नारायणपुर रेलवे स्टेशन के समीप रविवार को विस्थापित संघर्ष मोर्चा के बैनर तले भूमिहीन विस्थापितों ने बैठक कर सरकार से बास योग्य भूमि उपलब्ध कराने की मांग की. बैठक को संबोधित करते हुए मोर्चा के मो शमशाद, मो भानू, बागेश्वर साह, अशोक ऋषिदेव सहित अन्य वक्ताओं ने कहा कि अतिक्रमण हटाने से पहले विस्थापित परिवारों के पुनर्वास की व्यवस्था सरकार को सुनिश्चित करनी चाहिए. बैठक में मौजमाबाद, चकरामी, नारायणपुर, मधुरापुर और मौजमा गांवों से काफी संख्या में लोग पहुंचे. मधुरापुर के विस्थापित मदन पोद्दार ने बताया कि 23 दिसंबर को अतिक्रमण मुक्ति अभियान में जीएन बांध पर रेलवे की जमीन पर बना उनका घर तोड़ दिया गया, जिससे उनका परिवार बेघर हो गया. गंगापुर के अकाली मंडल, कारे मंडल और गुड्डू ने कहा कि उन्हें पर्चा तो मिला है, लेकिन अब तक दखल नहीं मिल सका है. वरीय अधिकारियों को आवेदन दिया गया है. मौजमा के छोटे लाल और मूसो देवी ने बताया कि सरकार से मिले 60 हजार रुपये और अपनी जमा पूंजी से भगवान पेट्रोल पंप के आसपास 10 धूर जमीन खरीदी, लेकिन तीन वर्षों से म्यूटेशन नहीं हो पाया है. चकरामी रेलवे स्टेशन क्षेत्र के शंकर दास ने कहा कि उन्हें अब तक पर्चा नहीं मिला है, ऐसे में घर टूटने के बाद वह कहां जाएं. चकरामी की सविता देवी ने बताया कि पति बाहर मजदूरी करते हैं और घर टूटने का भय हमेशा बना रहता है. छात्र सोनू, विशाल, भास्कर, प्रिंस और सपना ने कहा कि घर उजड़ने की आशंका से पढ़ाई प्रभावित हो रही है और मैट्रिक परीक्षा की तैयारी में परेशानी हो रही है. मो शमशाद ने कहा कि ठंड के मौसम में बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं कहां जाएंगे, यह सरकार को सोचना चाहिए. बैठक में सैकड़ों की संख्या में भूमिहीन विस्थापित महिला-पुरुष मौजूद थे और सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे थे.
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