बक्सर. बारात में बैंड-बाजे बज रहे हैं. देवता और संत समाज मंगल गान कर रहे हैं. शहनाई की धुन पर बाराती थिरक रहे हैं. श्रीराम बारात ऐसी सजी है कि उसका वर्णन करते नहीं बन रहा है. चारों दिशाओं से सुंदर और शुभ दायक शगुन हो रहे हैं. प्रभु श्री राम को दूल्हे के रूप में देख महिलाएं फूल बरसाते हुए मंगल गीत गा रही हैं. देवगण नगाड़े बजा रहे हैं. आकर्षक रथ पर सवार महाराज दशरथ समधी के रूप में बरातियों की अगुवाई करते हुए अपने इस सौभाग्य पर इतरा रहे हैं. यह नजारा था सिय-पिय मिलन महोत्सव को लेकर सोमवार को नई बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह आश्रम से निकली श्रीराम बारात का. श्रीराम बारात की शोभायात्रा अयोध्या नगर के रूप में सजे नई बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम से निकलती है. सुसज्जित रत्नजड़ित मुकुट धारण कर प्रभु श्रीराम, जनक दुलारी जानकी को ब्याहने के लिए निकल गए हैं. उनके साथ बगल में दूल्हे बने लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न भी बैठे हैं. बारात में शामिल देवी-देवताओं की मनोरम व आकर्षक झांकियां देखते ही बन रही हैं. इस अलौकिक नजारे की एक झलक पाने को बच्चे, बूढ़े व युवक दोनों तरफ सड़कों के किनारे पलक पांवड़े बिछाए एकटक निहार रहे हैं. महिलाएं घरों के सामने सुंदर-सुंदर रंगोलियां बनाकर स्वागत की बाट जोह रही हैं. एमवी कॉलेज में जमा बारात का रंग : विभिन्न देवी-देवताओं की मनोरम झांकियों से सजी श्रीराम बारात की शोभायात्रा महोत्सव स्थल से निकलकर प्रथम पड़ाव शहर के चरित्रवन स्थित महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय परिसर में पहुंचता है. वहां मंगल गाली गीतों के बीच दूल्हे बने चारों भाइयों की जमकर खातिरदारी की जाती है. घराती के रूप में आश्रम के परिकर श्रीराम समेत चारों भाइयों से हंसी-ठीठोली कर बरातियों को खूब रिझा रहे हैं. हास-परिहास के बीच वे मंगल गाली गाकर दूलह सरकारों की बोलती बंद कर देते हैं. मिथिला की इस परंपरागत रस्म से दूल्हा श्रीराम समेत बाराती मंद मुस्कान के साथ आनंद रस से सराबोर हो रहे हैं. महोत्सव के प्रणेता साकेतवासी पूज्य संत श्रीनारायणदास जी भक्तमाली उपाख्य मामा जी द्वारा रचित पद हवन बड़ा धीर हो पहुना के गरियईह जनि… आदि मंगल गाली गाकर श्रीराम समेत चारों भाइयों की खिंचाई की जा रही है. यह मंगल गाली सुन प्रभु श्रीराम भी निहाल हो रहे हैं. इन गीतों के माध्यम से भगवान के प्रति भक्ति की जो ससुराली रस धार बहाई जा रही है, जिसमें देश के कोने-कोने से पहुंचे धर्माचार्य एवं संत समाज गोता लगाकर आनंदित हो रहे हैं. हास-परिहास के इस रस्म के बीच भक्तमाली मामाजी के सद्गुरु पूज्य संत श्री खाकी बाबा के मंदिर में आश्रम के महंत श्री राजाराम शरण जी महाराज के सान्निध्य में पूजा-अर्चना की रस्म पूरी कर बारात वहां से निकल पड़ती है. देर रात आश्रम में लौटी बारात : एमवी कॉलेज पर ठहराव के बाद बारात नगर थाना चौराहा पहुंचती है. वहां से विभिन्न सड़कों के रास्ते शहर के विभिन्न मुहल्लों से गुजरते हुए बारात आयोजन स्थल पर देर रात को लौट जाती है. बाराती जिस किसी रास्ते से गुजर रहे हैं उनके आगवानी में पहले से खड़े श्रद्धालु रथों पर फूलों की बारिश कर रहे हैं. पुष्प वर्षा के बीच भगवान श्रीराम की आरती उतारी जा रही है. अतिथियों को जलपान कराए जा रहे हैं. नगर भ्रमण के बाद स्टेशन रोड होते हुए बाजार समिति के रास्ते बारात आयोजन स्थल पर लौट जाती है. देवी-देवताओं की झांकियां बनीं आकर्षण का केंद्र : श्रीरामजी की बारात में चल रहीं सवारियों में विघ्न हर्ता भगवान गणेश की सवारी चल रही है. ब्रह्माजी, भगवान विष्णु व मां लक्ष्मीजी, भगवान शिव व मां पार्वती के साथ कातिर्केय महराज और देवराज इन्द्र रथ पर सवार हैं. ऋषि-मुनियों के साथ मंत्री व महाराज दशरथ अलग-अलग रथों पर विराजमान हैं. आयोजन के प्रणेता पूज्य संत श्रीनारायणदासजी भक्तमाली मामाजी व महर्षि खाकी बाबा के तैल चित्रों की झांकियां सजी हैं और बैंडबाजों की मधुर धुन बाराती भजन-कीर्तन करते हुए भक्ति में रमे हुए हैं. हल्दी-मटकोड़ की रस्म के बाद रवाना हुई बरात : श्रीराम की बारात निकलने से पहले सभी मांगलिक रस्म पूरी की गयी. महिलाओं द्वारा हल्दी व मटकोड़ की विधि पारंपरिक तरीके से निभायी गयी. इस रस्म को लेकर सखियां आनंद सगुन सुहावन हरदी लगावन हे… आदि मांगलिक गीतों के बीच कुदाल से माटी कोड़ने जाती है तथा वहां माटी कोड़ने के बाद वापस लौटती हैं. इसके बाद हरदिया बड़ी पातर हे… गीत के बीच जनक नंदनी सीता व प्रभु श्रीराम समेत चारों भाइयों को हल्दी का लेप लगाकर स्नान आदि करातीं हैं. इस रस्म के बाद रत्न जड़ित जोड़ा से सुसज्जित कर दुल्हों की परिछन करती हैं, फिर मंगल आरती के साथ बारात को जनकपुर के लिए रवाना करती हैं. स्वागत से गदगत हुए अतिथि : महर्षि विश्वामित्र की तपो भूमि पर बरात में आये अतिथि के स्वागत से अभिभूत थे. बरात के स्वागत में सड़क पर जगह-जगह रंगोलियां बनायी गयी थीं. नगर वासी शोभायात्रा में शामिल देश के कोने-कोने से पधारे साधु-संतों व श्रद्धालुओं के स्वागत में पलक पावड़े बिछाये हुए थे. उनकी सेवा व स्वागत में लोग अपने-अपने दरवाजों के सामने न केवल रंगोलियां सजाये थे, बल्कि रास्ते से गुजर रहे रथों पर फूलों की बारिश भी कर रहे थे. बरातियों के आवभगत में खड़े लोग अतिथियों को जलपान भी करा रहे थे.
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