बक्सर. पूज्य संत श्री खाकी बाबा सरकार के निर्वाण तिथि के अवसर पर नई बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में चल रहा 56 वें सिय-पिय मिलन महोत्सव के तीसरे दिन गुरुवार को विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये गये. श्रीराम चरितमानस के सामूहिक नवाह्न परायण से कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह में हुआ तो देर रात श्रीराम लीला के मंचन से विराम दिया गया. इस दौरान श्रीकृष्ण लीला, श्रीराम कथा एवं भगवान श्रीराम व जानकी की झांकी के साथ श्री सीताराम विवाह का मिथिला पद गान गाया गया. वहीं दमोह की संकीर्तन मंडली द्वारा नौ दिवसीय अष्टयाम संकीर्तन जारी रहा. सुबह से लेकर देर रात चले इन भक्ति कार्यक्रमों में दर्शक गोता लगाते रहे. इस बीच दिन में श्रीकृष्ण लीला में भक्त नरसी मेहता लीला एवं को जीवंत किया गया, जबकि रात में श्रीराम लीला के प्रसंग में श्रीराम जन्म एवं बाल लीला का मंचन किया गया. भगवान के अनन्य भक्त थे नरसी मेहता : श्रीकृष्ण लीला में दिखाया गया कि नरसी मेहता भगवान के अनन्य भक्त हैं. वे धनी होते हुए भी अति कंजूस हैं. उनकी एक लड़की थी, जिसकी शादी हो गयी है, लेकिन कंजूसी के कारण दान नहीं करते हैं. बैंकों के ड्राफ्ट की तरह उस समय उनके नाम से हुंडी जारी होती थी. एक दिन सेठ नरसी की पत्नी ने गंगा स्नान की इच्छा जताती है. सेठ नरसी कहते हैं कि बेकार के पेसा बर्बाद करने से अच्छा है घर में स्नान कर लो. लेकिन पत्नी की जिद के कारण उन्हें उसे लेकर स्नान के लिए जाना पड़ गया. स्नान के दौरान एक साधु वहां पहुंचकर भगवान श्रीकृष्ण की महिमा सुनाते हैं. श्रीराम जन्मोत्सव में झूमे दर्शक : रात को श्रीराम लीला में भगवान श्रीराम समेत चारों भाइयों का अयोध्या में जन्म होता है. जन्म के बाद बधाई गीत गाकर खुशियां मनायी जाती हैं. इस लीला का दर्शन कर दर्शक झूमने लगते हैं. इससे पहले दिखाया जाता है कि पुत्र नहीं होने के चलते अयोध्या के महाराज दशरथ जी काफी निराश होते हैं. वे अपने गुरु वशिष्ठ को बुलाकर उन्हें पुत्र हीन रहने को लेकर दुख प्रकट करते हैं. गुरु वशिष्ठ जी द्वारा श्रृंगी ऋषि को बुलाकर उनसे पुत्रेष्ठि यज्ञ का अनुष्ठान कराया जाता है. इसके बाद यज्ञ की महिमा से महाराज दशरथ की तीन रानियों के गर्भ से श्रीराम, भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न का जन्म होता है. जन्म के बाद अयोध्या नगरी में खुशियां मनायी जाती हैं. इस बीच चारों राजकुमार बड़े होने लगते हैं. उनकी बाल लीला निराली होती है. श्रीराम कथा के श्रवण से होता है जीव का उद्धार : बक्सर. सिय-पिय मिलन महोत्सव के तीसरे दिन गुरुवार को श्रीराम कथा में श्रीधाम वृंदावन के मलूक पीठाधीश्वर जगदगुरु श्री राजेंद्र देवाचार्य जी महाराज ने कहा कि श्रीराम कथा मानव जीवन के लिए अमूल्य निधि है. इस कथा के श्रवण से संस्कार, संस्कृति व सद्गति की प्राप्ति होती है. कथा को विस्तार देते हुए महाराज श्री ने कहा कि श्रीराम जन्म के अनेकों कारण हैं. जिसको लेकर उन्हें साकार रूप में अयोध्या के महाराज दशरथ के पुत्र के रूप में धरा पर अवतरित होना पड़ा. उन्होंने कहा कि अवतरित होकर प्रभु अपने भक्तों के उद्धार एवं धर्म की स्थापना करते हैं. जब-जब पृथ्वी पर अधर्म का प्रभाव बढ़ जाता है, तब-तब भगवान धरा पर अवतार लेकर अपनी लीला के माध्यम से धर्म की स्थापना करते हैं.
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