प्रभात खबर कार्यालय में रविवार को आयोजित लीगल काउंसलिंग में नवगछिया बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव सह वरीय अधिवक्ता कृष्ण कुमार आजाद ने कहा कि जिस तरह नए आपराधिक कानून समय की मांग के अनुरूप बनाए गए हैं, उसी तरह दीवानी प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) में भी बदलाव की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि आपराधिक कानूनों में हुए सुधार से कई प्रक्रियाएं सरल और तेज हुई हैं. इससे पीड़ितों को न्याय मिलने की संभावना पहले की अपेक्षा अधिक बढ़ी है. अधिवक्ता आजाद ने बताया कि सीपीसी की कई धाराएं आज भी पुराने स्वरूप में लागू हैं, जिससे दीवानी वादों में वर्षों तक मुकदमे लंबित रहते हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि संपत्ति विवाद, बंटवारा, वसीयत और पारिवारिक मामले आज भी अदालतों में वर्षों तक लंबित रहते हैं. यदि सीपीसी को वर्तमान समय और तकनीकी बदलाव के अनुरूप संशोधित किया जाए तो न्याय प्रक्रिया को और आसान बनाया जा सकता है. लीगल काउंसलिंग के दौरान बड़ी संख्या में पाठकों ने अधिवक्ता से सवाल किया. अधिवक्ता ने सभी प्रश्नों का सहज और सरल शब्दों में उत्तर दिया गया. सभी प्रश्नों को यहां सम्मलित कर पाना संभव नहीं है. प्रस्तुत है कुछ प्रमुख प्रश्न और उसके उत्तर…
1. प्रश्न
– मैं तीन भाई हूं. एक भाई विदेश में रहता है और दस सालों से घर नहीं आया है. उसे अब पैतृक संपत्ति से ज्यादा लगाव भी नहीं है. इन दिनों हमलोग बंटवारानामा बना रहे हैं, माता पिता नहीं रहे, कोई बहन भी नहीं है, ऐसी स्थिति में जमीन को दो हिस्से में बांटना चाहिए या तीन हिस्से में, कृपया सलाह दें. कुणाल प्रकाश, कोतवालीउत्तर – आपको नियम के अनुसार तीन हिस्से में पैतृक संपत्ति का बंटवारा करना चाहिए. अगर विदेश में रहने वाले भाई यहां आकर विधिवत कह दें कि उन्हें जमीन में हिस्सा नहीं चाहिए तो ही आप दो हिस्सों में बंटवारा कर सकते हैं.2. प्रश्न
– मैंने चार वर्ष पहले दो कट्ठा जमीन की खरीददारी की है. म्यूटेशन भी करवा लिया और घर बना लिया और रहने भी लगा. तीन साल बाद कुछ लोग आए और उसने कहा कि यह जमीन मेरी है, इसकी खरीददारी मैंने दस वर्ष पहले की थी. उस दावेदार के पास जमीन की रसीद भी थी. दोनों को जमीन एक ही व्यक्ति के द्वारा बेची गई है. जमीन की बिक्री करने वाला मुझसे कह रहा है, आप वास्तविक मालिक हैं, आप आराम से रहिए. जबकि पता लगाया तो पता चला कि 10 वर्ष पहले खरीददारी करने वाले व्यक्ति का भी सभी कागज ओरिजनल है. मुझे क्या करना चाहिए.सुजय कुमार, दाऊद बाटउत्तर – आप अपनी जमीन पर शांतिपूर्वक रहें. जमीन पर आपका दखल है और वैधानिक कागजात भी है. दावेदार को अपनी दावेदारी साबित करने के लिए कोर्ट जाना चाहिए.
3. प्रश्न
– मेरी मां के निधन के बाद मेरे पिता ने दूसरी शादी की. तब से मैं नानी घर में रह रहा हूं. इन दिनों मेरे पिता लगातार पैतृक संपत्ति बेच रहे हैं. मैं 19 वर्ष का हूं, क्या मैं अपने पिता को पैतृक जमीन बेचने से रोक सकता हूं, कैसे ?दिव्यांशु, जीरोमाइल. उत्तर – आप बंटवारा सूट फाइल करें और कोर्ट से निषेधाज्ञा का आदेश लें. निश्चित रूप से आपकी पैतृक जमीन की खरीद बिक्री पर रोक लग जाएगी और आपके हिस्से की संपत्ति आपको मिल जाएगी.4. प्रश्न
– जमीन देने के एवज में मुझसे पांच लाख रुपया ले लिया और जमीन किसी और को बेच दी गयी.अब रकम भी नहीं लौटा रहा है और रोजाना टालमटोल कर रहा है. रकम लेने वक्त एंग्रीमेंट भी बनवाया गया था, मुझे क्या करना चाहिए.अमित कुमार, तिलकामांझी
उत्तर – आप सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर करें और थाने में भी धोखाधड़ी और रकम गबन करने की प्राथमिकी दर्ज करायें. उम्मीद है आपको न्याय मिलेगा.5. प्रश्न
– पिछले वर्ष जुलाई माह में मेरी रिंग सेरेमनी हुई. सब कुछ ठीक था, मार्च में शादी होनी थी लेकिन लड़के वालों ने नवंबर माह शादी करने की बात कही. अब नवंबर नजदीक है. लेकिन लड़के वाले डेट नहीं दे रहे हैं. 20 लाख रुपए दहेज की बात हुई थी, उतना रुपया दिया जा चुका है. अब फिर पांच लाख लेने के बाद डेट देने की बात कह रहे हैं. मेरे परिवार वालों को क्या करना चाहिए.एक पाठिका, तिलकामांझी
उत्तर – दहेज मांगना कानून अपराध है. आप अपने संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज करायें. निश्चित रूप से आपको न्याय मिलेगा.6. प्रश्न
– मैं किराये के मकान में रहता हूं. काफी दिनों से मैं किराया नहीं दे सका. अब मकान मालिक द्वारा मुझे किराया दे कर मकान खाली करने को कहा जा रहा है. एक माह का समय दिया गया है. मैं मकान खाली करने में सक्षम हूं लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण मैं किराया देने में सक्षम नहीं हूं. मुझे क्या करना चाहिए ?मनोज कुमार, भागलपुर.उत्तर – आपको किराया बिल्कुल समय से देना था. लेकिन आपने दिया नहीं और अब आपके पास पैसे भी नहीं है. दूसरी तरफ मकान मालिक बिना किराये के मकान खाली करने भी नहीं बोल रहा है. ऐसी स्थिति में आप एसडीओ के यहां वाद दाखिल करें. आपके मामले की सुनवाई वहीं होगी. निश्चित रूप से नियम संगत निदान सामने आयेगा.
7. प्रश्न
– क्या आचार संहिता के दौरान किसी भी तरह का आयोजन नहीं कर सकते हैं.वरुण झा, नवगछिया.
उत्तर – निश्चित रूप से आप कर सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको निर्वाची पदाधिकारी की अनुमति प्राप्त करना चाहिए. अगर आप शादी ब्याह जैसे आयोजन कर रहे हैं तो आपको अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. लेकिन ऑरकेस्ट्रा जैसे आयोजनों के लिए आपको अनुमति लेना चाहिए.8. प्रश्न.
एक विवादित जमीन पर टाइटल सूट लंबित है. क्या इस जमीन पर निर्माण कार्य करना चाहिए. शिवशंकर, शाहकुंडउत्तर – कोई भी विवादित जमीन जिस पर टाइटल सूट चल रहा है. उस पर बिना न्यायालय के आदेश के निर्माण कार्य करना अनुचित है. हां, अगर न्यायालय से आदेश मिले तो आप निश्चित रूप से निर्माण कार्य कर सकते हैं.नदियों के कोर्स बदलने से जमीन विवाद की जड़
नवगछिया और आसपास का पूरा इलाका नदियों का तटीय क्षेत्र है. इस कारण यहां की जमीन स्थायी स्वरूप में नहीं रहती. जब भी नदियां अपना रास्ता बदलती हैं तो कहीं जमीन पानी में समा जाती है, तो कहीं नयी जमीन बाहर निकल आती है. कानून के अनुसार, नदी में समा जाने वाली जमीन स्वतः सरकार की संपत्ति हो जाती है और उस पर लगान भी नहीं देना पड़ता. लेकिन जैसे ही नदी से जमीन बाहर आती है, विवादों का सिलसिला शुरू हो जाता है. बाहर निकली जमीन पर कब्जा जमाने की होड़ मच जाती है और वास्तविक मालिक को अपना हक पाने के लिए अक्सर कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है. हालांकि व्यवस्था यह है कि अगर जमीन किसी व्यक्ति की थी और वह नदी में समा गई थी, तो दोबारा निकलने पर संबंधित अंचलाधिकारी उसे पुनः मालिकाना हक दे सकते हैं. यदि अंचल कार्यालय इस प्रक्रिया को सही ढंग से लागू करे तो नवगछिया क्षेत्र में जमीन विवादों की संख्या अप्रत्याशित रूप से कम हो सकती है.
अधिवक्ता परिचय
नवगछिया बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव अधिवक्ता कृष्ण कुमार आजाद का पैतृक गांव बिहपुर प्रखंड के दयालपुर गांव में है. वे मशहूर स्वतंत्रता सेनानी पूर्व विधायक स्व. सीताराम सिंह आजाद के पुत्र हैं. कृष्ण कुमार ने वर्ष 1993 में कानून की पढ़ाई शुरू की और वर्ष 1998 से नवगछिया व्यवहार न्यायालय में प्रैक्टिस प्रारंभ किया. अधिवक्ता ने बताया कि उन्होंने अपने पिता के राजनीतिक और सामाजिक जीवन को बहुत करीब से देखा. उन्हीं से प्रेरित होकर वे वकालत को समाज सेवा का एक माध्यम मानते हैं.—-
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