10 वीं लोकसभा का चुनाव हुआ था. तब बिहार की बेगूसराय सीट से कांग्रेस की कृष्णा शाही चुनाव जीत लोकसभा पहुंची थी. 11 वीं लोकसभा चुनाव में बिहार में कांग्रेस की लाज तारिक अनवर ने कटिहार की सीट कर रखी.
1998 में 12 वीं लोस चुनाव में कांग्रेस को बिहार की तीन सीटों पर सफलता मिली. मधुबनी क्षेत्र से डॉ शकील अहमद, कटिहार से तारिक अनवर और बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र से राजो सिंह संसद पहुंचे. 13 वीं लोकसभा चुनाव 1999 में हुई. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी के औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से श्यामा सिंह और बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र से राजो सिंह संसद तक पहुंचेथे. बिहार बंटवार के बाद 2004 में 14 वीं लोकसभा का चुूनाव कराया गया.
इस आम चुनाव में एक बार फिर मधुबनी लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के डा शकील अहमद, सासाराम लोकसभा सीटे से मीरा कुमार और औरंगाबाद सीट सेनिखिल कुमार ने पार्टी को सफलता दिलायी. कांग्रेस को 15 वीं लोकसभा चुनाव 2009 में किशनगंज से मो असरारुल हक और सासाराम से मीरा कुमार ने सफलता दिलायी. इसके बाद 16 वीं लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस को किशनगंज से मो असरारूल हक के साथ पहली बार सुपौल से रंजीत रंजन ने जीत दिलायी.