वरीय संवाददाता, भागलपुर
गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र भागलपुर में प्रकाश चंद्र गुप्ता की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भागलपुर आगमन एवं दिये गये भाषण को लेकर समीक्षा बैठक हुई. परिधि के उदय ने पानी की तरफ पैसा बहाने पर आपत्ति जतायी. मो तकी अहमद जावेद ने बताया कि कार्यक्रम से भागलपुर को घाटा हुआ है. दिहाड़ी मजदूर रिक्शा, ठेला वाले, फल बेचने वाले, साग-सब्जी बेचने वाले को प्रधानमंत्री के आगमन के नाम पर पिछले एक माह से फुटपाथ पर नहीं बेचने देने के कारण इन गरीबों को काफी क्षति पहुंची है. जनप्रिय के गौतम ने आपबीती बताते हुए गरीबों को हुई क्षति का उल्लेखित किया और प्रशासन द्वारा छोटे वाहनों से वसूली करने की बातें बताते हुए सरकारी मिशनरी के दुरुपयोग को सामने रखा.गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र के संजय कुमार ने इसके कुछ सकारात्मक पहलुओं को भी रखा और बताया कि इस तरह के कार्यक्रम से गली मोहल्ले के रोड की सफाई हो जाती है, लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से भागलपुरवासियों का भ्रम भी टूटा है. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के सीनियर सहायक प्राध्यापक डॉ उमेश प्रसाद नीरज ने बताया कि इस कार्यक्रम में जो भीड़ थी, वह स्वाभाविक नहीं बल्कि शासन-प्रशासन और राजनीतिक पार्टी द्वारा लायी गयी थी. पूर्व कुलपति प्रो मनोज कुमार ने कहा कि किसान निधि के माध्यम से 2000 देना किसान का सम्मान नहीं, बल्कि और असम्मान है. किसान का सम्मान तो तब होता, जब किसान के खेतों में पानी पहुंचाने की व्यवस्था के संबंध में परियोजना की घोषणा होती, उत्तम बीज किसान को सही दाम पर मिलता.गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र गुप्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री के आगमन के को लेकर पूर्व बिहार के मंत्रियों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ लगातार सामाजिक संगठनों की बैठक होती रही, बैठक में भाग लेने वाले सभी साथियों ने इस पर सहमति जतायी कि इस तरह के कार्यक्रम में आमलोगों को होने वाले कठिनाइयों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.
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