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चाय में कीटनाशक की वजह से एक ही परिवार के तीन की मौत
कुंडवाचैनपुर की घटना, पांच साल की बच्ची ने बनायी थी चाय सिकरहना (मोतिहारी) : कुंडवाचैनपुर थाने के समनपुर गांव में बुधवार को उस समय कोहराम मच गया, जब चाय में पत्ती की जगह पर कीटनाशक डालने की वजह से एक ही परिवार के तीन लोगों की जान चली गयी. जैसे ही यह बात गांव में […]
कुंडवाचैनपुर की घटना, पांच साल की बच्ची ने बनायी थी चाय
सिकरहना (मोतिहारी) : कुंडवाचैनपुर थाने के समनपुर गांव में बुधवार को उस समय कोहराम मच गया, जब चाय में पत्ती की जगह पर कीटनाशक डालने की वजह से एक ही परिवार के तीन लोगों की जान चली गयी. जैसे ही यह बात गांव में फैली. दिवाली की तैयािरयों में व्यस्त लोग मातम में डूब गये. मरनेवालों में रामनरेश (50), उनका पोता प्रिंस (12) व नतिनी मोनिका (पांच) शािमल हैं. ग्रामीणों ने आनन-फानन में तीनों का अंतिम संस्कार कर िदया.
जानकारी के अनुसार, रामनरेश राय के दो बेटे बाहर रहते हैं. एक बेटा निकू कुमार धान काटने खेत गया था. बुधवार की सुबह नतिनी मोनिका चाय बना रही थी. उसने भूलवश चाय में पत्ती की जगह कीटनाशक डाल िदया. रामनरेश के साथ प्रिंस व मोिनका ने चाय पी. इसके बाद रामनरेश व मोिनका खेत के िलए िनकल गये. दोनों रास्ते में बेहोश होकर िगर गये, जबकि प्रिंस घर पर ही बेसुध हो गया.
तीन साल की आयुषी ने भी चाय पी थी. वह भी अचेत हो गयी. गांव के लोगों को जानकारी िमली, तो वह सभी को इलाज के िलए घोड़ासाहन लेकर गये, लेिकन रास्ते में ही तीनों की मौत हो गयी, जबकि आयुषी का पीएचसी में इलाज हुआ और वह बच गयी. ग्रामीणों ने बताया िक मोिनका की मां की मौत हो गयी थी, जिसकी वजह से वह ननिहाल में रहती थी
ग्रामीणों का कहना है िक िनकू धान काटने के िलए खेत चला गया था, नहीं तो वह भी चाय पीता और उसके साथ भी अनहोनी हो सकती थी. एक ही परिवार तीन की मौत से गांव के लोग सकते में हैं. इस संबंध मे थानाध्यक्ष अभय कुमार ने बताया कि घटना की सूचना मिली है. इसके कारणों की जांच की जा रही है. इधर, डीएसपी बमबम चौधरी ने भी कहा िक घटना की जांच की जा रही है.
मनहूस सािबत हुई बुधवार की सुबह
रामनरेश का परिवार अन्य ग्रामीणों की तरह िदवाली की तैयािरयों में जुटा था. धान की कटनी शुरू हो गयी थी, सो सबको खेत जाना था.
रामनरेश का बेटा िनकू पहले ही खेत चला गया, क्योंिक काम ज्यादा था, लेकिन रामनरेश घर में ही रहा और पांच साल की नतिनी मोिनका से चाय बनाने को कहा. मासूम मोिनका ने चाय बनाना शुरू िकया, लेकिन वह चाय की पत्ती और कीटनाशक में फर्क नहीं जानती थी. उसकी उम्र भी क्या थी, महज पांच साल. भगवान ने उसे पहले से ही दुख िदया था. िसर से मां का साया उठ गया, तो वह नाना के यहां रह रही थी. वह मासूम भी िदवाली के त्योहार को लेकर उत्साहित थी. सो चाय बनायी, लेकिन पत्ती की जगह उसने कीटनाशक डाल िदया. नाना व ममरे भाई के साथ उसने भी चाय पी और नाना के साथ खेत के िलए रवाना हो गयी, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था.
चाय पाने के साथ सभी का िसर भारी होने लगा और खेत के रास्ते में चक्कर खाकर पहले मोिनका िगरी और िफर उसके नाम रामनरेश. गांव के लोग जबतक कुछ समय पाते, देर हो चुकी थी. जल्दीबाजी में रामनरेश, मोिनका व प्रिंस को इलाके के लिए घोड़ासहन ले जाया जाने लगा, लेिकन रास्ते में ही तीनों ने दम तोड़ िदया.
दादा, पोता व नतिनी की मौत से परिजन ही गमगीन नहीं हुए. गांव के लोगों की आंखें भी नम हो गयीं, िजसने भी सुना. उसकी आंखों के सामने मासूम मोिनका की तस्वीर घूम गयी. हंसमुख मोिनका परिजनों व गांव की दुलारी थी.
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