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bhagalpur news : मंजर से लदे आम व लीची के पेड़, अधिक उत्पादन को लेकर किसान उत्साहित

ज्यों-ज्यों ठंड का असर कम होता जा रहा है. तापमान बढ़ता जा रहा है, त्यों-त्यों आम व लीची के पेड़ मंजर से लदने लगे हैं. पौधा संरक्षण विभाग ने किसानों को अलर्ट किया है कि कीट-प्रबंधन व अन्य उपाय करने की जरूरत है.

-पौधा संरक्षण विभाग ने संबंधित किसानों को कीट-प्रबंधन को लेकर किया अलर्ट

वरीय संवाददाता, भागलपुर

ज्यों-ज्यों ठंड का असर कम होता जा रहा है. तापमान बढ़ता जा रहा है, त्यों-त्यों आम व लीची के पेड़ मंजर से लदने लगे हैं. पौधा संरक्षण विभाग ने किसानों को अलर्ट किया है कि कीट-प्रबंधन व अन्य उपाय करने की जरूरत है.

8976 हेक्टेयर भूमि में हैं आम के पेड़

उद्यान विभाग व पौधा संरक्षण विभाग की मानें, तो अल्टरनेटर होने के कारण एक साल कम आम व लीची का उत्पादन होता है, तो दूसरे साल अधिक. जिन पेड़ों में मंजर आये हैं, उसमें मेहनत किया जाये, तो बेहतर उत्पादन होगा. भागलपुर जिले के नवगछिया, खरीक, बिहपुर, नारायणपुर, गोपालपुर व सबौर में 4215 हेक्टेयर जमीन में लीची की उपज होती है. जबकि जिले के ही कहलगांव, पीरपैंती, नवगछिया, सबौर, जगदीशपुर, शाहकुंड, सन्हौला, गोपालपुर, बिहपुर, खरीक, सुलतानगंज आदि क्षेत्रों में 8976 हेक्टेयर भूमि में आम फलता है. सुलतानगंज, सबौर, नाथनगर में भागलपुर का नामी जर्दालू आम फलता है. अन्य किस्म मालदह, बंबई, लंगरा, दशहरी आम भी फलते हैं.

कम बारिश का मिलेगा फायदा, कीट-प्रबंधन को लेकर किसानों को करना होगा उपाय

पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक ने बताया कि नहीं के बराबर बारिश होने से आम व लीची को फायदा हुआ है. मंजर में फूल लगने से पहले तक सिंचाई कर सकते हैं. मंजर लगने के बाद सिंचाई किसी भी हालत में नहीं करना चाहिए और न ही छिड़काव. इससे मंजर सूखने लगेगा. पॉलिनेशन नहीं हो सकेगा. फूल से फल नहीं बन पायेगा. किसानों को अपने पौधे पर अभी से ही जिसमें मंजर के फूल नहीं लगे हैं, उसमें पहला छिड़काव कर सकते हैं. पौधा संरक्षण विभाग की ओर से किसानों के लिए निर्देश जारी किया गया है आम, लीची व चौड़ी पत्ती वाले केला, पपीता एवं अन्य पौधे में अचानक तापमान में वृद्धि होने से फूल एवं फल प्रभावित नहीं हो इसके बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम एक ग्राम प्रति लीटर पानी एवं इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल एक एमएल तीन लीटर पानी में मिलाकर स्टीकर के साथ छिड़काव करें. एक लीटर पानी में पचास एमएल गौ मूत्र मिलाकर भी छिड़काव किया जा सकता है.

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