सोमवार को आदमपुर स्थित बंगीय साहित्य परिषद, भागलपुर में कथाशिल्पी शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का 149 वां जन्मदिन मनाया गया. कार्यक्रम की शुरुआत में बंगीय साहित्य परिषद के परिसर में स्थापित शरत चंद्र की मूर्ति पर उपाध्यक्ष डॉ शर्मिला बागची ने माल्यार्पण कर की. डाॅ शर्मिला बागची ने शरत चंद्र को स्मरण करते हुए कहा कि उनकी लेखनी में बिखरे हुए आमलोगों का दास्तान उभर कर आया है. उनकी रचनाओं में हमें अपनी ही जिंदगी दिखती है. सचिव अंजन भट्टाचार्य ने कहा कि शरतचंद्र की रचनाओं में नारियों के प्रति अपार श्रद्धा है एवं नैतिक मूल्यों का बोध भरा पड़ा है. इसलिए बिहार सरकार के शिक्षा विभाग को शरतचंद्र की लिखी हुई पुस्तक का हिंदी अनुवाद मैट्रिक, इंटरमीडिएट एवं स्नातक के पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए. उन्होंने यह जानकारी भी दी कि शरतचंद्र बहुत ही अच्छे गायक भी थे. साथ ही एक पशु प्रेमी भी थे. इस मौके पर रघुनाथ घोष, सुदीप घोष, सुजय सर्वाधिकारी, प्रशांत दास, मृत्युंजय चक्रवर्ती, शुभंकर बागची, परिमल वनिक, स्नेहेश बागची, प्रज्वल सान्याल, शिवनाथ घोष आदि उपस्थित थे.
भागलपुर से था गहरा जुड़ाव
साहित्य सफर की ओर से शिक्षण संस्थान, मंदरोजा में शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की 149वीं जयंती मनायी गयी. अध्यक्षता जगतराम साह कर्णपुरी ने की. रंजन कुमार राय ने कहा कि भागलपुर की धरती से अनेक साहित्य जीवियों से जुड़ाव रहने का इतिहास रहा है. उन्हीं में से एक है बंगाली साहित्यकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय. मुख्य अतिथि साहित्यकार प्रेम कुमार प्रिय ने कहा कि शरदचंद्र चट्टोपाध्याय जी का संपूर्ण रचना संसार मानवीय संवेदनाओं से भरा पड़ा है. इस मौके पर अजय शंकर प्रसाद, संतोष ठाकुर अनमोल, राजीव रंजन, हिमांशु शेखर, शिवम कुमार, इंद्रजीत सहाय, गोपाल महतो आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

