लगातार एक सप्ताह से कड़ाके की ठंड और पछुआ हवा से क्षेत्र में शीतलहर का प्रकोप लगातार बना हुआ है. कनकनी इतनी बढ़ गयी है कि आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. ऐसी स्थिति में बाढ़ और कटाव से प्रभावित परिवारों के लिए शीतलहर जानलेवा साबित हो रही है. खुले स्थानों, अस्थायी झोपड़ियों और तटबंधों पर रह रहे लोग ठंड से सबसे अधिक प्रभावित हैं. प्रशासन की ओर से अब तक अलाव की समुचित व्यवस्था नहीं करने से पीड़ित परिवारों में नाराजगी देखी जा रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि एक सप्ताह से अधिक समय से शीतलहर चल रही है, बावजूद इसके न तो सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की व्यवस्था की गयी है और न ही कंबल वितरण की कोई ठोस पहल हुई है. ऐसे में गरीब, वृद्ध और बच्चे ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं. मनोज कुमार, ब्रजेश कुमार, संतोष कुमार, शंकर सिंह, प्रदीप कुमार ने कटाव से विस्थापित परिवार के बीच अलाव की व्यवस्था व कंबल वितरण की मांग की है. जिला प्रशासन से मांग की है कि अलाव की तत्काल व्यवस्था, कंबल वितरण और राहत शिविरों की निगरानी की जाए, ताकि ठंड से होने वाली संभावित जनहानि को रोका जा सके. बीपी, शुगर व हृदय रोग के मरीज को ठंड में सतर्क रहने की जरूरत चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार इस मौसम में ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है. इस दौरान बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. नवगछिया अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ पिंकेश कुमार ने बताया कि कड़ाके की ठंड में शरीर की रक्त नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ सकता है. ठंड से हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है. बुजुर्ग, छोटे बच्चे और पहले से बीमार लोग सुबह-शाम ठंड में बाहर निकलने से बचें. नियमित दवा लें और किसी असामान्य लक्षण जैसे सीने में दर्द, सांस फूलना, चक्कर आना होने पर तुरंत अस्पताल पहुंचें. डॉ पिंकेश ने लोगों को ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़े पहनने, सिर और कान ढक कर रखने, ठंडे पानी से स्नान से बचने और पर्याप्त गर्म भोजन लेने की सलाह दी. कहा कि सुबह की ठंड में टहलने या खुले में व्यायाम करने से परहेज करें.
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