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मिथिलांचल के बाद पूर्वी चंपारण में भी मखाना की खेती

मोतिहारी : शहर से सटे धनौती नदी में मछली उत्पादन में जलकुंभी बाधक थी. वहां अब मखाना की खेती के प्रयोग से लाखों के आय की उम्मीद जगी है. धनौती नदी बलुआ-रघुनाथपुर होकर गुजरी है. लेकिन मखाना की खेती नदी के तरकुलवा से चैलाहां तक के करीब तीन किमी जल क्षेत्र यानि डेढ़ सौ एकड़ […]

मोतिहारी : शहर से सटे धनौती नदी में मछली उत्पादन में जलकुंभी बाधक थी. वहां अब मखाना की खेती के प्रयोग से लाखों के आय की उम्मीद जगी है. धनौती नदी बलुआ-रघुनाथपुर होकर गुजरी है. लेकिन मखाना की खेती नदी के तरकुलवा से चैलाहां तक के करीब तीन किमी जल क्षेत्र यानि डेढ़ सौ एकड़ में की गयी है. इसके साथ लोकल मछली का पालन भी हो रहा है.

मखाना के लिए दरभंगा, मधुबनी चर्चित था. लेकिन अब मुजफ्फरपुर प्रमंडल का पहला जिला पूर्वी चंपारण होगा, जहां वृहत पैमाने पर मखाना की खेती शुरू की गयी है. इसका श्रेय बंजरिया प्रमुख पुत्र सह मछली पालक किसान ललन चौधरी को जाता है. श्री चौधरी ने मखाना से निकल रहे फूल व पत्ते को दिखाते हुए कहा कि जुलाई से अगस्त तक फसल तैयार हो जायेगा. फरवरी में जलकुंभी हटाकर बीज डाला गया था.
20 हजार रुपये प्रति क्विंटल खरीदा था बीज : धनौती नदी जलकर में मछली उत्पादन न होते देख दरभंगा के रामप्रसाद सहनी के सलाह पर ललन चौधरी ने मखाना खेती करने की ठान ली. जलकुंभी हटवाया. फिर 20 हजार रुपये की दर से साढ़े तीन क्विंटल बीज खरीद कर नदी में डाला. पानी कम न हो इसलिए दो पंप भी लगातार चल रहे हैं. श्री चौधरी बताते है कि अब तक करीब 12 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं. फसल अगस्त तक निकलने पर अच्छी आय की उम्मीद है.
करीब डेढ़ सौ एकड़ में लगी है मखाना की फसल
दरभंगा, मधुबनी के साथ पूर्वी चंपारण का नाम जुड़ेगा
मुजफ्फरपुर प्रमंडल का पहला जिला बना पूर्वी चंपारण
धनौती नदी में जलकुंभी की जगह मछली व मखाना
मखाना में निकल रहे फूल से किसानों के खिले चेहरे
दरभंगा के रामप्रसाद सहनी दे रहे हैं टिप्स
प्रमुख पुत्र ने बताया कि मखाना की खेती के लिए दरभंगा के रामप्रसाद सहनी समय-समय पर आकर टिप्स देते हैं. इससे आत्मबल और बढ़ जाता है. उनका कहना है कि इससे प्रेरित होकर और किसान भी मखाना की खेती के लिए इच्छा जता रहे हैं. ताकि यहां के किसानों की आर्थिक स्थिति और भी सुदृढ़ हो सके.
विभाग पर आरोप
ललन चौधरी कहते हैं कि बिहार के कटिहार में मखाना खेती पर प्रति हेक्टेयर 16 हजार रुपये अनुदान दी जा रही है. प्रति हेक्टेयर सरकारी दर पर लागत 32040 निर्धारित है. उन्होंने कहा कि कृषि विभाग सहायता देन से इंकार करता है. इसको ले वे केंद्रीय व राज्य कृषि मंत्री से भी मिलेंगे. उन्होंने कहा कि तीन माह बाद चंपारण के लोग अपने जिले में उत्पादित मखाना का स्वाद चखेंगे.

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