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बिजली के लिए प्रस्तावित आंदोलन स्थगित

18 से 20 घंटे बिजली देने का विभाग से मिला आश्वासन पीरो : पीरो नगर सहित आसपास के गांवों एवं कस्बों में पिछले कुछ दिनों से विद्युत आपूर्ति की लचर व्यवस्था के खिलाफ पीरो विकास परिषद द्वारा प्रस्तावित आंदोलन अधिकारियों से वार्ता के बाद फिलहाल स्थगित कर दिया गया. शनिवार को पीरो विकास परिषद के […]

18 से 20 घंटे बिजली देने का विभाग से मिला आश्वासन

पीरो : पीरो नगर सहित आसपास के गांवों एवं कस्बों में पिछले कुछ दिनों से विद्युत आपूर्ति की लचर व्यवस्था के खिलाफ पीरो विकास परिषद द्वारा प्रस्तावित आंदोलन अधिकारियों से वार्ता के बाद फिलहाल स्थगित कर दिया गया. शनिवार को पीरो विकास परिषद के नेताओं के साथ सिविल एसडीओ सुमन कुमार एवं सहायक विद्युत अभियंता सूर्य प्रकाश सिंह की हुई वार्ता के दौरान यह आश्वासन मिला कि पीरो में 18 से 20 घंटे नियमित विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करायी जाएगी.
इसके अलावे जले हुए विद्युत ट्रांसफार्मरों को निश्चित समय सीमा के अंदर बदलने, बिजली विपत्रों में गड़बड़ी को सुधारने, समय पर
बिजली विपत्र उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराने, जर्जर तारों को बदलने जैसी छोटे -छोटे अन्य मसलों को तत्काल हल किया जाएगा.
अधिकारियों के साथ वार्ता में पीरो विकास परिषद के अध्यक्ष मो फारूक खान, मदन स्नेही, दुर्गाराज, शमशाद उर्फ भंडोल खान सहित कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ता एवं बजाज इलेक्ट्रीकल लिमिटेड के अधिकारी मौजूद थे. इधर पीरो विकास परिषद के नेताओं ने कहा कि वार्ता के दौरान विभाग के अधिकारियों से मिले आश्वासन के अनुरूप बिजली
आपूर्ति सहित अन्य बातों पर अमल नहीं किये जाने की स्थिति में नये सिरे से आंदोलन होगा.
बिजली व सड़क से वंचित धनछुहां के दलित करेंगे वोट का बहिष्कार
पीरो : धनछुहां गांव स्थित दलित टोले में बिजली एवं सड़क की सुविधा नहीं होने से आक्रोशित लोगों ने पंचायत चुनाव में वोट का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. स्थानीय निवासी शिव दयाल राम, डा़ महेन्द्र राम, अशोक पासवान, ज्ञानचंद राम, वासुदेव राम, सुदर्शन राम, दुखहरण राम, कांग्रेस राम, रामदेव राम सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि बार- बार आश्वासन के बावजूद आजतक धनछुहां दलित टोले में बिजली के तार पोल नहीं लगाये गये.
वैसे यहां के कई लोगों ने विद्युत कनेक्शन के लिए विभाग में आवेदन दे रखा है, लेकिन लोगों को बिजली तो नहीं मिली अलबता बिजली के बिल लोगों तक अवश्य पहुंच गये. यहां के लोग आज भी कच्चे एवं उबड़-खाबड़ रास्ते से होकर अपने घरों तक का सफर तय करने को विवश हैं. लोगों की माने तो सबसे अधिक परेशानी बरसात के दिनों में होती है ,जब उन्हें फिसलन भरे रास्तों से घुटने तक कपड़े उठाकर आना जाना पड़ता है.
ग्रामीणों ने कहा कि इस बार वे अपनी उपेक्षा का बदला वोट का बहिष्कार करके पूरा करेंगे.

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