Bihar Bhumi : बिहार में भूमि विवाद अब पुलिस थानों में नहीं, बल्कि सीधे अंचल कार्यालयों में सुलझाए जाएंगे. डिप्टी सीएम सह राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने सोमवार को यह स्पष्ट कर दिया कि जमीन से जुड़े मामलों को प्रशासनिक स्तर पर हल करने की दिशा में सरकार निर्णायक कदम उठा रही है.
मुजफ्फरपुर में आयोजित भूमि सुधार जनकल्याण संवाद कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अब थाना स्तर पर लगने वाले जनता दरबार की व्यवस्था बदली जा रही है और इसकी पूरी जिम्मेदारी अंचल प्रशासन को दी जा रही है.
थाने नहीं, अंचल बनेगा समाधान का केंद्र
अब तक जमीन विवाद के मामलों में शनिवार को थानों में जनता दरबार का आयोजन होता था, जहां अंचलाधिकारी और थानेदार मिलकर मामलों की सुनवाई करते थे. नई व्यवस्था के तहत यह प्रक्रिया पूरी तरह अंचल कार्यालयों में शिफ्ट की जा रही है.
थानेदार को संबंधित अंचल में जाकर मामलों में सहयोग करना होगा, जबकि इसकी निगरानी सीधे एसपी स्तर से की जाएगी. सरकार का मानना है कि इससे भूमि विवाद के मामलों में पुलिस हस्तक्षेप कम होगा और प्रशासनिक समाधान को प्राथमिकता मिलेगी.
भूमि सुधार जनकल्याण संवाद की शुरुआत
बीआरएबीयू परिसर स्थित श्रीकृष्ण सिंह प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यक्रम में डिप्टी सीएम ने बताया कि राजस्व और भूमि सुधार व्यवस्था को पारदर्शी, जवाबदेह और जनोन्मुखी बनाने के उद्देश्य से ‘भूमि सुधार जनकल्याण संवाद’ की शुरुआत की गई है. इस अभियान के तहत सरकार सीधे जनता से संवाद करेगी और जमीन से जुड़ी जमीनी हकीकत को समझेगी. उन्होंने कहा कि कोशिश यह है कि ऐसी व्यवस्था बने जो व्यक्ति विशेष पर निर्भर न रहे, बल्कि सिस्टम के तौर पर लंबे समय तक काम करे.
सभी CO और राजस्व कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द
डिप्टी सीएम ने साफ किया कि दिसंबर माह में सभी अंचलाधिकारियों और राजस्व कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं. इसका उद्देश्य लंबित मामलों का तेजी से निष्पादन करना है. उन्होंने निर्देश दिया कि अंचल कार्यालय सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक, सप्ताह में छह दिन आम जनता के लिए खुले रहेंगे. अंचल कार्यालयों में नियम, प्रक्रियाओं और सेवाओं की जानकारी बैनर और पोस्टर के माध्यम से प्रदर्शित की जाएगी, ताकि लोगों को भटकना न पड़े.
100 दिन में बदलेगी व्यवस्था की तस्वीर
विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि अपने कार्यकाल के शुरुआती 100 दिनों में वह पहले प्रमंडल स्तर और फिर जिला स्तर पर जनता के बीच जाकर संवाद करेंगे. इस दौरान भूमि विवाद, जनशिकायत और विभागीय कार्यप्रणाली से जुड़ी समस्याओं को समझा जाएगा और मौके पर ही समाधान की दिशा तय की जाएगी. सरकार का फोकस शिकायतों के निपटारे के साथ-साथ भविष्य में विवाद की संभावना को कम करने पर भी है.
दाखिल-खारिज और ई-मापी सबसे बड़ी परेशानी
डिप्टी सीएम ने स्वीकार किया कि आम लोगों की सबसे ज्यादा शिकायतें दाखिल-खारिज, परिमार्जन प्लस और ई-मापी को लेकर हैं. उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि इनसे जुड़े लंबित मामलों का निष्पादन 15 दिनों के भीतर किया जाए. साथ ही, सरकारी जमीन को निजी नाम से दर्ज कराने वाले मामलों में सूचना देने वालों को भी विभाग की ओर से सम्मानित किया जाएगा, ताकि अवैध कब्जे और गड़बड़ियों पर रोक लगाई जा सके.
पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर
सरकार का मानना है कि भूमि विवाद का समाधान अगर अंचल स्तर पर पारदर्शी तरीके से हो, तो न सिर्फ पुलिस और अदालतों पर बोझ कम होगा, बल्कि आम लोगों का भरोसा भी सिस्टम पर बढ़ेगा. डिप्टी सीएम ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि लापरवाही और टालमटोल अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
नई व्यवस्था के लागू होने के बाद जमीन विवाद से जुड़े मामलों में थाना, अंचल और जिला प्रशासन की भूमिका स्पष्ट होगी. अंचल कार्यालय समाधान का पहला और मुख्य केंद्र होगा, जबकि पुलिस की भूमिका सहयोगी और निगरानी तक सीमित रहेगी. सरकार को उम्मीद है कि इससे बिहार में वर्षों से चले आ रहे भूमि विवादों की तस्वीर धीरे-धीरे बदलेगी.
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