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नगर के किला मैदान परिसर नगर परिषद का फिर बना कचरा निस्तारण का केंद्र

नगर का ऐतिहासिक किला परिसर नगर परिषद का कचरा निस्तारण केंद्र बन गया है.

बक्सर. नगर का ऐतिहासिक किला परिसर नगर परिषद का कचरा निस्तारण केंद्र बन गया है. बक्सर नगर परिषद एवं प्रशासनिक उपेक्षा के कारण इस ऐतिहासिक धरोहर का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया है. एक बार फिर नगर परिषद ने किला के पिछले भाग में कचरा का निस्तारण शुरू कर दिया है. इससे प्राचीन अस्तित्व को संरक्षण करने की बजाय उसको समाप्त करने पर तुला है. जिससे 14 सौ वर्षों पुराना ऐतिहासिक धरोहर केवल किताबों में ही सिमट कर रहा जायेगा. ज्ञात हो कि नगर में स्थित ऐतिहासिक एवं प्राचीन 1400 साल पुराना एवं नगर का गंगा के बाढ़ के पानी का प्रहरी राजा रुद्रदेव के किला पर प्रशासनिक उपेक्षा के कारण खतरा मंडराने लगा है. किला का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर पहुंंच गया है. बक्सर अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है. लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के कारण जिले की विरासत दम तोड़ रहा है. जिसके कारण सांस्कृतिक व ऐतिहासिक विरासत केवल किताबों की शोभा बनकर रह जायेगी. प्रशासनिक उपेक्षा के कारण किला की सौंदर्यता प्रभावित हो गया है. इसके साथ ही अब 11वीं सदी का किला अपना दम तोड़ने के कगार पर पहुंच गया है. इस ऐतिहासिक किला का निर्माण राजा रुद्रदेव ने किले का निर्माण 1054 में करवाया था. उस समय सुरक्षा की दृष्टिकोण से किले के चारों तरफ करीब 10 फीट चौड़ी दीवार बनवायी गयी थी. जो 1400 साल से अपने मूल अस्तित्व में अडिग रूप से अभी भी खड़ा है. इस किले की विशाल संरचना इसके गौरवशाली अतीत को दर्शाती है. जिसकी सौंदर्यता धूमिल होने के बावजूद बरकरार है. रख रखाव के अभाव में उपेक्षा के कारण किले की मोटी दीवारें अब पिछले भाग में खराब हो रही है. जिला प्रशासन की अनदेखी से जिले के एक ऐतिहासिक किला का अस्तित्व खतरे में आ गया है. जिला बनने के बाद ऐतिहासिक किला को जिला अतिथि गृह के रूप में स्थापित किया गया. इसके बाद भी इस किले की सुरक्षा पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया. किला पर एक से बढ़कर एक भवन बनाया जा रहा है. लेकिन बाहरी परिसर के अस्तित्व को लगातार समाप्त किया जा रहा है. एक तरफ पुरातत्व विभाग एवं सरकार प्राचीन स्थलों को संरक्षित करने में लगी है वहीं दूसरी ओर बक्सर जिला प्रशासन इसके अस्तित्व व महता से अनजान बन इसके अस्तित्व के लिए खतरा बन गये है. किला के एक भाग में अंग्रेजों ने भी इस किला पर गोला बारूद और हथियार रखते थे. जिसका अस्तित्व अभी भी कायम है.

नगर परिषद ने किला को ही बना दिया निस्तारण केंद्र : 1400 साल पुराने किला के अस्तित्व के लिए नगर परिषद भी खतरा बन गया है. नगर परिषद के द्वारा कचरा निस्तारण कर किला के मूल अस्तित्व को प्रभावित काफी हद तक कर दिया गया है. नगर परिषद फिलहाल एक बार फिर से कचरे का निस्तारण केंद्र किला के पिछले भाग में स्थित गड्ढे को बना दिया है. जाे गड्ढे इस किला का महत्वपूर्ण आकर्षण है. किला के चारों तरफ बने गहरे भाग में पानी भरा होता था. जिसे सुरक्षा के दृष्टिकोण से बनाया गया है. साथ ही एक भाग में गंगा के स्थित होने से किला काफी सुरक्षित था. इसके साथ ही आज गंगा में आने वाले बाढ़ के दौरान नगर की सुरक्षा प्रहरी के रूप में भी कार्य करता है. जहां कचरे का निस्तारण कर किले के अस्तित्व को मिटाया जा रहा है. इसकी सौंदर्यता भी प्रभावित हो रही है.

निकलने वाली बदबू से लोगों को परेशानी : किला मैदान परिसर से सटे किला के गड्ढे में कचरे के निस्तारण से परेशानी हो रही है. इससे काफी बदबू निकल रहा है. वहीं प्रतिदिन सुबह में लोग टहलने के लिए आते जाते है. इसके साथ ही आंगनबाड़ी केंद्र के साथ ही तीन सरकारी विद्यालय संचालित होते है. जिसकी बदबू से लोगों को परेशानी हो रही है. नगर का कचरा नगर में निस्तारित कर नगर को ही गंदा बना दिया जाता है. जबकि नगर की स्वच्छता के लिए प्रतिमाह नगर परिषद से कुल एक करोड 16 लाख खर्च किये जा रहे है. जो स्वच्छता के लिए सवाल खड़ा कर रहा है. इसके साथ ही नगर की स्वच्छता की जिम्मेदारी जिसे है वही नगर की आबोहवा खराब कर रहा है.

क्या कहते हैं अधिकारी

इसकी जानकारी नहीं है. जानकारी ली जा रही है. आवश्यक कदम उठाया जायेगा.

मनीष कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद बक्सर

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