आरा : पूरे देश में रेलवे में कार्यरत कर्मियों की काम के दौरान मौत होने पर पूरे सम्मान के साथ उनके शव को ताबूत में रखकर घर भेजा जाएगा. दानापुर डिविजन की मॉडल को पूरे भारतीय रेलवे में लागू कर दिया गया है. पहली बार बीते 17 दिसंबर को प्रभात खबर के पहले पन्ने पर […]
आरा : पूरे देश में रेलवे में कार्यरत कर्मियों की काम के दौरान मौत होने पर पूरे सम्मान के साथ उनके शव को ताबूत में रखकर घर भेजा जाएगा. दानापुर डिविजन की मॉडल को पूरे भारतीय रेलवे में लागू कर दिया गया है. पहली बार बीते 17 दिसंबर को प्रभात खबर के पहले पन्ने पर खबर छापी थी, जिसका शीर्षक था कि कार्य के दौरान मरने वाले रेलकर्मियों को मिलेगा सैनिकों जैसा सम्मान. इस खबर की कटिंग को अधिकारियों ने रेलवे बोर्ड को भेजा था.
इसी पर पहल करते हुए रेलवे बोर्ड ने दानापुर डिवीजन के इस मॉडल को आज से पूरे भारतीय रेलवे में लागू कर दिया है. इस संबंध में रेलवे बोर्ड के एग्जीक्यूटिव डॉयरेक्टर आलोक कुमार ने पत्र भेजकर सभी जोनल अधिकारियों को लागू करने का निर्देश दिया है. रेलवे बोर्ड के पत्र के आलोक में पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर जोन के उपमुख्य कार्मिक अधिकारी मनीष चंद्र ने भी एक पत्र जारी किया है, जिसमें कि मरने के बाद उनके शव को ताबूत में रखकर घर भेजा जायेगा. फूल-माला के लिए तीन हजार रुपये भी खर्च किये जायेंगे. रेलवे के इतिहास में यह पहला मौका होगा, जब कर्मियों के मरने के बाद उनके पार्थिव शरीर को ताबूत में रखकर पूरे सम्मान के साथ उनके घर भेजा जायेगा.
एंबुलेंस से पहुंचाया जायेगा शव, एक माह में दी जायेगी आश्रितों को नौकरी : रेलकर्मियों के साथ अगर कोई घटना होती है, तो उन्हें एंबुलेंस के सहारे हॉस्पिटल पहुंचाया जायेगा. इसकी सारी व्यवस्था रेलवे करेगी. मृतक के आश्रितों को एक सप्ताह के अंदर मिलनेवाली राशि दे दी जायेगी. वहीं एक माह के अंदर अनुकंपा पर नौकरी भी दे दी जायेगी.
अंतिम संस्कार में मंडल के वरीय अधिकारी होंगे शामिल
रेलकर्मियों के काम के दौरान मौत होने पर कर्मी के अंतिम संस्कार में डीआरएम सहित मंडल के वरीय अफसर शामिल होंगे. भारतीय रेलवे के इतिहास में यह पहला मौका है, जब कार्य के दौरान मरनेवाले कर्मियों के घर डिवीजन के वरीय अफसर जायेंगे. अब तक यह सम्मान देश की सेवा में शहीद होनेवाले सैनिकों को ही मिलता है, लेकिन अब रेलकर्मियों को भी यह सम्मान दिया जायेगा. अब तक कार्य के दौरान मरने वाले कर्मियों के शव को उठाकर कपड़े में लपेटकर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचाया जाता है. वहीं से परिजन शव को अंतिम संस्कार करने के लिए ले जाते है. स्थानीय स्तर के अधिकारी मौके पर जाकर खानापूर्ति कर चले आते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.