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Srijan scam. जिस घोटाले की प्राथमिकी के परिवादी थे अमरेंद्र, उसी मामले में जेल की सजा

सृजन घोटाले में सुनायी सजा.

जिला प्रशासन के निर्देश पर सृजन घोटाला मामले में पहली प्राथमिकी जिला नजारत शाखा ने करायी थी. प्राथमिकी करने वाले परिवादी तत्कालीन लिपिक सह नाजिर अमरेंद्र कुमार यादव थे. जब जांच शुरू हुई, तो इन्हें आरोपित बनाया गया. आरोप की पुष्टि के बाद विशेष अदालत ने जेल की सजा सुनायी है. सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड. यह नाम जितना लंबा है, उससे भी लंबी इसके घोटाले की कहानी है. 16.12.2003 से घोटाले की कहानी की शुरुआत हुई थी. 14 वर्षों से घोटाले दर घोटाले किये जाते रहे. हैरत की बात है कि इतने वर्षों में किसी को भनक तक नहीं लगी. सृजन संस्था की शुरुआत गरीब, नि:सहाय महिलाओं के उत्थान के उद्देश्य से हुई थी. लेकिन 16 दिसंबर, 2003 से सृजन का उद्देश्य बदल गया. सबसे पहले सृजन के घोटालेबाजों ने जिला प्रशासन की नजारत शाखा से अपने काले कारनामे की शुरुआत की. 16 दिसंबर, 2003 से लेकर 31 जुलाई, 2017 तक नजारत के खजाने को लूटती रही. नजारत में लूट के दौरान ही चार साल बाद वर्ष 2007 में इसी शाखा में सृजन की नजर दूसरी योजनाओं पर पड़ गयी. दंगा पीड़ितों को मिलने वाली पेंशन और उर्दू भाषी विद्यार्थियों को राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि लूट ली. केस नंबर : RC2172017A0011 धाराएं : 34, 120बी, 409, 420, 467, 468 व 471 परिवादी : अमरेंद्र कुमार यादव, नाजिर, नजारत शाखा, भागलपुर आरोप : इंडियन बैंक (पटल बाबू रोड, भागलपुर) में स्थित खाते का बैंक व सृजन द्वारा जालसाजीपूर्ण तरीके से अवैध निकासी. अवैध निकासी की रकम : 12 करोड़ 20 लाख 15 हजार 75 किस मद की थी राशि : मुख्यमंत्री नगर विकास योजना.

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