मधुर मिलन नायक, नारायणपुर
शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, नगरपारा के परिसर में हाल ही में एक दुर्लभ प्रवासी पक्षी बड़ी कोयल शिकरा (Large Cuckooshrike – Coracina macei) देखा गया. यह पक्षी मुख्य रूप से हिमालय के तराई क्षेत्रों में पाया जाता है और सर्दियों के दौरान मैदानी इलाकों में प्रवास करता है. पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार, इसका यहां दिखना जैव विविधता के लिए एक शुभ संकेत है.कैसी होती है यह पक्षीबड़ी कोयल शिकरा एक मध्यम आकार की पक्षी है. जिसकी लंबाई लगभग 30–32 सेमी होती है. नर और मादा दोनों एक जैसे दिखते हैं. इसका शरीर मुख्य रूप से स्लेटी-ग्रे रंग का होता है. जबकि पंखों का रंग थोड़ा गहरा होता है. इसकी चोंच मजबूत और थोड़ी मुड़ी हुई होती है. जिससे यह कीट और छोटे जीवों को आसानी से पकड़ सकता है. इसकी पूंछ लंबी होती है, जिसके सिरों पर हल्की सफेदी दिखाई देती है.नगरपारा में क्यों आयी यह पक्षी
बड़ी कोयल शिकरा मुख्य रूप से दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में पायी जाती है. भारत में यह खासतौर पर उत्तर, मध्य और पूर्वी राज्यों में देखा जाती है. नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका में भी इसकी मौजूदगी दर्ज की गयी है. यह पक्षी घने जंगलों, बगीचों और कृषि भूमि के पास रहना पसंद करती है. नगरपारा के हरे-भरे माहौल और समृद्ध वनस्पति ने इसे आकर्षित किया.विशेषज्ञों की राय
पक्षी विशेषज्ञ ज्ञानचंद्र ज्ञानी कहते हैं कि इसका स्वर मधुर और धीमा होता है, जो इसे अन्य कोकल पक्षियों से अलग बनाता है. यह शिकारी पक्षियों की तरह अपने शिकार को तेजी से झपटकर पकड़ने की क्षमता रखती है. इसका यहां दिखना जैव विविधता के लिहाज से बहुत अच्छी खबर है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है