-इस्टर्न बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से द्वारिकापुरी कॉलोनी स्थित मंगल उत्सव परिसर से भारत योग यात्रा
योग का अंतिम उद्देश्य सभी दु:खों पर विजय प्राप्त करने के लिए आनंद की खोज करना है. इसमें ईश्वर की अनुभूति होती है. ईश्वर का सानिध्य प्राप्त होता है. यह बातें शुक्रवार को बिहार बिहार स्कूल ऑफ योग, मुंगेर के पद्मभूषण परमहंस स्वामी निरंजनानंद ने कही. मौका था इस्टर्न बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से द्वारिकापुरी कॉलोनी स्थित मंगल उत्सव परिसर में तीन दिवसीय भारत योग यात्रा शुभारंभ का.स्वामी निरंजनानंद ने परमाचार्य स्वामी सत्यानंद सरस्वती के आध्यात्मिक जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि साधु ने परिव्राजक का जीवन जिया. जीवन का बड़ा समय व्यतीत किया. अभाव जरूर था, संतुष्टि थी और प्रसन्नता थी. हर हाल में मस्त रहता था. खाना मिला तो खाता था, नहीं तो उपवास के रूप में सुखी रहते थे. इसमें आनंद की अनुभूति करते थे. इसके विपरीत भौतिक सुख की कामना अच्छा होटल हो, आलीशान बंगला हो, संपत्ति की भरमार हो, लेकिन लोग कभी भी आनंद के क्षण नहीं जुटा पाते, दरिद्रता रहती है. भौतिक जीवन व माया को नहीं हटा पाते.इसी क्रम में स्वामी निरंजनानंद ने कहा कि अपने जीवन को उत्तम बनाने का प्रयास करें. कर्मों को साधना के माध्यम से उत्तम बनाएं. साधु के लिए साधना व सिद्धि स्वतंत्र रूप से व स्वछंद रूप से अपने पैर पर खड़ा होकर खुद को संभालना है. सिद्धि वास्तव में उपलब्धि नहीं है. सिद्धि प्राप्त करने की इच्छा राक्षसों व दानवों में अधिक थी. वर्षों तक साधना की और अहंकार से स्वार्थ से लिप्त रहे. प्रयास का फल मिला, लेकिन सदुपयोग नहीं हुआ, तो विनाश का कारण बना. आगे उन्होंने साधु की साधना के बारे में बताया कि साधु की साधना से खुश होकर भगवान प्रकट होते हैं और कहते हैं-मांगो वर. साधु ने कहा हमारी एक ही इच्छा है आपका दर्शन करना. बार-बार अनुरोध के बाद भी वर नहीं मांगा. साधु कहता है कि आप अंतर्यामी हैं, तो आपको नहीं मालूम, क्या चाहिए. साधु भगवान को पीठ दिखाकर जाने लगते हैं, तो भगवान उनकी छाया को आशीर्वाद दे देते हैं, उनकी छाया जिनपर पड़े, वो फलीभूत हो जाएं. हुआ भी वही, मरे हुए पेड़ पर पड़ी, तो हराभरा हो गया, अंधे पर पड़े तो देखने लगे.
इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ भजन गायन से हुआ. सूफी बैंड के कलाकार गजेंद्र मिश्रा ने भक्तों को भक्ति गीत से झूमा दिया. तबला पर वीरेश मिश्रा व ऑर्गन पर निराला ने संगत किया. मंच का संचालन चेंबर महामंत्री सीए पुनीत चौधरी ने किया. अतिथियों का स्वागत करते हुए जानकारी दी कि आयोजन के सूत्रधार योग विद्यालय के महामंत्री स्वामी धनरक्षित का दो दिन पहले निधन हो गया, जो कि दु:खद है. फिर समाजसेवी लक्ष्मी नारायण डोकानिया, रामगोपाल पोद्दार ने स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को सम्मानित किया.चेंबर के वरीय उपाध्यक्ष अजीत जैन, अनिल खेतान, अनिल कड़ेल, गोपाल कृष्ण डोकनिया, संजय कुमार, रमन साह, गोविंद अग्रवाल, आलोक अग्रवाल, राहुल झुनझुनवाला, उत्तम झुनझुनवाला, विजय शंकर झा, आत्माराम बुधिया, ओमप्रकाश कनोडिया, पीआरओ उज्जैन मालू ,राजेश कुमार बंका, राजीव रंजन, गौतम बाजोरिया, अमरनाथ गोयनका, सज्जन कुमार महेशका, रोहण साह आदि का योगदान रहा.याेगाभ्यास आज से
चेंबर पीआरओ उज्जैन जैन मालू ने बताया कि दूसरे व तीसरे दिन 20 व 21 सितंबर को प्रात: 6:30 से 8:30 बजे तक योगाभ्यास एवं दूसरे दिन व तीसरे दिन संध्या 4:30 से 6:30 बजे सत्संग सत्र होगा. योगाभ्यास के लिए पास जरूरी है, जबकि सत्संग के लिए पास की जरूरत नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

