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Chhath puja 2023: परवान चढ़ने लगा लोक आस्था के महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान..

छठ व्रत के लिए घाटों की साफ-सफाई अभियान तेज हो गया है. नदियों, तालाबों और पोखरों के किनारे घाट की छेका-छेकी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है.

लोक आस्था का महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान की तैयारी शुक्रवार से परवान पर है. घर-आंगनों में पारंपरिक लोक गीत गूंजने लगे हैं. पूजन सामग्रियों की खरीददारी और घाटों की सफाई का अभियान तेज हो गया है. इसी के साथ नहाय खाय और कद्दू भात की तैयारी भी शुरू हो गयी है. शुक्रवार 17 नवंबर को छठव्रती नदी में स्नान कर कद्दू भात का सेवन करेंगे. इधर, गुरुवार से ही गंगा स्नान के लिए मनिहारी, काढ़ागोला और बरारी जाने का छठव्रतियों का सिलसिला जारी है.छठ पूजा मुख्य रूप से प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर की उपासना का पर्व है.

मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती है. परिवार में सुख, शांति व धन-धान्य से परिपूर्ण करती है. छठ व्रत के लिए घाटों की साफ-सफाई अभियान तेज हो गया है. नदियों, तालाबों और पोखरों के किनारे घाट की छेका-छेकी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है. कई जगह दिवाली के बाद ही घाट छेकने लगते हैं.

कद्दू की खूब हुई खरीदारी

नहाय-खाय को लेकर गुरूवार को बाजार में कद्दू की खूब खरीदारी हुई. शहर के आरएन साव चौक, मधुबनी, खुश्कीबाग आदि बाजारों में कद्दू खरीदनेवालों की काफी भीड़ देखी गयी. माना जाता है कि कद्दू की सब्जी पूरी तरह सात्विक होती है. इससे मन में सकरात्मक ऊर्जा का संचार होता है. साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें, तो कद्दू आसानी से पच जाता है. इससे व्रतधारियों को स्वास्थय सम्बधी परेशानी नहीं होती.

छठ पूजा का कार्यक्रम

शुक्रवार: नहाय खाय से छठ पूजा का प्रारंभ.

शनिवार: खरना.

रविवार : छठ पूजा, डूबते सूर्य को अर्घ्य.

सोमवार : उगते हुए सूर्य को अर्घ्य, छठ पूजा समापन.

सोशल साइट्स पर भी छठ मइया की महिमा

बदलते परिवेश के साथ देश में बहुत कुछ बदला है, पर नहीं बदली है तो व्रत और त्योहारों को लेकर भारतीयों की उत्सवधर्मिता. लोक आस्था के महापर्व छठ के करीब आते ही अभिव्यक्ति के आधुनिक माध्यम सोशल नेटवर्किंग साइट्स फेसबुक और ट्विटर पर छठ गीतों को शेयर और लाइक करने का दौर भी शुरू हो गया है. कोई बीते दिनों की तस्वीरें शेयर कर रहा है तो कोई छठ से जुड़ी कहानियों को. कहीं तस्वीरों में संतरे के कतरे बिखरे हैं तो कहीं अनार के दाने. बात यही तक नहीं रुकी, घी के ठेकुआ और ऋतुफल से सजे सूप को हाथ में लिए व्रतियों के तस्वीरों ने तो जैसे पूरे फेसबुक पर अपना कब्जा जमा रखा है.

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आधुनिकता के इस दौर में भी युवा इस पर्व को लेकर लगातार अपने स्टेटस अपडेट कर रहे हैं. किसी को छठ घाट पर होने वाले ठंड का एहसास याद आ रहा है तो कोई सुबह सुबह छठ घाट पर सुबह सुबह जाने की तैयारियों को शेयर कर रहा है. सात समन्दर पार बसे लोगों को भी शुद्ध देसी घी के बने ठेकुएं की खुशबू फेसबुक पर खींच लायी है. माटी से जुड़े सभी भारतीय पर्वो में सबसे पवित्र माने जाने वाले इस पर्व को लेकर वैज्ञानिक चर्चाएं भी फेसबुक की जुबान बने हुए हैं. फेसबुक पर कोई छठ की कहानियां रामायण और महाभारत से निकाल कर ला रहा है तो कोई इस पर्व की सादगी और पवित्रता की चर्चा कर रहा है.

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