Bihar Elections 2025: विधानसभा चुनाव के पहले चरण से ठीक पहले एनडीए ने पटना में ऐसा शक्ति प्रदर्शन किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह रोड शो न केवल लोकसभा चुनाव की तुलना में लंबा रहा, बल्कि रणनीतिक रूप से पटना की 14 विधानसभा सीटों को साधने की कोशिश भी स्पष्ट दिखी. भीड़, नारे और उत्सव जैसा माहौल सब कुछ था, पर नीतीश कुमार की अनुपस्थिति ने राजनीतिक गलियारों में नए सवाल खड़े कर दिए.
लोकसभा से लंबा, पर अलग सियासी संदेश
प्रधानमंत्री मोदी का यह रोड शो अब तक का सबसे लंबा विधानसभा चुनावी रोड शो माना जा रहा है. इससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान उन्होंने पटना जंक्शन से गांधी मैदान तक करीब 2.5 किलोमीटर का रोड शो किया था. इस बार यह दूरी 2.8 किलोमीटर रही. भीड़ और उत्साह के लिहाज से यह कार्यक्रम एनडीए के लिए मोमेंटम बिल्डर साबित हुआ.
बीच-बीच में लोकगीत, ढोल-नगाड़े और फूलों की वर्षा ने कार्यक्रम को उत्सव का रूप दे दिया. दिनकर गोलंबर से लेकर उद्योग भवन तक हर ओर झंडों की लहर और जयघोष का शोर था. हजारों की भीड़ के बीच मोदी रथ में खड़े होकर लोगों का अभिवादन करते रहे.
14 विधानसभा सीटों पर केंद्रित रणनीति
पटना जिले की 14 विधानसभा सीटों – पटना साहिब, बांकीपुर, दीघा, फुलवारी, कुम्हरार, दानापुर समेत अन्य क्षेत्रों को साधने की मंशा इस रोड शो में साफ दिखी. मोदी के रथ में इन प्रमुख सीटों के प्रत्याशी सवार थे, पर असर बाकी सभी पर डालने का प्रयास था.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पटना में यह रोड शो सिर्फ जनसंपर्क नहीं, बल्कि संदेश देने का माध्यम भी था “एनडीए एकजुट है और मोदी ही चेहरा हैं.”
नीतीश कुमार की गैरमौजूदगी पर सियासी चर्चा
कार्यक्रम की भव्यता और भीड़ के बावजूद सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनुपस्थिति ने. जेडीयू के नेता ललन सिंह मंच पर दिखे, जिससे यह चर्चा तेज हो गई कि क्या यह रोड शो भाजपा की ‘सोलो कैंपेनिंग’ की शुरुआत है?
यह अनुपस्थिति सिर्फ ‘सामयिक कार्यक्रम व्यस्तता’ नहीं, बल्कि एक सॉफ्ट मैसेज है. एनडीए के भीतर समीकरणों में बदलाव का संकेत. खासकर तब, जब एनडीए इस चुनाव में सीट शेयरिंग और नेतृत्व की स्पष्टता को लेकर कई परतों में काम कर रहा है.
जनसैलाब ने बनाया चुनावी माहौल
अपराह्न तीन बजे जैसे ही प्रधानमंत्री का काफिला निकला, सड़क के दोनों ओर लोग उमड़ पड़े. महिलाओं, युवाओं और बच्चों की भीड़ में उत्साह स्पष्ट था. कई जगहों पर लोगों ने फूलों की वर्षा की, तो कहीं लोक कलाकारों ने सामा-चकेवा नृत्य कर माहौल को लोक उत्सव में बदल दिया.
कड़ी सुरक्षा के बावजूद भीड़ का जोश थमने का नाम नहीं ले रहा था. बहुत से लोग अपने परिवार के साथ पैदल ही कई किलोमीटर चलकर पहुंचे. हर चौराहे पर मोदी के पोस्टर, बैनर और पार्टी झंडों की लहर दिख रही थी.
चुनावी संदेश और ताकत का प्रदर्शन
यह रोड शो विधानसभा चुनाव के पहले चरण से ठीक पहले हुआ, जिसे भाजपा ने अपने ‘शक्ति प्रदर्शन’ के रूप में पेश किया. मंच से कोई भाषण नहीं हुआ, पर भीड़ की गूंज ही काफी थी. मोदी के इस रोड शो ने यह संदेश दिया कि एनडीए मैदान में उतर चुका है और भाजपा अपनी गति स्वयं तय करेगी.
सांस्कृतिक कार्यक्रमों से लेकर युवाओं की भागीदारी तक, सब कुछ एक ‘चुनावी इवेंट’ से अधिक एक ‘सामाजिक उत्सव’ जैसा दिखा. भाजपा ने यह भी सुनिश्चित किया कि पटना की हर विधानसभा सीट को किसी न किसी तरह इस अभियान से जोड़ा जाए.
प्रधानमंत्री मोदी का यह रोड शो लंबाई, जनसमर्थन और माहौल—तीनों में अब तक का सबसे बड़ा साबित हुआ. लेकिन इसकी सबसे दिलचस्प बात यह रही कि जहां हर ओर मोदी का नाम गूंजता रहा, वहीं नीतीश कुमार की गैरमौजूदगी ने अगले चरणों के लिए राजनीतिक अटकलों की जमीन तैयार कर दी.
Also Read: Bihar Elections 2025: राघोपुर की रणभूमि,लालू परिवार की विरासत और तेजस्वी की अग्निपरीक्षा

