Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 121 सीटों पर वोटिंग होनी है और इस बार जो वर्ग सबसे ज्यादा चर्चा में है, वो हैं 18 से 29 साल के मतदाता. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, इनकी हिस्सेदारी कुल वोटरों में लगभग एक चौथाई है. यह वही युवा मतदाता हैं जिन्हें “जेन-जी वोटर” कहा जा रहा है . यानी वो नई पीढ़ी, जिसने अपने मोबाइल स्क्रीन से राजनीति को देखा, लेकिन अब ईवीएम की बटन दबाकर राजनीति को दिशा देने जा रही है.
बेगूसराय में सबसे अधिक, पटना में सबसे कम जेन-जी वोटर
चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक जेन-जी वोटर बेगूसराय जिले में हैं. यहां सात विधानसभा सीटों पर युवा मतदाता करीब 25.16 प्रतिशत हैं. यानी हर चार वोटरों में से एक युवा है. इसके बाद खगड़िया जिले में 24.29 प्रतिशत और मधेपुरा में 24.66 प्रतिशत जेन-जी वोटर हैं.
वहीं, सबसे कम जेन-जी वोटर पटना जिले में हैं, जहां 14 विधानसभा सीटों में इनकी हिस्सेदारी मात्र 18.45 प्रतिशत है. शहरी इलाकों के ये युवा वोटर राजनीतिक विमर्श में अधिक मुखर और डिजिटल रूप से सक्रिय हैं. ऐसे में कम संख्या के बावजूद इनकी राय और रुझान दोनों अहम साबित होंगे.
दरभंगा में सबसे ज्यादा नए वोटर
दरभंगा जिले में 18 से 19 साल के वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा 62,127 है. जिले की 10 सीटों पर इस बार एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. पिछली बार यानी 2020 के चुनाव में दरभंगा की 10 सीटों में से नौ पर एनडीए को जीत मिली थी, जबकि सिर्फ एक सीट दरभंगा ग्रामीण राजद के खाते में गई थी. इस बार युवा वोटरों का झुकाव तय करेगा कि यह समीकरण बरकरार रहता है या बदलता है.
मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर में युवा ताकत का असर
मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर जैसे जिलों में भी युवा वोटरों की भूमिका निर्णायक रहेगी. मुजफ्फरपुर की 11 सीटों पर जेन-जी वोटरों का औसत हिस्सा 21.15 प्रतिशत है. वहीं, समस्तीपुर में यह आंकड़ा करीब 23.89 प्रतिशत है. दोनों ही जिलों में बड़ी संख्या में कॉलेज और विश्वविद्यालय हैं, जिससे युवाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ी है. सोशल मीडिया कैंपेन और कॉलेज-स्तर की बहसों में इनकी सक्रियता साफ झलकती है.
क्यों निर्णायक हैं जेन-जी वोटर
जेन-जी वोटर अब पारंपरिक वोट बैंक की तरह नहीं सोचते. वे जाति या धर्म से ज्यादा रोजगार, शिक्षा, इंटरनेट कनेक्टिविटी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर ध्यान देते हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार युवा मतदाताओं की संख्या में करीब 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसका सीधा मतलब है कि हर सीट पर युवा वोटों की गोलबंदी किसी भी उम्मीदवार की जीत-हार तय कर सकती है.
18 से 19 साल की उम्र के लाखों मतदाता इस बार पहली बार वोट डालेंगे. बेगूसराय, दरभंगा और मधेपुरा में इनकी संख्या उल्लेखनीय है. चुनाव आयोग ने पहली बार वोट डालने वाले युवाओं को प्रेरित करने के लिए “मेरा पहला वोट – देश के नाम” अभियान भी चलाया है. कॉलेज परिसरों में मतदाता जागरूकता कार्यक्रम हो रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी युवाओं की भागीदारी देखने लायक है.
बदल सकता है चुनावी समीकरण
राजनीतिक दलों के लिए जेन-जी वोटर अब ‘साइलेंट गेम चेंजर’ साबित हो सकते हैं. इन युवाओं के पास पार्टी की विचारधारा से ज्यादा व्यक्तिगत उम्मीदें हैं. नौकरी, अवसर, और आवाज़ सुने जाने की भावना. यही वजह है कि हर पार्टी अपने प्रचार अभियान में युवा चेहरों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों को शामिल कर रही है.
बिहार का यह चुनाव सिर्फ राजनीतिक दलों की परीक्षा नहीं, बल्कि उस पीढ़ी की भी है जो अब अपने भविष्य के फैसले खुद लेना चाहती है. जेन-जी वोटरों का यह उभार लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है क्योंकि जब युवा जागता है, तो बदलाव खुद-ब-खुद रास्ता ढूंढ लेता है.

