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Bihar Congress: कांग्रेस समीक्षा बैठक से 15 जिलाध्यक्ष लापता! हाईकमान ने भेजा अनुशासनहीनता का नोटिस

Bihar Congress : करारी हार के बाद जहां कांग्रेस को संगठन मजबूत करने की जरूरत थी, वहीं बिहार के 15 जिलाध्यक्ष बैठक में भी नहीं पहुंचे. अब हाईकमान सख्त है और सवाल उठ रहा है, क्या कांग्रेस का जमीनी ढांचा सचमुच टूट चुका है?

Bihar Congress: बिहार विधानसभा चुनाव में बुरी हार झेलने के बाद कांग्रेस ने सोमवार को सदाकत आश्रम में समीक्षा बैठक बुलाई थी, ताकि हार की वजहों का विश्लेषण हो सके और संगठन को नए सिरे से खड़ा किया जा सके. लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि 15 जिलाध्यक्ष बैठक में पहुंचे ही नहीं.

पार्टी ने इस गैरहाजिरी को ‘‘अनुशासनहीनता’’ माना है और सभी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. बिहार कांग्रेस के भीतर यह घटनाक्रम यह संकेत देता है कि चुनावी झटके के बावजूद पार्टी का निचला ढांचा अभी भी सुस्त और बिखरा हुआ है.

समीक्षा बैठक का महत्व और जिलाध्यक्षों की अनुपस्थिति

सदाकत आश्रम में बुलाई गई बैठक सिर्फ औपचारिकता नहीं थी, बल्कि चुनावी हार के कारणों की सघन समीक्षा का मंच थी. प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने बैठक में साफ कहा कि 2025 की तैयारियों के लिए ‘‘अनुशासन और सक्रियता अनिवार्य’’ है.
इस महत्वपूर्ण बैठक में पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, अररिया, मधुबनी, कटिहार, सुपौल, भागलपुर, जमुई, बक्सर, गया, लखीसराय, मुंगेर, शेखपुरा सहित 15 जिलों के जिलाध्यक्ष अनुपस्थित रहे. पार्टी का मानना है कि चुनावी हार के बाद जिस स्तर पर सुधार की आवश्यकता है, उस समय जिलाध्यक्षों का इस तरह बैठक से गायब रहना संगठन की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है.

अनुशासनात्मक कार्रवाई की शुरुआत, सभी को नोटिस

प्रदेश नेतृत्व ने अनुपस्थित जिलाध्यक्षों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी है. सभी पंद्रह नेताओं को नोटिस भेजा गया है और सात दिनों के भीतर लिखित जवाब मांगा गया है कि वे बैठक में क्यों नहीं आए.
कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे में जिलाध्यक्षों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि वही ब्लॉक स्तर तक पार्टी की सक्रियता सुनिश्चित करते हैं. इसीलिए पार्टी नेतृत्व ने संकेत दे दिया है कि ‘‘ढिलाई बर्दाश्त नहीं होगी’’.

43 नेताओं पर भी लटकी कार्रवाई की तलवार

बैठक में यह भी बताया गया कि चुनाव के दौरान 43 नेताओं पर पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप लगे थे. इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रदेश नेतृत्व ने हाईकमान से अनुमति मांगी है. यह साफ कर दिया गया कि कांग्रेस अब पार्टी विरोधी गतिविधियों, लापरवाही और निष्क्रियता पर किसी तरह की ढिलाई नहीं बरतेगी. नेतृत्व का कहना है कि यदि समय रहते सख्ती नहीं की गई, तो 2025 में पार्टी के पुनर्जीवन की कोई संभावना नहीं बचेगी.

कांग्रेस के सामने सबसे बड़ा सवाल

जिलाध्यक्षों की गैरहाजिरी ने यह बहस भी खड़ी कर दी है कि कांग्रेस का जिला और ब्लॉक स्तर का ढांचा कमजोर हो चुका है या फिर नेताओं में ही चुनावी हार को लेकर गंभीरता नहीं बची है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कांग्रेस लगातार हार के बाद भी अपने जमीनी नेताओं को सक्रिय नहीं कर पाती, तो बिहार में उसका राजनीतिक पुनरुत्थान मुश्किल होता जाएगा.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर. लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया में पीएच.डी. . वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम में काम कर रहे हैं. साहित्य पढ़ने-लिखने में रुचि रखते हैं.

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