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Bhagalpur news कोई भी काम करे राम का नाम लेकर करें : स्वामी विनोदानंद सरस्वती

नवगछिया घाट ठाकुरबाड़ी में चल रहे रामचरित मानस का 50वां स्वर्ण जयंती समारोह रामकथा के सातवें दिन कथावाचक स्वामी विनोदानंद सरस्वती

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नवगछिया घाट ठाकुरबाड़ी में चल रहे रामचरित मानस का 50वां स्वर्ण जयंती समारोह रामकथा के सातवें दिन कथावाचक स्वामी विनोदानंद सरस्वती ने कहा कि जो काम राम से जोड़ कर किया जाए वह सफल जरूर होगा. हम कोई भी कम करें, तो राम का नाम लेकर करें. उस काम में सफलता जरूर मिलेगी. परिवार लड़ता है, तो उसको समझाओ, नहीं खुद को समझ लो. सब काम हो जायेगा. पूरे सृष्टि में अगर धोखा देने का कोई काम करता है, तो सिर्फ मानव ही करता है. मानव विश्वास घात कर सकता है, पशु कभी विश्वास घात नहीं कर सकता. कथा के दौरान लेना खबर हमारी ही धनुषधारी, अपना बना कर मुझको ठुकरा न देना आदि भजनों से राम भक्तों को खूब झुमाया. पंडित चंदन झा के आचर्यत्व में 21 विद्वानों ने नवाह पारायण संगीतमय प्रातःआठ से दोपहर 1:00 तक किया. आयोजन को सफल बनाने में शिव जायसवाल, दिनेश सरार्फ, बनवारी पंसारी, सरवन केडिया, अशोक केडिया, किशन यादुका, संतोष यादुका, संतोष भगत, अनिल चिरानिया, अनिल भगत, विनीत खेमका, कैलाश अग्रवाल, विशाल चिरानिया, जुगनू भगत, दयाराम चौधरी, किशन चिरानियां, शंकर चिरानियां लगे हैं.

गुरु के बताये मार्ग पर चलने से ईश्वर की प्राप्ति : सुबोधानंद

जगदीशपुर प्रखंड अंतर्गत सैनो गांव स्थित ठाकुरबाड़ी के प्रांगण में चल रहे श्री राम कथा के सातवें दिन स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने सीता हरण के प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि कैसे स्वर्गमृग बने मारीच के मायाजाल में फंसने और लक्ष्मण रेखा लांघने के बाद रावण ने माता सीता का हरण कर लिया. उन्होंने कहा कि हमें भी कभी अपनी मर्यादा रेखा को पार नहीं करना चाहिए. स्वामी जी ने माता सबरी के प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि गुरु की भक्ति और उसके बताये गये मार्ग पर चलने से भगवान की प्राप्ति होती है. रामकथा के दौरान अरविंद मंडल, प्रभाकर मंडल, महेन्द्र साह पंकज, प्रेम, सुशील मंडल, रितेश मंडल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे.

श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन

सुलतानगंज श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में शनिवार को चैती दुर्गा मंदिर शाहाबाद प्रांगण में वृंदावन से पहुंची कथा वाचिका प्रियंका किशोरी ने भगवान के सत्संग में जाने से परम शांति की अनुभूति होने की बात कही. उन्होंने कहा कि मनुष्य के भाव को भगवान देखते है. शबरी के जूठे बेर खाने को भगवान पहुंच गये. कथा के अंतिम दिन एक से बढ़कर एक भक्ति संगीत से लोग भावविभोर हो झूम उठे. मौके पर काफी संख्या में महिला-पुरुष व सत्संग प्रेमी मौजूद थे.

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