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गेहूं की बेहतर पैदावार के लिए वैज्ञानिक विधि से करें खेती : डॉ प्रदीप कुमार

अच्छी पैदावार के लिए किसानों को गेहूं की वैज्ञानिक विधि से खेती करनी चाहिए, इसके लिए निम्न सुझाव पर किसानों को अमल करने की आवश्यकता है.

डुमरांव. अच्छी पैदावार के लिए किसानों को गेहूं की वैज्ञानिक विधि से खेती करनी चाहिए, इसके लिए निम्न सुझाव पर किसानों को अमल करने की आवश्यकता है. यह जानकारी देते हुए वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय डुमरांव के कृषि वैज्ञानिक सह प्राध्यापक डॉ प्रदीप कुमार ने बताया कि किसान समय से पंक्ति वद्ध गेहूं की बोआई करें जबकि बीज का विस्थापन नवीन प्रजातियों से करें, इसके साथ संस्तुत प्रजातियों का उपयुक्त जलवायु क्षेत्र में ही बोआई करें, वहीं बीज का शोधन बुआई के पूर्व अवश्य करें, इसके बाद गुणवत्तायुक्त बीज, रासायनिक खाद एवं सिंचाई समय से करें, किसान उत्पादन तकनीकी जैसे जीरो टिल, रोटावेटर तथा मेड़ों पर बोआई को बढ़ावा दें, ऊष्मा अवरोधी, अल्पावधि परिपक्वता एवं कम उर्वरक उपयोगी गेंहू की प्रजातियों जैसे – उन्नत हलना, डीबी डब्ल्यू 107 एचआइ 1563 तथा डीबी डब्ल्यू -14 का उपयोग करें, दानों के भराव के समय 90 से 95 दिन, हल्की सिंचाई वायु की गति के अनुकूल करें, रतुआ रोग अवरोधी प्रजातियों का चयन करें. क्षेत्रवार संस्तुत प्रजातियों के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों की प्रजातियों का प्रयोग ना करें, इससे दूसरे क्षेत्र की बीमारी आने की संभावना रहती है, भौतिक परिपक्वता पर ही फसल की कटाई सुनिश्चित करें, रासायनिक खरपतवारनाशकों जैसे- आइसोप्रोट्यूरोन, सल्फोसल्फ्यूरॉन आदि का प्रयोग प्रथम सिंचाई के बाद खेत में नमी की दशा में करें, सूक्ष्म तत्वों जैसे जिंक, लोहा एवं बोरॉन का प्रयोग धान-गेहूं फसल चक्र में अवश्य करें, मूंग जैसी दलहनी फसलों के बाद गेहूं की खेती करें. महत्वपूर्ण सावधानियां विलंब से बोआई को प्रोत्साहन ना दिया जाय, 15 वर्ष से अधिक पुरानी किस्मों की जगह नवीन संस्तुत प्रजातियों को उगाएं. रासायनिक कीटनाशकों एवं खरपतवारनाशकों का कम से कम प्रयोग करें. गेहूं की बुवाई अधिकतर धान की फसल के बाद ही की जाती है, पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा बाद में डिस्क हैरो या कल्टीवेटर से 2 से 3 जुताई करके खेत को समतल करते हुए भुरभुरा बना लेना चाहिए, डिस्क हैरो से धान के ढूंठे कट कर छोटे-छोटे टुकड़ों में हो जाते हैं, इन्हें शीघ्र सड़ाने के लिए 20 से 25 किलो ग्राम यूरिया प्रति हैक्टेयर की दर से पहली जुताई में अवश्य दे देनी चाहिए, इससे ढूंठे, जड़ें सड़ जाती हैं ट्रैक्टर चालित रोटावेटर से एक ही जुताई द्वारा खेत पूर्ण रूप से तैयार हो जाता है. बीजदर लाइन से और बीज शोधन भी जरूरी गेहूं कि बीजदर लाइन से बोवाई करने पर 100 किलो ग्राम प्रति हैक्टेयर तथा मोटा दाना 125 किलो ग्राम प्रति हैक्टेयर तथा छिड़काव से बोवाई कि दशा से 125 किलो ग्राम सामान्य तथा मोटा दाना 150 किलो ग्राम प्रति हैक्टेयर कि दर से प्रयोग करते हैं, बोवाई के पहले बीजशोधन अवश्य करना चाहिए, बीजशोधन के लिए बाविस्टिन, काबेंडाजिम कि 2 ग्राम मात्रा प्रति किलो ग्राम कि दर से बीज शोधित करके ही बीज की बुवाई करनी चाहिए. डॉ प्रदीप कुमार, कृषि वैज्ञानिक सह प्राध्यापक, वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय (डुमरांव)

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