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शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए दो किलोमीटर आवागमन के लिए पगडंडी ही सहारा

डुमरांव : न आंगनबाड़ी केंद्र, न प्राथमिक विद्यालय, न गांव में पहुंचने के लिए सड़क पगडंडियों के सहारे शहर से गांव पहुंचते हैं मुंशी डेरा के लोग. प्रखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूरी स्थित पुराना भोजपुर पंचायत अंतर्गत यह गांव विकास से कोसों दूर है. गांव के लोगों का दर्द अपने आप उनकी जुबां से […]

डुमरांव : न आंगनबाड़ी केंद्र, न प्राथमिक विद्यालय, न गांव में पहुंचने के लिए सड़क पगडंडियों के सहारे शहर से गांव पहुंचते हैं मुंशी डेरा के लोग. प्रखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूरी स्थित पुराना भोजपुर पंचायत अंतर्गत यह गांव विकास से कोसों दूर है. गांव के लोगों का दर्द अपने आप उनकी जुबां से सुनने को मिल जाता है. बरसात के दिनों में गांव में जाने के लिए ग्रामीणों को काफी मशक्कत करनी होती है.

यहां तक अगर किसी के घर में बाइक है तो उसे महरौरा गांव में किसी के घर पर रखना होता है. फिर पगडंडियों के सहारे जैसे-तैसे घर पहुंचते हैं. मुंशी डेरा आधा गांव वार्ड संख्या 20 और 16 में है. गांव के छह वर्ष नीचे के बच्चे एक किलोमीटर दूरी तय कर आंगनबाड़ी तक पहुंचते हैं.
प्राथमिक विद्यालय के लिए उन्हें प्राथमिक विद्यालय, महरौरा जाना पड़ता है. पांच वर्ग के बाद उन्हें सीधे डुमरांव शहर में स्थित महावीर चबूतरा मध्य विद्यालय में पढ़ने जाना होता है. गांव में पहुंच पथ पगडंडियों के अलावे कोई व्यवस्था नहीं है. मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना की बात करें, तो नली-गली, सड़क और हर घर नल का जल नहीं पहुंचा. आज भी गांव की हर गली सड़क, नली-गली के मुंह बाये खड़ी है.
गांव में बिजली के अलावे कोई विकास नहीं पहुंचा है. यह गांव में कुशवाहा बिरादरी निवास करते है. गांव के अधिकतर लोग सब्जी की खेती कर डुमरांव शहर में बिक्री करने के लिए प्रतिदिन पगडंडियों के सहारे आवागमन करते है. ठंडा, गरमी और बरसात के दिनों मरीजों के लिए आधा किलोमीटर खाट का प्रयोग होता है.
ग्रामीण सुदामा मास्टर, बिहारी सिंह, गुप्तेश्वर सिंह, रामयोगी सिंह, वीरेंद्र कुमार, शिवयोगी, सूबेदार, हवलदार कहते हैं कि गांव से सड़क के लिए बहुत पहले नापी जरूर हुई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं हो सकी. इससे गांव के लोगों को सड़क के अभाव में आवागमन में परेशानी होती है.
वहीं मीरा, मुक्तेश्वर, राधिका, पूनम, पचरतनी, कुंवरी, श्रीभगवान, उषा, उमाशंकर कहते हैं कि हर गांव को मुख्य सड़क से जोड़ा जा रहा है लेकिन आजादी के बाद यह गांव कभी मुख्य पथ से जुड़ा ही नहीं. आज भी लोगों को पहुंच पथ पगडंडी, बच्चों के पठन-पाठन के लिए दो किलोमीटर दूरी तय करना और इलाज करने के लिए खाट का उपयोग करना होता है.
मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना यहां पहुंचा रहता, तो गांव के लोगों को ऐसे जिंदगी नहीं जीवन व्यतीत करना पड़ता. ग्रामीणों का कहना कि पीडीएस दुकानदार ने केराेसिन देना भी बंद कर दिया है. पीडीएस दुकानदार हो या मतदान करने के लिए दो किलोमीटर दूरी तय करना पड़ता है.

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