बेतिया : शराब के मामले में मंडलकारा में बंद महिला व पुरुष बंदियों का गुस्सा गुरुवार की सुबह एक बार फिर फूट पड़ा. शराब मामले के बंदियों ने जेल परिसर में एकत्रित होकर हंगामा करना शुरू कर दिये. बंदी इस बात से खफा थे कि व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ताओं द्वारा विशेष न्यायालय उत्पाद का बहिष्कार […]
बेतिया : शराब के मामले में मंडलकारा में बंद महिला व पुरुष बंदियों का गुस्सा गुरुवार की सुबह एक बार फिर फूट पड़ा. शराब मामले के बंदियों ने जेल परिसर में एकत्रित होकर हंगामा करना शुरू कर दिये. बंदी इस बात से खफा थे कि व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ताओं द्वारा विशेष न्यायालय उत्पाद का बहिष्कार किया जा रहा है. इस कारण पिछले एक माह से उत्पाद मामले में सुनवाई नहीं हो रही है. इस कारण उच्च न्यायालय से जमानत होने के बाद भी उनके जेल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं.
हंगामा के कारण करीब 1 घंटे तक जेल के भीतर चला. इस दौरान सब कुछ सामान्य नहीं रहा. हंगामा की सूचना पर जेल उपाधीक्षक मिथिलेश कुमार ने कैदियों को समझा-बुझाकर शांत कराया.
जेल उपाधीक्षक मिथिलेश कुमार ने बताया कि शराब के मामले के बंदी नाराज थे.
वे एक जगह एकत्रित हुए थे. उन्हें समझा-बुझाकर शांत करा लिया गया है. मंडलकारा में सब कुछ सामान्य है. इधर मंडलकारा बंदियों के परिजनों के अनुसार बंदी सुबह में आक्रोशित हो गए. उत्पाद अधिनियम के मामलों से जुड़े मंडल कारा के बंदी एक जगह एकत्रित हो गए और नारेबाजी करने लगे. सूचना मिलते ही उपाधीक्षक मिथिलेश कुमार व अन्य कर्मी वहां पहुंचे और बंदियों से उनकी समस्याओं की जानकारी ली. बंदियों का कहना था कि शराब पीने के मामले में कई माह से वे बंद हैं. इनमें कई बंदियों का उच्च न्यायालय से भी जमानत हो चुका है. लेकिन स्थानीय कोर्ट में उत्पाद से जुड़े मामले की सुनवाई करने वाले वकीलों ने किनारा कर लिया है.
इस कारण वे जेल से बाहर नहीं निकल रहे हैं. जिन्हें अब तक छूट जाना चाहिए था, उन्हें जेल में बंद करके रखा गया है. इससे बंदियों की लगातार संख्या बढ़ती जा रही है. इससे कई तरह की परेशानी हो रही है. उपाधीक्षक ने उन्हें समझाया कि यहां पर न्यायालय के आदेश पर बंदियों को रखा जाता है और मुक्त किया जाता है. वे किसी को छोड़ नहीं सकते. मामला न्यायालय में है. उपाधीक्षक ने बताया कि उन्हें अपुष्ट सूचना मिली है कि उत्पाद से जुड़े मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट में कोई प्रबंध किया गया है. तब बंदी शांत हुए. विदित हो कि इस मामले को लेकर 2 दिन पहले भी मंडल कारा में हंगामा किया था. बंदियों ने अनशन की भी घोषणा की थी. काफी मशक्कत के बाद उन्हें शांत कराया जा सका था.
क्षमता से अधिक बंदियों के कारण मंडलकारा हांफ रहा है. मंडलकारा की छमता 623 बंदियों की है. जबकि गुरुवार को 1633 कैदी बंद पाये गये. क्षमता से करीब करीब तीन गुने बंदियों की संख्या होने के कारण उनको भारी परेशानी से गुजरना पड़ रहा है. विस्तर और शौचालय के लिए मारामारी की स्थिति है. बताया जाता है कि 2 दिन पूर्व जब बंदियों ने हंगामा किया था, तब जेल में उत्पाद के मामले में 561 बंदी बंद थे. इसके बाद इस मामले में 15 बंदी और बढ़ गए हैं.
बिस्तर व शौचालय के लिए होती है तनातनी
क्षमता से तिगुने से भी ज्यादा बंदियों की संख्या के कारण जेल में सोने के लिए उनके बीच अक्सर बकझक होता रहता है. हाल के दिनों में बंदियों में मारपीट भी हो चुकी है. पानी और शौचालय के लिए भी इनमें तनातनी की स्थिति बनी रहती है. यहां तू-तू मैं-मैं आम बात है. भीषण गर्मी में इनमें महामारी की भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. इधर ज्यादा संख्या से संक्रामक रोगों की आशंका से आम बंदी भी दहशत में हैं.
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