-श्री चंपापुर दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र में आस्था के साथ जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर तप कल्याणक महोत्सव की उपासना पूरी
स्वर्ण कलश से इंदौर के मनीष पाटनी ने मस्तकाभिषेक किया. मस्तक पर मुकुट लगा कर नागपुर के राकेश पापड़ीवाल ने विश्वशांति धारा की. श्रद्धालुओं ने जयघोष करते हुए पंच वालयति जिनालय की परिक्रमा की.
आगे जीवन भैया ने कहा कि स्नेह बांटने की चीज है, खूब बांटिये. दिल दुखाने की नहीं, खुश रखने की कला का नाम मानवीयता है. गलती न स्वीकारना और बड़ी गलती है. व्यसन, व्यक्ति को टेंशन के अलावा कुछ भी नहीं देते हैं. संस्कार ही, सबसे बड़ी संपत्ति है. लोभी व्यक्ति, सबसे ज्यादा कष्ट स्वयं को ही देता है. परोपकार के विचार के बिना, धर्म मार्ग मिलना असंभव है. सिद्ध क्षेत्र मंत्री सुनील जैन ने कहा कि भगवान महावीर की तप साधना महान थी. जियो और जीने दो सिद्धांत को बताते हुए भगवान महावीर ने कहा कि अपने लिए तो सभी जीने की भावना रखते हैं, लेकिन जीने देने की भावना से सभी प्राणियों में निर्भयता से जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त होता है.आयोजन में बेंगलुरु के सुरेश छाबडा, मुरादाबाद के डॉ अश्विनी कुमार, ललितपुर के महेंद्र सरावगी , रायपुर के हर्षित पाटिल, मुंबई के पुखराज पाटिल, जयपुर के मनोज जैन, दीपक पहाड़िया, नितिन कांत जैन आदि श्रद्धालु शामिल हुए.
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