चौसा
. रोहिणी नक्षत्र समाप्त हो गया. धान का बिचड़ा डालने का समय भी बीतता जा रहा, परंतु ना सोन नहर का पानी आया और ना ही गंगा पंप नहर ही चालू हो पाया. क्षेत्र के सभी आहर, तालाब, नाले सुखे हुए है. सिवान में कहीं भी पानी नहीं दिख रहा जिससे पशु-पक्षी तपती धूप में पानी को ले बेचैन है. उधर रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ हुए भी समाप्त हो गया नहरों में पानी नहीं आने से किसान धान के बिचड़े डालने को लेकर परेशान नजर आने लगे है. किसानों का कहना है कि एक तो रोहिणी नक्षत्र बीत गया परंतु अभी तक ना ही सोन नहर का पानी चौसा सीवीसी कैनाल में आया और ना ही गंगा पंप नहर ही चालु हो पाया. नहरों में पानी नहीं मिलने से किसान धान के बिछडे डालने के लिए छटपटा रहे है. किसानों का कहना है कि एक तो रोहिणी नक्षत्र बीत गया परंतु अभी तक ना ही सोन नहर का पानी चौसा सीवीसी कैनाल में आया और ना ही गंगा पंप नहर ही चालु हो पाया. नहरों में पानी नहीं मिलने से किसान धान के बिछडे डालने के लिए छटपटा रहे है.सोन नहर का पानी चौसा सीवीसी कैनाल में नहीं आने से रामपुर, डिहरी, पलियां, जलीलपुर, सिकरौल, सरेंजा, चुन्नी, पवनी व चौसा नगर के दर्जनों गांवों के सैकड़ों किसानों का अभी तक धान के बिचड़ा नहीं डाला जा सका. उधर नहरों में पानी नहीं आने क्षेत्र के सभी आहर, तालाब सुखे है और इस भीषण गर्मी में पशु-पक्षी भी अपनी प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भटकते हुए नजर आने लगे है.
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