पीपराकोठी : भगवती दुर्गा के चौथे स्वरूप का नाम कुष्माण्डा है. अपनी मंद-मंद हंसी द्वारा ब्रम्हाण्ड को उत्पन्न करने के कारण ये कुष्माण्डा देवी के नाम से विख्यात हैं. जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, चारों ओर अन्धकार ही अन्धकार व्याप्त था, तब देवी ने ब्रम्हाण्ड की रचना की थी. अतः यही सृष्टि की आदि स्वरूपा एवं आदि शक्ति हैं.
उक्त बातें मंगलवार को पीपराकोठी प्रखंड के मधुछपरा स्थित मां सर्वमंगला शक्तिपीठ के प्रांगण में आयोजित वासंतिक नवरात्र पूजन के चौथे दिन प्रधान यजमान व वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पांडेय ने कही. उन्होंने बताया कि मां कुष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक विनष्ट हो जाते हैं. इनकी आराधना से आयु,यश,बल और आरोग्य की वृद्धि होती है.
इनकी उपासना मनुष्य को सहज भाव से भवसागर से पार उतारने के लिए सर्वाधिक सुगम और श्रेयस्कर मार्ग है. इस मौके पर यज्ञाचार्य आशीष उपाध्याय, सहायक आचार्य अमन तिवारी व नितेश शुक्ल, समिति के अध्यक्ष आलोक पांडेय, सुधीर दत्त पराशर, विकास पांडेय, राजन पांडेय, मुखिया दिवाकर पांडेय, योगेंद्र पांडेय, प्रो. अरविंद त्रिपाठी, कृष्ण कुमार, शैलेंद्र गिरि, ब्रजकिशोर पांडेय, प्रो. वीरेंद्र कुशवाहा, उमाशंकर बैठा, वकील महतो सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे.